मविआ व महायुति की वजह से राज्य में बढी किसान आत्महत्याएं
छत्रपति संभाजी राजे का प्रतिपादन
* तीसरी आघाडी की पहली बैठक में ही साधा निशाना
छ. संभाजीनगर /दि.27- तेलंगणा जैसे छोटे राज्य में किसानों को 24 घंटे बिजली मिलती है. साथ ही छोटे-छोटे देशों की जीडीपी भी बढ रही है. लेकिन इतने बडे महाराष्ट्र राज्य में अब भी किसानों को 24 घंटे बिजली मिलना मुश्किल है. साथ ही आजादी के 75 वर्ष बाद भी किसानों की समस्याएं जस की तस कायम है. क्योंकि सत्ताधारियों और विपक्ष के पास किसानों को लेकर कोई नीति नहीं है. जिसके चलते विगत कई वर्षों से पूरे देश में महाराष्ट्र किसान आत्महत्याओं का केंद्र बना हुआ है तथा राज्य में किसान आत्महत्याओं के मामले लगातार बढ रहे है. इस आशय का प्रतिपादन स्वराज्य पार्टी के मुखिया छत्रपति संभाजी राजे द्वारा की गई.
आगामी विधानसभा चुनाव हेतु स्थापित परिवर्तन महाशक्ति नामक तीसरी आघाडी का पहला राज्यस्तरीय सम्मेलन गत रोज छत्रपति संभाजी नगर के संत एकनाथ रंग मंदिर में आयोजित किया गया. जिसमें तीसरी आघाडी के घटन हेतु सतत प्रयास करने वाले प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया व विधायक बच्चू कडू स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के मुखिया व पूर्व सांसद राजू शेट्टी सहित पूर्व विधायक वामनराव चपट, शंकर अन्ना धोंडगे व जय जवाल पार्टी के नारायण अंकुशे आदि उपस्थित थे. इस बैठक के प्रारंभ में ही यह तय किया गया कि, बैठक मेें उपस्थित किसी भी नेता का हार व फूल देकर सत्कार नहीं किया जाएगा. ऐसे में सत्कार की औपचारिकता पूरी किये बिना ही यह बैठक शुुरु हुई. जिसमें सभी उपस्थित नेताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये.
* राकांपा का दोनों तबलों पर हाथ
इस समय छत्रपति संभाजी राजे ने कहा कि, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में दो फाड हुई, जब उन्हें समझ ही नहीं आया कि, आखिर हो क्या रहा है. क्योंकि राकांपा के कुछ लोग सत्ता में शामिल हुए. वहीं आधी पार्टी विपक्ष में रह गई. जिस तरह ग्रामीण क्षेत्र में बुद्रुक यानि बडा गांव व खुर्द यानि छोटा गांव की व्यवस्था होती है. इसी तरह से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी फूटी तथा बुद्रुक में भी राष्ट्रवादी व खुर्द में भी राष्ट्रवादी जैसी अवस्था हो गई. कुछ ऐसी ही स्थिति शिवसेना में भी हुई बगावत के बाद पैदा हुई थी. जिसके चलते कुछ लोगों का हाथ दोनो तबलों पर रहा. इधर मन नहीं लगा, तो उधर चले गये और उधर मामला नहीं जमा, ता इधर आ गये वाली तर्ज पर आयाराम गयाराम की राजनीति होनी शुरु हो गई. छत्रपति संभाजी राजे ने यह भी कहा कि, इन दिनों महाराष्ट्र के सत्ताधारियों द्वारा छत्रपति संभाजी महाराज का नाम लेकर अपनी राजनीति चमकाई जाती है. लेकिन शिवकालीन किलो की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता. यह अपने आप में बेहद विकट अवस्था है.
* कांग्रेस व भाजपा ने लोगों को जाति व धर्म के झंडों में अटकाया
– विधायक बच्चू कडू ने मविआ व महायुति पर साधा निशाना
इस समय अपने विचार व्यक्त करते हुए विधायक बच्चू कडू ने कहा कि, कांग्रेस व भाजपा ने राज्य के सर्वसामान्य नागरिकों को जाति व धर्म के मुद्दों में अटकाकर रखने के साथ ही हरे, नीले, पीले व भगवा रंगों में बांट दिया है. साथ ही लोगों की मानसिकता कुछ इस तरह से बना दी गई है कि, चाहे घर में किसी की मौत ही हो जाये. लेकिन नेता जीवित रहना चाहिए. विधायक बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग का गठन तो किया था, लेकिन आयोग की सिफारिशों पर अगले 10 वर्षों के दौरान कभी अमल नहीं किया. ऐसे में अब कांग्रेस से हिसाब किताब पूरा करने का समय आ गया है. वहीं इसके बाद वर्ष 2014 में सत्ता में आयी मोदी सरकार ने भी किसानों को गड्ढे में डालने का काम किया. ऐसे में अब भाजपा को भी उसकी असली जगह दिखाने की जरुरत है. जिसके चलते अब राज्य में परिवर्तन महाशक्ति के तौर पर जनता को नया पर्याय दिया गया है. विधायक बच्चू कडू ने यह भी कहा कि, कांग्रेस व भाजपा जैसे बडे-बडे राजनीतिक दलों द्वारा चुनावों को काफी महंगा व खर्चिला कर दिया गया है तथा इन राजनीतिक दलों ने एक-एक निर्वाचन क्षेत्र में 100-100 करोड रुपए खर्चा करने की तैयारी कर रखी है. ऐसे में आम मतदाताओं को भी अब ऐसे दलों व लोगों के झांसे में आने से बचना होगा तथा महाराष्ट्र को प्रगतीशील बनाने हेतु मैदान में उतरी तीसरी आघाडी का साथ देना होगा.
* शरद पवार ने किया किसानों का सत्यानाश
– पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने लगाया आरोप
इसके साथ ही स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष व पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने अपने संबोधन में कहा कि, राज्य में किसानों की दुरावस्था के लिए पूरी तरह से कभी राज्य के मुख्यमंत्री व कभी केंद्रीय कृषि मंत्री रह चुके शरद पवार जिम्मेदार है. राजू शेट्टी के मुताबिक कन्नड का शक्कर कारखाना विधायक रोहित पवार ने 45 करोड रुपयों में लिया और किसानों के कारखाने बेचे जाते समय शरद पवार शांत बैठे रहे. इसके साथ ही जब राज्य में किसान आत्महत्याओं का दौर शुरु हुआ, तब केंद्र सरकार में मंत्री रहने के बावजूद भी शरद पवार ने कोई कदम नहीं उठाया. इसके साथ ही पूर्व विधायक वामनराव चपट ने कहा कि, विगत 12 वर्षों में 35 हजार से अधिक किसान आत्महत्याएं हुई है. लेकिन इससे मानो महायुति व व महाविकास आघाडी का कोई लेना-देना ही नहीं है. ऐसे में अब राज्य के किसानों व खेतीहर मजदूरों ने परिवर्तन महाशक्ति के साथ खडे होना चाहिए.