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कमाऊं पत्नी को गुजारा भत्ता का हक नहीं

हाईकोर्ट ने दे दिया स्टे

* पति की अर्जी पर निर्णय
नागपुर /दि. 26- एक व्यक्ति ने बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर कर कमाऊ पत्नी को गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार नहीं होने का दावा किया. इसके लिए फौजदारी प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों का उल्लेख किया. उच्च न्यायालय ने इसके साथ अन्य प्राथमिक बातों का विचार करते हुए पत्नी सहित दो वर्षीया पुत्री को अस्थाई रुप से गुजारा भत्ता देने पर रोक लगा दी है.
प्रकरण की सुनवाई न्या. गोविंद सानप के समक्ष हुई. इस मामले में पति आशीष नाशिक और पत्नी अश्विनी यवतमाल जिले की निवासी है. उनका 26 फरवरी 2019 को विवाह हुआ था. उपरांत एक पुत्री का जन्म हुआ. इस दौरान अश्विनी के अनैतिक संबंध उजागर होने से एक क्षण में ही उनके सुखी संसार में आग लग गई. विवाद बढ गया. अश्विनी मायके में चली गई.
अश्विनी ने फौजदारी प्रक्रिया संहिता की धारा 125 अंतर्गत गुजारा भत्ता के लिए और आशीष ने हिंदू विवाह कानून अंतर्गत सोडचिठ्ठी के लिए यवतमाल परिवार न्यायालय में अर्जी दायर की. परिवार न्यायालय ने गत 24 जून को दोनों प्रकरणों में पत्नी को 10 हजार रुपए और पुत्री को 20 हजार रुपए प्रति माह गुजारा भत्ता मंजूर किया. इस निर्णय पर पति ने आपत्ति उठाई. पति का कहना रहा कि, आवश्यक बातों का विचार नहीं किया गया.
* पत्नी को 70 हजार पगार
पति आशीष की ओर से एड. महेश धात्रक ने पक्ष रखा. विभिन्न महत्वपूर्ण मुकदमों की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट किया. फौजदारी प्रक्रिया संहिता में धारा 12 (1) अनुसार स्वयं की देखभाल के लिए असक्षम पत्नी ही पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है. कमाऊ पत्नी को इस प्रकार के भत्ते का कानून में प्रावधान नहीं है. इस प्रकरण में पत्नी सरकारी बैंक में 70 हजार रुपए मासिक वेतन पर नौकरी कर रही है. इस राशि में वह अपनी और पुत्री की देखभाल, पालनपोषण कर सकती है. उसे गुजारा भत्ता नहीं दिया जा सकता. एड. धात्रक ने कोर्ट से अनुरोध किया कि, पत्नी ने अपना ससुराल का घर छोड दिया. उसके अनैतिक संबंध भी थे. जिससे भी वह गुजारा भत्ता की अधिकारी नहीं है.

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