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कोर्ट ने भेज दी राष्ट्रपति को नोटिस

मामला वर्धा के हिन्दी विश्वविद्यालय का

* महामहिम पदेन कुलाध्यक्ष
नागपुर/ दि.8- बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ नेे वर्धा स्थित महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलगुरू नियुक्ति विवाद में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए विद्यापीठ के कुलाध्यक्ष अर्थात राष्ट्रपति को नोटिस जारी कर दी. महामहिम के अलावा विवि के कुल सचिव और प्रभारी कुलगुरू भीमराय मैत्री को नोटिस देकर आगामी 29 नवंबर तक जवाब मांगा गया है. यह नोटिस न्या. अविनाश घरोटे और न्या. उर्मिला जोशी ने जारी किए है. इस बारे में डॉ. लेल्ला कारूण्य कारा ने एड. फिरदौस मिर्जा के जरिए कोर्ट में गुहार लगाई हैं. उन्होंने कानून के अनुसार विद्यापीठ के बाहर के व्यक्ति की कुलगुरू के रूप में नियुक्ति पर आक्षेप लिया है.
दरअसल हिन्दी विवि से प्रो. डॉ. रजनीशकुमार शुक्ल के गत अगस्त में त्यागपत्र देने के बाद डॉ. कारूण्यकारा को प्रा. कुलगुरू नियुक्त किया गया था. विद्यापीठ कुलपति ने बाद में डॉ. कारूण्यकारा के स्थान पर भारतीय प्रबंधन संस्थान के संचालक डॉ. भीमराय मैत्री को गत 19 अक्तूबर के आदेश से हिन्दी विवि का कुलगुरू नियुक्त किया. जिस पर डॉ. कारूण्यकारा ने अपने वकील के मार्फत आक्षेप लिया है.
याचिकाकर्ता का दावा है कि कुलपति के त्यागपत्र पश्चात प्रा. कुलपति को नियुक्त किया जाना चाहिए. लेकिन प्रो. रजनीश शुक्ल ने जब त्यागपत्र दिया तब प्र-कुलपति पद पर कोई नियुक्त नहीं था. इस कारण जब तक कुलपति पद पर किसी को नियुक्त नहीं किया जाता, तब तक वहां वरिष्ठ प्रोफेसर का मनोनयन करना जरूरी है. हिन्दी विवि के कुलाध्यक्ष द्बारा की गई डॉ. मैत्री की नियुक्ति में नियमों का उल्लंघन हुआ है. प्रतिवादी की तरफ से एड. ए. सी. धर्माधिकारी ने पक्ष रखा.
संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार देश के राष्ट्रपति किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं है. इस प्रकरण में राष्ट्रपति के रूप में नहीं बल्कि विवि के कुलाध्यक्ष के तौर पर उन्होंने कुलपति नियुक्ति का निर्णय किया है. इसलिए उन्हें नोटिस जारी किया जा सकता है, ऐसा तर्क एड. फिरदौस मिर्जा ने रखा. एड. मिर्जा ने 1982 के पंजाब- हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले का उदाहरण दिया.

 

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