अच्छा हुआ, ओबीसी आरक्षण को लेकर हडबडी नहीं की
राकांपा नेत्री व सांसद सुप्रिया सुले का कथन
वर्धा/दि.16– ओबीसी आरक्षण को हासिल करने हेतु हडबडी किये जाने के चलते मध्यप्रदेश में ओबीसी संवर्ग की 60 फीसद सीटें कम हो गई है. ऐसे में अच्छा हुआ कि, महाराष्ट्र द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं की गई. अन्यथा यहां पर भी ऐसा ही नुकसान हुआ होता, इस आशय का प्रतिपादन करते हुए राकांपा नेत्री व सांसद सुप्रिया सुले ने ओबीसी आरक्षण को लेकर हो रही देरी को एक तरह से अच्छा ही बताया.
राज्यव्यापी दौरे पर निकली सांसद सुप्रिया सुले ने गत रोज वर्धा के सरकारी विश्राम गृह में आयोजीत पत्रकार परिषद में कहा कि, ओबीसी आरक्षण की परीक्षा में मध्यप्रदेश एक तरह से अनुत्तीर्ण हो गया है और ऐसे अनुत्तीर्ण विद्यार्थियों का उदाहरण कभी नहीं दिया जाता. यदि हमने भी मध्यप्रदेश की तरह जल्दबाजी की होती, तो हमें भी ऐसे ही असफलता का सामना करना पडा रहा होता. ऐसे में हम असफल होने से बच गये है और बहुत जल्द पूरी तैयारी के साथ इस परीक्षा को उत्तीर्ण करते हुए ओबीसी आरक्षण के मामले में सफलता प्राप्त करेंगे.
इस अवसर पर सांसद सुप्रिया सुले ने भाजपा पर ईडी का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि, जिन-जिन लोगों द्वारा भाजपा के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है, उनके खिलाफ केंद्र सरकार द्वारा ईडी की कार्रवाई की जाती है. इस पत्रवार्ता में पूर्व विधायक सुरेश देशमुख, पूर्व सांसद सुबोध मोहिते, हिंगणघाट कृषि उत्पन्न बाजार समिती के सभापति सुधीर कोठारी तथा राकांपा पदाधिकारी अतुल वांदिले उपस्थित थे.
* सरनेम को लेकर गलती हुई तो ओबीसी को होगी बडी दिक्कत
– मंत्री छगन भुजबल ने जताई आशंका
वहीं दूसरी ओर राज्य के अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल के मुताबिक ओबीसी संवर्ग के आरक्षण को लेकर जिस तरह की खबरें सामने आ रही है, वह काफी धक्कादायक है. यदि केवल सरनेम के आधार पर ही जानकारी दर्ज की जाती है, तो इससे काफी गडबडियां और गलतिया होने का अंदेशा रहेगा और यदि गलत आंकडे बनते है, तो आगे चलकर ओबीसी संवर्ग को काफी परेशानियों व दिक्कतों का सामना करना पड सकता है, क्योंकि इस इम्पेरिकल डेटा का केवल आरक्षण के लिए ही उपयोग नहीं होगा, बल्कि इसे अन्य कई महत्वपूर्ण कामों हेतु भी प्रयोग में लाया जायेगा. ऐसे में इम्पेरिकल डेटा का त्रृटि मुक्त रहना बेहद जरूरी है.
राकांपा के जनता दरबार में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान उपरोक्त आशंका जताते हुए मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि, मंडल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक ओबीसी समाज की जनसंख्या करीब 54 फीसद थी. वहीं अब वर्ष 2004 से कुणबी-मराठा और मराठा-कुणबी को भी ओबीसी में शामिल कर लिया गया है. यानी पहले जहां ओबीसी में करीब 250 जातियां शामिल थी, वहीं अब इस संवर्ग में 425 जातियां शामिल हो गई है. यह संख्या आगे चलकर और भी बढ सकती है, क्योंकि मराठा संवर्ग में शामिल आधे से अधिक लोग कुणबी समाज के है. ऐसे में आंकडों के कम होने का सवाल ही नहीं उठता. अत: ओबीसी संवर्ग में शामिल हर एक व्यक्ति को राजनीतिक आरक्षण सहित शिक्षा एवं नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलने हेतु बिल्कुल सटीक इम्पेरिकल डेटा संकलित किये जाने की सख्त जरूरत है.