महाराष्ट्र में सस्ती नहीं होगी बिजली
महावितरण की दर कटौती को नियामक आयोग की स्थगिती

* नियामक आयोग व महावितरण के विवाद से ग्राहकों का नुकसान
मुंबई /दि.3- महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग व महावितरण के बीच विद्युत दरों को लेकर चल रहे विवाद के चलते राज्य के नागरिकों को फिलहाल सस्ती दरों पर बिजली नहीं मिलनेवाली, बल्कि नागरिकों को पुरानी दरों के अनुसार ही बिजली के बिल अदा करने होंगे. राज्य की सभी विद्युत कंपनियों की बिजली दरों में 1 अप्रैल से कटौती करने के फैसले को लेकर महावितरण द्वारा आपत्ति दर्ज कराए जाने के बाद नियामक विद्युत आयोग ने सभी श्रेणी की विद्युत दरों में करीब 10 फीसद की कटौती करने के निर्णय को फिलहाल स्थगिती दी है.
उल्लेखनीय है कि, राज्य में आगामी 5 वर्ष के दौरान विद्युत दरों में चरणबद्ध ढंग से कटौती किए जाने का मानस राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में हुए विधान मंडल के बजट सत्र दौरान व्यक्त किया था. लेकिन सरकार के ही अधिपत्य में रहनेवाले महावितरण द्वारा आर्थिक समिकरण आगे करते हुए विद्युत दर कटौती का विरोध किए जाने पर आश्चर्य जताया जा रहा है. जबकि खुद महावितरण ने वर्ष 2025-26 से 2029-30 की कालावधि हेतु दर निश्चिती याचिका दाखिल की थी. जिस पर 28 मार्च को फैसला करते हुए विद्युत नियामक आयोग ने बिजली की दरों में औसत 10 फीसद की कटौती घोषित की. साथ ही बिजली की नई दरें 1 अप्रैल से लागू होनेवाली थी. परंतु अब महावितरण ने इस आदेश पर आक्षेप लेते हुए पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का निर्णय लिया है. महावितरण कंपनी द्वारा अप्रैल माह के अंत में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाएगी, यह जानकारी आयोग को देते हुए महावितरण कंपनी ने आयोग के आदेश पर स्थगिती देने का निवेदन किया. जिसे आयोग ने स्वीकार कर लिया. ऐसे में फिलहाल महाराष्ट्र में बिजली सस्ती नहीं होगी.
खास बात यह है कि, टाटा, अदानी व बेस्ट व्यवस्थापन ने आयोग के दर कटौती वाले आदेश को मान्य कर लिया है. जिसके चलते इन तीनों कंपनियों के ग्राहकों को विद्युत दर कटौती की राहत मिली है, परंतु महावितरण के ग्राहकों पर दर वृद्धि का खतरा मंडरा रहा है. महावितरण द्वारा अप्रैल माह के अंत में पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी. जिस पर सुनवाई व निर्णय होने हेतु 2 से 3 माह का समय भी लग सकता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, महावितरण व विद्युत नियामक आयोग के बीच चल रहे इस विवाद के चलते आम विद्युत उपभोक्ताओं का नुकसान हो सकता है.