कोई भी भर्ती अदालती आदेश के अधीन ही होगी
मराठा आरक्षण के मामले में हाईकोर्ट का राज्य सरकार को निर्देश
मुंबई/दि.8 – मराठा आंदोलक मनोज जरांगे पाटिल द्वारा विगत कुछ माह से किये गये आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने पिछडावर्गीय आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मराठा समाज को 10 फीसद आरक्षण देने की घोषणा की. परंतु इस 10 फीसद आरक्षण के खिलाफ एड. गुणरत्न सदावर्ते ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी. जिस पर आज हुई सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायालय ने कहा कि, राज्य में किसी भी तरह की पदभर्ती अदालती आदेश के अधीन ही रहेगी. ऐसे में अब एक बार फिर मराठा आरक्षण पर तलवार लटकती नजर आने का अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है.
बता दें कि, राज्य सरकार ने विशेष अधिवेशन बुलाते हुए 20 फरवरी को मराठा समाज हेतु 10 फीसद आरक्षण देने का विधेयक मंजूर किया और मराठा समाज को सरकारी नौकरियों व शिक्षा संस्थाओं में प्रवेश हेतु 10 फीसद आरक्षण देने को मंत्रिमंडल की भी मंजूरी मिल गई. इसके बाद इस फैसले पर तत्काल अमल करना शुरु किया गया. साथ ही पुलिस भर्ती, शिक्षक भर्ती व वैद्यकीय प्रवेश में इस आरक्षण को लागू कर दिया गया है. राज्य में 17 हजार सीटों के लिए पुलिस भर्ती की प्रक्रिया शुरु की गई है. साथ ही 2 हजार शिक्षकों की भर्ती की जानी है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों में 50 हजार सीटों पर प्रवेश होना है. इन सभी के लिए 10 फीसद मराठा आरक्षण को लागू किया गया. जिसे खुले संवर्ग के अभ्यार्थियों व विद्यार्थियों के लिए अन्यायकारक बताते हुए एड. गुणरत्न सदावर्ते ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. जहां पर उनका कहना रहा कि, राज्य सरकार द्वारा लिये गये फैसले के चलते 50 फीसद आरक्षण की अधिकतम मर्यादा का उल्लंघन हो रहा है और संविधान के सामने किसी भी व्यक्ति या समूह को बडा नहीं माना जा सकता. ऐसे में न्या. गिरीष कुलकर्णी व न्या. फिरदौस पुनीवाला ने कहा कि, यद्यपि मराठा आरक्षण के अनुसार किसी भी तरह की भर्ती हेतु प्रमाणपत्र प्रस्तुत किये जाये, लेकिन भर्ती से संबंधित निर्णय अदालती फैसलों के आधार पर भी निर्भर करेगा.
* हाईकोर्ट ने सरकार से चुनौती याचिका पर मांगा जवाब
इसके साथ ही एसईवीसी कानून 2024 का समर्थन करने वालों की ओर से अखिल भारतीय मराठा महासंघ के अध्यक्ष राजेंद्र कोंढारे द्वारा दायर की गई मध्यस्थती याचिका को राज्य सरकार ने सुनवाई हेतु स्वीकार किया है तथा सामाजिक व शैक्षणिक संवर्ग (एसईवीसी) से मराठा समाज को सरकारी नौकरी व शिक्षा में 10 फीसद आरक्षण देने के निर्णय को चुनौति देने वाली जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटीस जारी कर जवाब देने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार को इस याचिका पर 4 सप्ताह में अपना जवाब देना होगा. जिसके दो सप्ताह बाद याचिकाकर्ताओं द्वारा सरकार के पक्ष पश्चात अपना प्रतिज्ञापत्र पेश किया जाएगा. इस आशय का निर्देश देते हुए अदालत ने इस मामले की सुनवाई 6 सप्ताह बाद करने की बात कही.