मुंबई/दि.22- जिसके अधिक विधायक उसका मुख्यमंत्री यह फार्मूला न रखें. कम से कम चार दिवारी के भीतर तो मुख्यमंत्री पद का नाम तय कर लेने की भूमिका शिवसेना उबाठा ने रखी है. सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर यह दावा समाचारों में किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि उध्दव ठाकरे गट ने कहा कि मुख्यमंत्री पद का नाम तय किया तो हराओ, गिराओ की राजनीति नहीं होगी. ठाकरे गट की यह मांग कांग्रेस और शरद पवार मानेंगे क्या? यह सवाल है.
महाविकास आघाडी के सोमवार के सम्मेलन में उध्दव ठाकरे ने खुले रुप से कांग्रेस और राकांपा शरद पवार से आवाहन किया था. उन्होंने कहा था कि आप मुख्यमंत्री पद का नाम सुझाए, मैं उसे समर्थन करूंगा. चुनाव से पहले यह घोषणा करने पर उध्दव ठाकरे का जोर था. उध्दव ठाकरे ने कहा कि अधिक विधायक वाले दल का सीएम यह फार्मूला ऐसा है कि इसमें फिर हराओ, गिराओ का काम होता है. इसलिए मुझे यह नहीं चाहिए. ठाकरे की मांग पर कांग्रेस और राकांपा ने अनदेखी की.
इससे पहले युती और आघाडी के राजकारण में जिसके अधिक विधायक, उसका मुख्यमंत्री इस सूत्र के कारण ही गिराने की राजनीति होती थी. महाविकास आघाडी ने यह खतरा होने से मुख्यमंत्री पद का नाम तय करने पर ठाकरे गट जोर दे रहा है. उसका यह भी कहना है कि इससे रणनीति बनाने में आसानी रहेगी. एक मराठी समाचार चैनल ने दावा किया कि उध्दव ठाकरे गट ने बंद कमरे में ही सही सीएम पद का नाम तय करने लेने की भूमिका रखी है.
उधर कांग्रेस ने ठाकरे से अलग राय रखते हुए मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा अभी संभव नहीं होने की बात की. कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री यहां तय नहीं होता. वह आला कमान तय करता है. एक बात अच्छी है कि लोगों में मीडिया में महाविकास आघाडी की सरकार आने का वातावरण तैयार हो गया है. चुनाव होने दे, जीतने दे, जितने विधायक चुनकर आते है, वह देखेंगे फिर सरकार कौन चलाएगा यह बाद में भी तय किया जा सकता है.