नागपुर/दि.17- बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने स्वतंत्रता दिवस पर अवकाश के बावजूद विशेष सिटींग कर काटोल के छात्र गौरव वाघ को बड़ी राहत दी. वाघ का जाति प्रमाणपत्र रद्द करने के जाति समिति के निर्णय पर रोक लगा दी, जिससे वाघ अभियांत्रिकी प्रवेश की समयसीमा के अंदर अपना जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर प्रवेश सुनिश्चित कर सका.
न्या. महेंद्र चांदवानी और न्या. अविनाश घरोटे की खंडपीठ ने मंगलवार को अवकाश दरकिनार कर अनुसूचित जाति के छात्र गौरव प्रदीप वाघ की याचिका पर सुनवाई की. वाघ की तरफ से एड. प्रीति राणे ने पैरवी की. उन्होंने जाति प्रमाण पत्र समिति के निर्णय को अदालत में चुनौती दी थी. पड़ताल समिति ने गत 10 नवंबर 2022 को गौरव का अनुसूचित माना जनजाति का होने का दावा अमान्य कर दिया था. उसी समय कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. 16 अगस्त दोपहर 3 बजे तक समय था. इसलिए कोर्ट ने गौरव वाघ की अर्जी को सुना और रिकॉर्ड में मौजूद सबूतों के आधार पर गौरव के जाति प्रमाणपत्र रद्द करने का फैसला खारिज कर दिया. सुनवाई दौरान अदालतों के अनेक भूतपूर्व प्रकरणों को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया गया था. उसी प्रकार गौरव के पिता और चाचा को दिए गए प्रमाणपत्र को भी अग्राह्य माना गया. इस मामले में राज्य की तरफ से एजीपी नितिन राव, कॉलेज की तरफ से एड. प्रकाश मेघे और सीईटी सेल की तरफ से एड. एन.एस. खुबालकर ने पक्ष रखा. कोर्ट की पहल की सर्वत्र सराहना हो रही है. इसे बिरला मामला माना जा रहा है.