पेट्रोल में मिलावट खोजी, बुकियों को नागपुर से भगाया
बीजेपी रश्मी शुक्ला के नाम पर जवाबदारियों का रिकॉर्ड
* पहली महिला एसपी बनने का भी हासिल किया था सम्मान
नागपुर/दि.5 – राज्य की पहली महिला पुलिस संचालक रश्मी शुक्ला ने इससे पहले भी कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की है. नागपुर ग्रामीण पुलिस विभाग की पहली महिला पुलिस अधीक्षक बनने का सम्मान भी उनके ही नाम पर है. 8 जुलाई 1996 को रश्मी शुक्ला ने नागपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक पद का कार्यभार स्वीकारा था और इसी दौरान उन्होंने पहली बार जिले में पेट्रोल में होने वाली मिलावट के गोरखधंधे को उजागर करते हुए उपराजधानी के एक बडे होटल व्यवसायी को हथकडी लगाई थी.
अप्रैल 1999 तक रश्मी शुक्ला ग्रामीण पुलिस दल में अधीक्षक रही. जिसके बाद उन्हें दक्षिण मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के प्रमुख पद पर नियुक्त किया गया और उनके रुप में इस पद की जिम्मेदारी पहली बार किसी महिला अधिकारी को सौंपी गई थी. पश्चात वर्ष 2003 में रश्मी शुक्ला को नागपुर शहर पुलिस आयुक्तालय में पुलिस उपायुक्त पद पर नियुक्त किया गया. उस समय उनके पास विशेष शाखा, पुलिस मुख्यालय व परिमंडल क्रमांक-3 की जिम्मेदारी दी गई थी और उन्होंने तीनों जिम्मेदारियों को बडे बेहतरीन तरीके से संभाला था. किसी एक अधिकारी के पास 3 पदों की जिम्मेदारी रहने का भी नागपुर शहर पुलिस आयुक्तालय में शायद यह पहला मौका था. परिमंडल-3 की उपायुक्त रहते समय रश्मी शुक्ला ने क्रिकेट बुकियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की थी और उनके द्वारा की गई कार्रवाईयों के डर से कई क्रिकेट बुकियों ने नागपुर छोड दिया था. शुक्ला के उपायुक्त रहने तक नागपुर के सभी बुकी अंडर ग्राउंड थे. रश्मी शुक्ला ने सन 2005 तक करीब 9 साल नागपुर में सेवा दी तथा समूचे राज्य में खलबली मचा देने वाले मोनिका किरणापुरे हत्याकांड की जांच में भी रश्मी शुक्ला की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण थी.
* अकोला में दंगा नियंत्रण में रही शानदार भूमिका
जिस समय रश्मी शुक्ला अकोला में अतिरिक्त पुलिस थी, तब खदान परिसर में जातिय दंगे भडक गये थे और कई स्थानों पर हिंसा, आगजनी व लूटपाट हुई थी. इसे नियंत्रण में लाने के साथ ही कानून व व्यवस्था को अबादित रखने की बडी जिम्मेदारी शुक्ला पर सौंपी गई थी और उन्होंने सारे सूत्र अपने हाथ में लेते हुए महज 8 घंटे के भीतर स्थिति पर काबू पाते हुए दंगेबाजों को हवालात में भिजवाया था तथा दो दिन के भीतर अकोला में हालात को सामान्य करने में उनका योगदान काफी महत्वपूर्ण था.