जल्द ही दुबारा एक हो सकते हैं राकांपा के दोनों गुट
खुद शरद पवार ने किया दावा, कहा - सत्ता पक्ष के साथ जाने से परहेज नहीं

* राज्य की राजनीति में एक बार फिर बडे उलटफेर की संभावना, प्रयासों का दौर तेज
मुंबई/दि.8 – इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर एक बडा उलटफेर होने की संभावना बन रही है. जिसका संकेत खुद राकांपा नेता शरद पवार द्वारा दिया गया है. जिसके तहत शरद पवार ने साफ शब्दों में कहा कि, यदि निकट भविष्य में राकांपा के दोनों गुट एक बार फिर एक साथ दिखाई देते है, तो इसे लेकर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. क्योंकि उनके साथ रहनेवाले कई सांसदों व विधायकों एवं पदाधिकारियों का गुट चाहता है कि, एक बार फिर अजीत पवार के साथ हाथ मिला लिया जाए. इसके साथ ही शरद पवार ने यह भी कहा कि, उन्हें सत्ता पक्ष के साथ जाने से कोई परहेज नहीं है. परंतु संसद में सत्ता पक्ष के साथ जाना है या विपक्ष में रहना है, इसका निर्णय पार्टी के सांसद सुप्रिया सुले को करना होगा. ऐसे में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार के इस बयान को लेकर तरह-तरह के राजनीतिक कयास लगाए जाने शुरु हो गए हैं.
एक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में शरद पवार ने स्वीकार किया कि, उनके गुट वाली राकांपा के कई सदस्य अब अजीत पवार गुट के साथ जाना चाहते है. साथ ही पार्टी के कई सांसद केंद्र में सत्ता पक्ष के साथ रहना चाहते है. ऐसे में उन्होंने खुद को निर्णय प्रक्रिया से अलग करते हुए अजीत पवार के साथ हाथ मिलाने अथवा नहीं मिलाने का फैसला अपनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल पर सौंप दिया है. साथ ही संसद में सत्ता पक्ष या विपक्ष के साथ रहने को लेकर निर्णय लेने का जिम्मा पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले को सौंपा है. राकांपा नेता शरद पवार ने यह भी कहा कि, पार्टी की स्थापना करते समय इधर-उधर रहनेवाले सभी समविचारी लोगों को साथ लिया गया था और चूंकि सबकी विचारधार एक जैसी है. अत: समविचारी रहनेवाले लोग यदि भविष्य में दुबारा एक साथ आते है तो उसमें कोई आश्चर्यवाली बात नहीं होगी.
ज्ञात रहे कि, राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने जुलाई 2023 में शरद पवार की भूमिका से अलग राह पकडते हुए भाजपा के साथ जाने का निर्णय लिया था. इसके बाद पार्टी के नाम व चुनाव चिन्ह पर दावा करते हुए दोनों गुट अदालत भी गए थे तथा दोनों गुटों में एक-दूसरे के खिलाफ लोकसभा व विधानसभा के चुनाव लडे थे. परंतु अब शरद पवार द्वारा अजीत पवार गुट को लेकर दर्शायी गई सौम्य भूमिका एवं भविष्य में दोनों गुटों के एक बार फिर साथ आने को लेकर व्यक्त की गई संभावना के चलते माना जा रहा है कि, राज्य में एक बार फिर कोई बडा राजनीतिक भूकंप होनेवाला है.