महाराष्ट्र के तीन सरकारी अस्पतालों में 78 की मौत
सरकारी अस्पतालों में दवा की कमी, लापरवाही या अव्यवस्था, क्या कारण!
* नागपुर में भी 24 घंटे में 25 की मौत
* नांदेड और संभाजीनगर में 53 की गई जान
* दवाईयों का अभाव, हाहाकार
* मृतकों में अनेक नवजात, मेयो और मेडिकल में
नागपुर/दि.4- नांदेड और संभाजीनगर पश्चात उपराजधानी नागपुर के भी दो बडे सरकारी अस्पताल मेयो तथा मेडिकल कॉलेज में गत 24 घंटे में 25 मरीजों की मृत्यु से हाहाकार मचा है. मृतकों में शिशु भी शामिल रहने का दावा किया गया है. डॉक्टर्स यह कहकर हाथ झटकने का प्रयत्न कर रहे हैं कि अधिकांश मरीज तबीयत बेहद खराब होने के बाद उनके अस्पतालों में लाए गए. फिर भी गत दो दिनों में नांदेड तथा संभाजीनगर मिलाकर नागपुर के मृत्यु के आंकडे जोड दें तो यह संख्या 78 पार हो गई है. नांदेड में इलाज तथा दवा के अभाव में 35, संभाजीनगर में 18 लोगों की जान चली गई. उधर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शासकीय अस्पतालों में रुग्णों की मृत्यु पर दुख व्यक्त किया. घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही है.
* नागपुर की मौतों के बाद होहल्ला
नागपुर के मेडिकल तथा मेयो रुग्णालय में विदर्भ तथा तीनों पडोसी राज्य मध्य प्रदेश, तेलंगाना तथा छत्तीसगढ से भी उपचार के लिए मरीज आते हैं. मेडिकल में ट्रामा व अतिरिक्त मिलाकर 1800 बेड है. मेयो में 822 बेड है. दोनों अस्पतालों में रोड डेढ हजार मरीज दाखिल होते हैं. 2 अक्तूबर को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 24 घंटे में 16 तथा मेयो अस्पताल में 9 मरीजों की जान चली गई. सभी मरीज अलग-अलग आयुसीमा के रहने की जानकारी है. तथापि दो शिशु होने का भी पता चला है.
* आठ मरीज गंभीर दशा में लाए
अस्पताल सूत्रों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किए गए आठ मरीज नाजुक स्थिति में लाए गए थे. चिकित्सकों ने उन्हें बचाने के भरपूर प्रयत्न किए. किंतु मरीजों ने दम तोड दिया. डॉक्टर्स ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कई निजी अस्पताल अपने यहां मौत के आंकडे कम बताने के लिए जब रग्ण आखिरी सांसे गिन रहा होता है, उस समय मेयो या मेडिकल में रेफर कर देते हैं. यहां डॉक्टर्स उन्हें बचा नहीं पाते.
* मंत्री ने माना दवाईयों की सप्लाई रुकी
नांदेड तथा संभाजीनगर की घटनाएं उजागर होने के बाद वैद्यकीय शिक्षा मंत्री हसन मुश्रिफ ने माना की गत 3 वर्षो से मांग के अनुसार दवाईयों की सप्लाई नहीं हो सकी है. उन्होंने मरीजों की मृत्यु को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि वे मामले की तह तक जाएंगे. मृत्यु आखिर किस वजह से हुई है, इसके कारण खोजे जाएंगे. दवाईयों के साथ-साथ जरुरी वैद्यकीय सामग्री का भी सप्लाई बाधित हुआ है.
* जांच पश्चात कठोर कार्रवाई
नांदेड के चव्हाण अस्पताल में मृत्यु संख्या 35 हो गई है. जिस पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दुख व्यक्त किया है. यह भी कहा कि नांदेड में हुई मृत्यु की पूर्ण जांच होगी. कसूरवारों पर कडी कार्रवाई करने की बात सीएम ने कही है.
* क्या कहा मंत्री मुश्रिफ ने
वैद्यकीय शिक्षा मंत्री हसन मुश्रिफ ने स्वीकार किया कि गत 3 वर्षो में अनेक दवाईयों और उपकरणों की खरीदी नहीं हो सकी. यह मूल मुद्दा है. करोडों का फंड दवा खरीदी बगैर सरकारी तिजोरी में वापस गया. अब नए सिरे से स्थापित प्राधिकरण के माध्यम से कामकाज में सुसूत्रता लाई जाएगी. मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में भी इस पर विचार हुआ. विशेषज्ञ समिति गठित कर डेथ ऑडिट किया जाएगा. यह मृत्यु दवाईयों के अभाव में हुई या अस्पताल के संसर्ग की वजह से, इसका पता लगाया जाएगा.
* रोका काफिला, नारेबाजी
नांदेड में अस्पताल का दौरा कर सर्किट हाउस लौट रहे मुश्रिफ का काफिला राकांपा शरद पवार गट के कार्यकर्ताओं ने अडाने का प्रयास किया. राज्य शासन के खिलाफ नारेबाजी की गई, जिससे थोडी देर के लिए हंगामा हो गया. पुलिस ने कुछ कार्यकर्ताओं को डीटेन किया है.
* संभाजीनगर में 18 की मृत्यु
छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 18 मरीजों की जान चली गई. चिकित्सा अधीक्षक ने दावा किया कि इनमें से चार लोगों को अस्पताल में मृत लाया गया था. उसी प्रकार दो मरीजों की मृत्यु दिल का दौर पडने से हुई. दो अन्य निमोनिया से पीिउत रहे. तीन मरीज किडनी फेल होने से और एक अन्य मरीज लीवर फेल होने की समस्या से पीडित था. सडक हादसे, विषप्राशन और अपेडिक्स फटने से एक-एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई.
* 20 शिशुओं की मौत
नांदेड में 48 घंटे में 35 लोगों की जान चली गई. इनमें 20 नवजात शिशु का समावेश है. यह जानकारी अधिष्ठाता डॉ. एस.आर.वाकोडे ने बताया कि, अस्पताल में 36 बच्चों सहित 59 मरीजों की दशा गंभीर है. इन सभी चिंताजनक मरीजों की आईसीयू में चिकित्सा चल रही है.
* अशोक चव्हाण का आरोप
पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने कहा कि उन्होंने शासकीय अस्पताल से आहवान किया था कि हर हाल में रुग्ण की जान बचाने के लिए चाहे तो निजी अस्पताल की सहायता ले सकते हैं. किंतु अस्पताल प्रशासन संवेदनाहीन रहा. जिसके कारण दूसरे दिन भी आवश्यक सावधानी नहीं बरती गई.