कर्ज से तंग आकर एक ही परिवार के 9 लोगों ने की थी आत्महत्या
सांगली पुलिस की जांच में सामने आया तथ्य
* 25 के खिलाफ मामला दर्ज, 13 को लिया गया हिरासत में
सांगली/दि.21- गत रोज सांगली जिले के मिरज तहसील अंतर्गत म्हैसाल गांव के अंबिकापुर निवासी दो भाईयों के परिवार के 9 सदस्यों ने एकसाथ जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी. जिसे लेकर पूरे परिसर में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त हो गया था. वहीं अब सांगली पुलिस ने इस मामले की जांच करते हुए यह तथ्य खोज निकाला है कि, सिर पर चढे साहूकारी कर्ज के बोझ और साहूकारों द्वारा कर्ज की वसूली हेतु हमेशा लगाये जानेवाले तगादे से तंग आकर इस परिवार ने एक साथ आत्महत्या करने का फैसला लिया और परिषद के सभी सदस्यों ने एकसाथ जहर पीकर इस फैसले पर अमल भी किया. ऐसे में अब मिरज ग्रामीण पुलिस थाने में 25 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है. साथ ही 13 लोगोें को गिरफ्तार किया गया है. पता चला है कि, इनमें से अधिकांश लोगों पर इससे पहले भी कुछ अपराधिक मामले दर्ज है.
बता दें कि, मिरज तहसील अंतर्गत म्हैसाल स्थित अंबिका नगर में पेशे से डॉक्टर व शिक्षक रहनेवाले 2 सगे भाईयों के परिवार के 9 सदस्यों द्वारा सामूहिक आत्महत्या कर ली गई. पता चला है कि, मृतकों में माणिक वनमोरे तथा पोपट वनमोरे नामक दो भाईयों की मां सहित पत्नियों व बच्चों का भी समावेश था और सर्वाधिक आश्चर्यवाली बात यह है कि, पेशे से डॉक्टर रहनेवाले माणिक वनमोरे तथा शिक्षक के रूप में काम करनेवाले पोपट वनमोरे अलग-अलग घरों में अपने-अपने परिवार के साथ रहा करते थे और दोनोें ने अलग-अलग घरों में अपने परिवार के साथ एक ही समय पर आत्महत्या कर ली. इसके तहत एक घर से 6 लोगों के तथा दूसरे घर से 3 लोगों के शव बरामद हुए. माणिक वनमोरे के घर से उनकी मां अक्का वनमोरे, पत्नी रेखा वनमोरे, बेटी प्रतिमा वनमोरे व बेटे आदित्य वनमोरे के शव बरामद हुए थे. वहीं पोपट वनमोरे ने अपनी पत्नी अर्चना वनमोरे, बेटी संगीता वनमोरे तथा बेटे शुभम वनमोरे के साथ जहर पीकर आत्महत्या कर ली.
इस घटना की जानकारी सामने आते ही मिरज तहसील सहित पुरे सांगली जिले में हडकंप व्याप्त हो गया था. पश्चात मिरज पुलिस द्वारा शुरू की गई जांच के दौरान माणिक वनमोरे व पोपट वनमोरे की जेब से दो सुसाईड नोट बरामद हुए. जिसमें कई लोगों के नाम दर्ज किये गये थे और कहा गया था कि, दोनोें भाईयों ने इन लोगों से व्यापार हेतु अच्छी-खासी रकम ली थी. जिसे वापिस लौटाने में वनमोरे परिवार असमर्थ रहा. ऐसे में निजी साहूकारों द्वारा कर्ज वसूली हेतु तगादा लगाने के साथ-साथ उन्हें धमकाया जाने लगा. जिससे घबराकर और तंग आकर माणिक और पोपट वनमोरे ने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या करने का फैसला लिया.
* घर में कोई रोनेवाला तक नहीं बचा
उल्लेखनीय है कि, पोपट वनमोरे तथा माणिक वनमोरे के घर बेहद आसपास ही स्थित है और दोनों भाईयों के बीच बडे शानदार संबंध रहे. दोनों भाईयों के परिवार के सभी सदस्यों का एक-दूसरे के यहां रोजाना आना-जाना था और जिंदगी का हर फैसला वे साथ मिलकर ही लेते थे. इसी के तहत उन्होंने अपने जीवन का सबसे बडा व अंतिम फैसला भी एकसाथ मिलकर लिया. जिस पर पूरे परिवार ने एक साथ मिलकर अमल भी किया. ऐसे में अब दोनों भाईयों के परिवार में इन मौतों पर कोई रोनेवाला तक नहीं बचा है.
* ऐसे उजागर हुआ मामला
सोमवार की सुबह जब काफी देर तक डॉ. माणिक वनमोरे के घर का दरवाजा नहीं खुला, तो दूधवाले ने पास में रहनेवाली उनकी चचेरी भाभी आशा वनमोरे को इसकी जानकारी दी और जब आशा वनमोरे ने वहां पहुंचकर घर के भीतर झांका तो, छह कमरों में 6 लोगों की लाशें पडी दिखाई और सबके मुंह से फेस निकल रहा था. यह जानकारी देने हेतु उन्होंने पोपट वनमोरे के यहां फोन किया, तो दूसरी ओर से किसी ने फोन नहीं उठाया. ऐसे में जब आशा वनमोरे पोपट वनमोरे के यहां पहुंची, तो वहां पर भी तीन लोगों के शव पडे हुए थे. विशेष उल्लेखनीय है कि, पोपट वनमोरे की बडी बेटी अर्चना ने दो साल पहले ही बैंकिंग की परीक्षा उत्तीर्ण की थी और वह कोल्हापुर स्थित बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत थी, जो शनिवार को ही अपनी दादी के साथ गांव वापिस लौटी थी. अर्चना का शव रसोई घर से बरामद हुआ. वहीं पोपट वनमोरे का शव हॉल में और उनकी पत्नी संगीता का शव बेडरूम में पडा हुआ था. ऐसे में अंदाजा है कि, शायद अर्चना को इस विष प्रयोगवाले निर्णय की जानकारी नहीं थी और रविवार की रात विष प्रयोग होने के बाद तकलीफ होने पर वह पानी पीने के लिए रसोई घर में गई और वहीं गश खाकर गिर गई. जहां पर उसकी मौत हुई.
* शोकाकुल माहौल में हुआ अंतिम संस्कार
आज मिरज के सरकारी अस्पताल में सभी शवों पर पोस्टमार्टम किया गया. जिसके उपरांत सभी शव गांव में ही रहनेवाले वनमोरे परिवार के रिश्तेदारों के सुपुर्द किये गये. पश्चात दोनों भाईयों के परिवार के 9 सदस्यों की अंतिम यात्रा एकसाथ निकाली गई और सभी शवों पर एक साथ अंतिम संस्कार किये गये. यह म्हैसाला गांव सहित मिरज तहसील एवं सांगली जिले में पहला मौका था, जब एक ही परिवार के 9 लोगों की अंतिम यात्रा व अंतिम संस्कार का दृश्य एकसाथ दिखाई दिया.