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यहां ‘भोंगा’ बच्चों को पढने बिठाता है

सांगली के खेराडे वांगी गांव ने प्रस्तुत किया आदर्श

सांगली/दि.7– इस समय जहां एक ओर लाउडस्पीकर को लेकर समूचे राज्य में राजनीतिक हंगामा मचा हुआ है और तनाव व टकराववाली स्थिति बनी हुई है. वहीं दूसरी ओर कडेगांव तहसील अंतर्गत खेराडे वांगी गांव में भोंगा यानी लाउडस्पीकर जीवन विद्या की आस जगानेवाला साधन साबित हो रहा है. जहां पर शाला में साईरन यानी भोंगा बजते ही सभी घरों में टीवी बंद कर दिये जाते है और बच्चे पढाई करने बैठ जाते है. इसके तहत रोजाना शाम 7 से 8 बजे तक पूरे गांव में नीरव शांति ही रहती है, ताकि बच्चों की पढाई-लिखाई में किसी तरह का कोई खलल न पडे.
जानकारी के मुताबिक खेराडे वांगी गांव की कुल जनसंख्या करीब 4 हजार के आसपास है और यहां की जिला परिषद की शाला में 1 ली से 4 थी तक की कक्षाओं में 172 बच्चे अपनी पढाई-लिखाई करते है. जहां पर मुख्याध्यापक जनार्दन ढाणे सहित 6 शिक्षकों द्वारा बच्चों को पढाया जाता है. स्कुल छूटने के बाद घर आने पर बच्चे ज्यादातर समय खेलने-कूदने और टीवी देखने में व्यतित किया करते थे. इस बात के मद्देनजर सभी बच्चों को एक साथ पढाई करने का अनुशासन लगाने हेतु ‘भोंगे’ का प्रयोग करने की कल्पना गांववासियों को सूझी. जिसके चलते जून 2021 में गांव की जिप शाला में सायरन लगवाया गया, जो रोजाना ठीक 7 बजे बजता है और सायरन के बजते ही गांव के सभी घरों में टीवी सेट को बंद कर दिया जाता है. साथ ही सभी बच्चे अपनी-अपनी कॉपी-किताब लेकर पढने के लिए बैठ जाते है.
उल्लेखनीय है कि, यह प्राथमिक शाला खेराडे वांगी गांव से होकर गुजरनेवाले गुहागर-विजापूर हाईवे से बिल्कुल पास में स्थित है. ऐसे में गांव के कई बच्चों को स्कुल आने-जाने के लिए इस हाईवे को पार करना पडता है. जहां से तेज रफ्तार वाहन गुजरते है और कभी भी किसी हादसे के घटित होने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में गांववासियों ने स्कुल के अध्यापकों के साथ मिलकर इस समस्या का भी एक शानदार समाधान खोजा. जिसके तहत रोजाना सुबह स्कुल का समय शुरू होने से 15 मिनट पहले सायरन बजाया जाता है. जिसे सुनकर सभी अभिभावक अपने-अपने बच्चों को खुद स्कुल लाकर छोडते है. वहीं शाला की छुट्टी होने से 15 मिनट पहले ही सायरन बजाया जाता है और सभी अभिभावक अपने-अपने बच्चों को स्कुल आकर घर ले जाते है. ऐसे में जब एक ओर पूरे राज्य में लाउडस्पीकर को लेकर तनातनीवाला माहौल है, वहीं दूसरी ओर राज्य के ही एक बेहद छोटेसे गांव में लाउडस्पीकर का बच्चों को पढाई-लिखाई के लिए प्रोत्साहित करने और उनकी स्कुल आते-जाते समय सुरक्षितता को निश्चित करने के काम हेतु प्रयोग किया जा रहा है.

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