वर्धा में देशमुख विरुद्ध देशमुख
राकांपा के भीतर ही हो सकता है टकराव
* मविआ में दावेदारी को लेकर जबर्दस्त खींचतान
वर्धा/दि.14 – लोकसभा चुनाव अब लगभग सिर पर आ गया है. जिसे ध्यान में रखते हुए लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रुप देना शुरु कर दिया है. जिसके तहत कांग्रेस, राकांपा व शिवसेना उबाठा का समावेश रहने वाली महाविकास आघाडी में भी सीटों के बंटवारे को लेकर जबर्दस्त माथापच्ची चल रही है. लेकिन वर्धा संसदीय सीट को लेकर मविआ में अब भी पेंच बना हुआ है. साथ ही यहां पर मविआ में शामिल कांग्रेस व राकांपा के बीच जबर्दस्त रस्सीखींच वाली स्थिति रहने के साथ-साथ अब इस सीट पर अपना दावा कर रही राकांपा में भी दो इच्छूकों के बीच जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा वाली स्थिति बन गई है. जिसके चलते वर्धा संसदीय सीट के लिए राकांपा में दो देशमुखों के बीच अच्छा खासा टकराव देखा जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि, किसी समय कांग्रेस का मजबूत गढ रहने वाले वर्धा संसदीय क्षेत्र को आगे चलकर भाजपा ने अपने कब्जे में ले लिया था और धीरे-धीरे यहां पर कांग्रेस कमजोर होती चली गई. जिसके चलते आज यह स्थिति है कि, वर्धा संसदीय सीट पर कांग्रेस के पास कोई सशक्त प्रत्याशी ही नहीं है. जिसके चलते मविआ में शामिल रहने वाली राकांपा के शरद पवार ने इस सीट पर अपनी नजरे गडाई और मोर्शी के पूर्व विधायक हर्षवर्धन देशमुख को वर्धा संसदीय क्षेत्र में अपना जनसंपर्क बढाने हेतु कहा. लेकिन वहीं दूसरी ओर राकांपा की ओर से ही वर्धा के पूर्व विधायक सुरेश देशमुख के बेटे समीर देशमुख ने भी वर्धा संसदीय क्षेत्र के चुनाव लडने की इच्छा जताते हुए अपनी ओर से मोर्चाबंदी करनी शुरु कर दी है. जिसके चलते महाविकास आघाडी सहित खुद राकांपा में ही देशमुख विरुद्ध देशमुख वाला दृश्य दिखाई दे रहा है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, गत वर्ष से ही महाविकास आघाडी में शामिल वर्धा जिले के स्थानीय नेताओं ने पूर्व विधायक सुरेश देशमुख के नेतृत्व में पत्रकार परिषद लेते हुए वर्धा संसदीय क्षेत्र में बाहरी उम्मीदवार नहीं दिये जाने की मांग उठाई थी. अब जब राकांपा की ओर से हर्षवर्धन देशमुख द्वारा वर्धा संसदीय सीट पर अपनी दावेदारी जताई जा रही है, तो राकांपा में ही शामिल रहने वाले सुरेश देशमुख द्वारा उन्हें बाहरी उम्मीदवार बताते हुए अपने बेट ेसमीर देशमुख के पक्ष में माहौल बनाया जा रहा है.
वहीं दूसरी ओर हर्षवर्धन देशमुख की दावेदारी का वर्धा जिले के कांग्रेस नेताओं द्वारा भी यह कहते हुए विरोध किया जा रहा है कि, वर्धा संसदीय सीट हमेशा से ही कांग्रेस के हिस्से में रहती आयी है और महात्मा गांधी की कर्मभूमि रहने वाला वर्धा जिला हमेशा से कांग्रेस की परंपरागत सीट रहा है. ज्ञात रहे कि, किसी समय वर्धा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति बेहद मजबूत हुआ करती थी. बाहरी उम्मीदवार रहने वाले एवं वर्धा जिले के जातिगत समीकरण में बिल्कुल भी नहीं बैठने वाले कमलनयन बजाज ने 1957, 1962 व 1967 तथा वसंत साठे ने 1980, 1984 व 1989 ऐसे तीन-तीन बार वर्धा संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता था. उस समय कांग्रेस के पास यह विश्वास हुआ करता था कि, कांगे्रस की टिकट पर कही से भी किसी भी उम्मीदवार को लाकर वर्धा संसदीय सीट से खडा कर देने पर भी कांग्रेस की जीत पक्की है. लेकिन आगे चलकर विजय मुडे व सुरेश वाघमारे सहित रामदास तडस ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडते हुए जीत हासिल की. इसके बाद से धीरे-धीरे वर्धा जिले में कांग्रेस का प्रभाव खत्म होता चला गया और भाजपा मजबूत होती गई. आज वर्धा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के पास यूं तो चुनाव लडने के लिए कई इच्छूक दावेदार है. किंतु उनमें से किसी को भी सशक्त चेहरा नहीं कहा जा सकता. इसे देखते हुए महाविकास आघाडी में शामिल शरद पवार ने इस बार वर्धा संसदीय सीट को अपने पाले में लेने के प्रयास तेज कर दिये है और उन्होंने अपने बेहद विश्वासपात्र रहने वाले पूर्व मंत्री हर्षवर्धन देशमुख को वर्धा संसदीय क्षेत्र में जनसंपर्क बढाते हुए प्रचार शुरु करने का निर्देश भी करीब डेढ-दो महिने पहले ही दे दिया था. हालांकि वर्धा जिले में हिंगणघाट विधानसभा क्षेत्र को छोडकर अन्य कही पर भी राकांपा का कोई विशेष प्रभाव नहीं है. इस बात के मद्देनजर कांग्रेस द्वारा वर्धा संसदीय सीट पर राकांपा की दावेदारी का शुरु से ही विरोध किया जा रहा था. वहीं अब खुद राकांपा के भीतर ही हर्षवर्धन देशमुख की दावेदारी का पूर्व विधायक सुरेश देशमुख व उनके बेटे समीर देशमुख द्वारा विरोध किया जा रहा है और देशमुख पिता-पुत्र ने हर्षवर्धन देशमुख को बाहरी उम्मीदवार करार देते हुए वर्धा संसदीय सीट से राकांपा के टिकट पर समीर देशमुख को प्रत्याशी बनाए जाने हेतु प्रयास तेज कर दिये है. जिसके चलते अब वर्धा मेें राकांपा के भीतर ही देशमुख विरुद्ध देशमुख वाला दृश्य दिखाई देने की पूरी संभावना है.