जल्द ही शरद पवार के साथ दिखेंगे अजीत पवार
विधायक बच्चू कडू ने किया सनसनीखेज दावा
* अजीत गुट के आधे से अधिक विधायकों के पाला बदलने की जतायी संभावना
मुंबई/दि.16 – जल्द ही उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्ववाली राकांपा के आधे से अधिक विधायक एक बार फिर शरद पवार के नेतृत्ववाली राकांपा में चले जाएंगे. साथ ही बहुत जल्द खुद डेप्यूटी सीएम अजीत पवार भी पाला बदलकर एक बार फिर शरद पवार के साथ दिखाई दे सकते है. इस आशय का दावा प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व विधायक बच्चू कडू द्वारा किया गया है. जिसके चलते अच्छी खासी राजनीतिक सनसनी मची हुई है.
विधायक बच्चू कडू ने आज एक मराठी न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए राकांपा में चल रही संभावित उठापठक को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि, आखिरकार यह राजनीति है. जिसमें कौन किस पाले में जाकर बैठेगा. यह कहा नहीं जा सकता. इसके साथ ही विधायक बच्चू कडू ने लाडली बहन योजना को लेकर राज्य की महायुति सरकार में शामिल घटक दलों के बीच चल रही श्रेयवाद की लडाई को लेकर भी निशाना साधा और कहा कि, सरकार में शामिल तीनों घटकदलों द्वारा इस योजना को खुद के द्वारा लाये जाने की बात समूचे राज्य में घुम-घुमकर कही जा रही है. ऐसे में तीनों दलों ने एक साथ बैठकर यह तय कर लेना चाहिए कि, हकीकत में यह योजना किसने लायी थी. वहीं इस समय विधायक बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, छत्रपति संभाजी नगर के बाद अब वे मुंबई में भी मोर्चा निकालने की योजना बना रहे है और यह मोर्चा तीसरी आघाडी के तौर पर निकालने की उनकी इच्छा है. जिसे लेकर 19 सितंबर को पुणे में बैठक भी आयोजित की गई है. जिसमें इस विषय को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा. इसके साथ ही विधायक बच्चू कडू ने कांग्रेस द्वारा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री पद की ऑफर दिये जाने से संबंधित खबर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, यदि वाकई में ऐसा हुआ है, तो इसका सीधा मतलब है कि, कांग्रेस के पास प्रधानमंत्री पद के लिए कोई योग्य व्यक्ति नहीं है.
* भाजपा ने साथ दिया होता, तो शिंदे गुट के और 4 सांसद चुने जाते
इसके साथ ही सीएम एकनाथ शिंदे के समर्थक रहने वाले विधायक बच्चू कडू ने कहा कि, यदि लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा युति धर्म का सही तरीके से पालन किया गया होता, तो सीएम शिंदे के नेतृत्ववाली शिवसेना के और 4 सांसद निर्वाचित हुए होते. विधायक बच्चू कडू के मुताबिक लोकसभा चुनाव के समय अमरावती का सर्वे भाजपा के खिलाफ था और भाजपा के आधे से अधिक पदाधिकारियों की नवनीत राणा को लेकर नाराजगी थी. लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने अमरावती से नवनीत राणा को अपना प्रत्याशी बनाया. इसी तरह भाजपा ने नांदेड व यवतमाल में शिंदे गुट वाली शिवसेना के प्रत्याशी बदलते हुए बिना वजह का हस्तक्षेप किया. यदि ऐसा नहीं हुआ होता, तो आज महायुति के और 4 सांसद रहे होते.