* पशु प्रेमी चिंतित
नागपुर/दि.15 – विदर्भ में एक के बाद एक बाघों की मौत की घटनाएं सामने आ रही है. 14 दिनों में आधा दर्जन बाघ अलग-अलग कारणों से मारे गये हैं. जबकि इसी क्षेत्र को बाघों की प्रिय राजधानी कहा जाता था. नये साल में मानो बाघों पर संक्रांत भारी पड गई है. ताजा मामला गोंदिया के कोहका-भानपुर परिसर का है. जहां मंगलवार सुबह बाघ मृतावस्था में मिला. वनविभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा किया. विभाग का प्राथमिक अंदाज है कि, यह बाघ निमवयस्क था और टी-14 मादा बाघ का 20 माह का शावक था.
* नागझिरा अभयारण्य की निवासी
जंगल महकमे के लोगों ने बताया कि, टी-14 मादा बाघ नागझिरा अभयारण्य के पूर्वी क्षेत्र में बसती थी. कुछ दिनों पहले ही उसका यह शावक अन्य बडे बाघों के डर से अलग होकर स्थलांतरीत हो गया था. उपवन संरक्षक प्रमोद पंचभाई, विभागीय वन अधिकारी प्रीतमसिंह कोडापे, सचिन डोंगरवार, अपर्णा पाटिल, वन परिक्षेत्र अधिकारी दिलीप कौशिक, मानद वन्यजीव रक्षक सावन बाहेकर, तहसीलदार श्रीकांत कांबले, पुलिस निरीक्षक भाले मौके पर पहुंचे. उसी प्रकार राष्ट्रीय बाघ संवर्धन प्राधिकरण के प्रतिनिधि अनिल दशेरिया, मुकूंद धुर्वे, रुपेश निंबार्ते, वनपाल संतोष श्रीवास्तव, संजय टेकाम, सेवा संस्था के सुशील बाहेकर, कुसराम और फारेस्ट के लोग उपस्थित थे.
* अवयव के नमूने भेजे
कुडवा के वन उद्यान परिसर में बाघ का शव विच्छेदन पशु वैद्यकीय अधिकारी देवेंद्र कटरे, कृपाल उईके, मेघराज तुलावी ने किया. उन्होंने प्राथमिक अंदाज व्यक्त किया कि, बाघ की मौत किसी महामारी के कारण हुई है. उसके अवयव के नमूने फारेंसिंक लैब भेजे गये हैं. घटनास्थल का वनविभाग ने व्यापक निरीक्षण किया.