मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैवेट दाखिल
याचिकाकर्ता पाटिल ने जताया आरक्षण के टिकने का विश्वास
छत्रपति संभाजी नगर/दि.29 – राज्य सरकार की ओर से मराठा समाज को दिये गये 10 फीसद आरक्षण को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय के सर्वोच्च न्यायालय में कैवेट दाखिल की गई है. इससे पहले भी दो बार मराठा समाज को आरक्षण दिया गया था. जिसके खिलाफ याचिका दायर करते हुए मराठा आरक्षण को रद्द करवा दिया गया था. ऐसे में इस बार एक पक्ष को सुनकर मराठा आरक्षण के संदर्भ में कोई दिक्कत न पैदा हो. इस हेतु पहले ही कैवेट दाखिल कर दी गई है.
इस बारे में जानकारी देते हुए मराठा आरक्षण के याचिकाकर्ता विनोद पाटिल ने बताया कि, इस बार मराठा आरक्षण को लेकर कोई भी संभ्रम रखने की जरुरत नहीं है. बल्कि इस बार दिया गया मराठा आरक्षण कोर्ट में जरुर टिकेगा, ऐसा उन्हें पूरा विश्वास है. साथ ही जिन मराठा समाजबंधुओं के कुणबी संबंधी दस्तावेज मिल गये है, उन्होंने ओबीसी प्रवर्ग से आरक्षण लेना चाहिए और जिनके अब तक दस्तावेज नहीं मिले है. उनके लिए 10 फीसद स्वतंत्र आरक्षण दिया गया है. साथ ही अन्यों के लिए आर्थिक रुप से पिछडे प्रवर्ग से भी आरक्षण दिया गया है. ऐसे में सरकार द्वारा दिये गये आरक्षण को टिकाए रखने की जबाबदारी भले ही खुद सरकार पर ही है. लेकिन सरकार के भरेसे रहने की बजाय यदि किसी के द्वारा मराठा आरक्षण के खिलाफ याचिका दाखिल की जाती है, तो उस समय मराठा समाज का भी पक्ष सुना जाये. इस हेतु यह कैवेट दाखिल किया गया है.