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कस्टमाइज्ड हेल्मेट का बोलबाला

रायडर्स में बढ़ती है मांग

नागपुर/दि.7– वाहन चलाते समय सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक हेल्मेट पहनने वालों की संख्या बढ़ी है. कोई जुर्माना चुकाने के लिए तो कोई सही में स्वयं की सुरक्षा हो, इस उद्देश्य से हेल्मेट का इस्तेमाल करते हैं. शौक के रुप में रायडिंग करने वाले मनमाफिक कस्टमाइज्ड हेल्मेट का इस्तेमाल करते दिखाई देते हैं.
वाहन चालकों के लिए बाजार में हेल्मेट के विविध प्रकार उपलब्ध है. इनमें फूलमेस हेल्मेट, हाफफेस हेल्मेट, मॉड्युलर हेल्मेट, हाफशेल हेल्मेट, ऑफरोड हेल्मेट,ड्युअल स्पोर्ट हेल्मेट का प्रमुख रुप से समावेश है. विविध क्षेत्रों में, अलग-अलग कामों के लिए विशिष्ट हेल्मेट मिलते हैं. इनमें क्नाइट, आर्मी, वेगा, बेल, आर्मर, फुटबॉल, सेफ्टी, मोटोक्रॉस, प्रिडेटर, अराई, फॅण्टसी स्कल आदि का अंतर्भाव है.
इस बाबत अधिक जानकारी देते हुए कस्टमाइज्ड हेल्मेट का इस्तेमाल करने वाले युवक ने बताया कि युवकों में कस्टमाइज्ड हेल्मेट का आकर्षण बड़े पैमाने पर है. लाइट इमिटिंग कोटिंग (एलईसी) वाले हेल्मेट की सर्वाधिक मांग है. इस कस्टमाइज्ड हेल्मेट की विशेषता यह है कि हेल्मेट से लाइट निकलता है और अंधेरे में वह चमकता है. साथ ही स्कल डिजाइन, जोकर हेड, बॅडमॅन, आयर्नमॅन आदि डीसी एवं मार्व्हल पत्रे के स्टिकर्स वाले हेल्मेट की डिजाइन्स युवकों को पसंद है. वायब्रंट रंग, गाड़ी के रंग से काँट्रास्ट वाले हेल्मेट युवक पसंद करते है. लड़कियों को पेस्टल रंग का हेल्मेट अधिक भाता है. इस पर भी सटल प्लेन पेस्टल रंग अधिक पसंद है.

ऐसे हुआ सुरक्षा कवच का जन्म
बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए आज की घड़ी में हेल्मेट सुरक्षा कवच साबित हो रहा है. सन 1900 के दरमियान बाइक रेसिंग की शुरुआत हुई. इस उद्देश्य से 1914 में सर्वप्रथम ब्रिटिश चिकित्सक डॉ. एरिक गार्डनर ने रायडर के सिर की सुरक्षा करने के लिए हेल्मेट बनाया. पश्चात रेसिंग स्पर्धा के आयोजकों ने स्पर्धकों ने स्वयं के सिर की सुरक्षा करना अनिवार्य किया. वहां से आगे मोटर साइकिल चलाते समय हेल्मेट का जन्म हुआ.

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