मुंबई./दि. 21 – बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि, पुलिस के विरुद्ध शिकायतें अधिकांशत: गंभीरता से नहीं ली जाती अथवा उन पर विश्वास नहीं किया जाता. कोर्ट ने पति की गैरकानूनी गिरफ्तारी के कारण महिला को 1 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया. यह रकम संबंधित अधिकारी से वसूल करने के लिए पुलिस को कहा है.
न्या. भारती डांगरे और न्या. मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने एक महिला की अर्जी पर निर्णय देते हुए उपरोक्त टिप्पणी की. खंडपीठ ने कहा कि, डिटेन करने अथवा गिरफ्तार करने की आवश्यकता न रहने पर भी याची के पति को हिरासत में डाला गया. पुलिस ने गिरफ्तारी के अधिकार का दुरुपयोग करने का यह उत्तम उदाहरण है.
याचिकाकर्ता महिला और उसके पति ने शीव परिसर स्थित अपने घर की मरम्मत शुरु की थी. उस समय अनधिकृत निर्माण का दावा कर पडोसी ने उनसे रिश्वत मांगी. मना करने पर पडोसी ने उन्हें सताना शुरु कर दिया. जिससे परेशान होकर दोनों ने वडाला टीटी थाने में दौड लगाई.
पुलिस ने कहा कि, यह मामला हमारी हद में नहीं आता. दंपति की शिकायत लेने से मना कर दिया. पुलिस ने याचिकाकर्ता का प्रकरण बंद करने के लिए पैसे मांगे. कोर्ट ने कहा कि, इस केस से सिद्ध होता है कि, पुलिस के विरुद्ध शिकायतों पर गौर नहीं किया जाता.