मराठा आरक्षण पर जलद सुनवाई हेतु गठित होती नई खंडपीठ

सीजेआई भूषण गवई ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन जारी किया महत्वपूर्ण आदेश

नई दिल्ली/दि.15 – गत रोज ही देश के प्रमुख न्यायमूर्ति के तौर पर अपना पदभार ग्रहण करनेवाले सीजेआई न्या. भूषण गवई ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन मराठा आरक्षण के मामले की गलत सुनवाई करने हेतु नई खंडपीठ स्थापित करने का आदेश जारी किया है. जिसके चलते अब इस मुद्दे को लेकर हलचले बढ गई है. सीजेआई भूषण गवई व न्या. ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष इस मुद्दे को लेकर सुनवाई हुई. सामाजिक व शैक्षणिक रुप से पिछडे एससीबीसी प्रवर्ग अंतर्गत वैद्यकीय प्रवेश के लिए मराठा विद्यार्थियों को दिए गए 10 फीसद आरक्षण को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिकाओं पर तत्काल नई खंडपीठ स्थापित कर जल्द निर्णय लेने का आश्वासन सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट को दिए है.
ज्ञात रहे कि, इस वर्ष जनवरी माह के दौरान मुंबई उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्या न्यायाधीश देवेंद्रकुमार उपाध्याय का दिल्ली उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के तौर पर तबादला हो जाने के उपरांत मराठा आरक्षण से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं हुई थी. जिसके चलते याचिकाकर्ताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया कि, वे मराठा आरक्षण देनेवाले कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर जल्द सुनवाई करने हेतु तुरंत ही नया खंडपीठ स्थापित करें, जिसके जरिए इस मामले की सुनवाई पूरी कर इसका त्वरीत निपटारा किया जाए.

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