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हाईकोर्ट ने नगर रचना को किया जुर्माना

विधायक राणा के दबाव ने अफसर का ट्रान्सफर

* अधिकारी की कार्यकाल पूर्ण से पहले बदली
नागपुर/दि.17 – बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने नगर रचना विभाग के अधिकारी वीरेंद्र डाफे की समय से पहले बदली किये जाने को गलत बताते हुए और विभाग के उत्तर से असंतुष्ट होते हुए नगर रचना विभाग को 10 हजार रुपए जुर्माना किया है. न्या. नितिन सांबरे और न्या. अभय मंत्री की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. विधायक रवि राणा के दबाव से नगर रचना विभाग ने वीरेंद्र डाफे का ट्रान्सफर किया था, इसका उल्लेख हाईकोर्ट की सुनवाई दौरान होने की जानकारी है.
वीरेंद्र डाफे अमरावती में कार्यरत थे. उनका 3 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ था. उनका नियमानुसार तबादला न होना था. बावजूद इसके उनका अकोला नगर रचनाकार मूल्यांकन विशेषज्ञ पद पर स्थानांतरण किया गया. डाफे के स्थान पर लातूर के नगर रचनाकार संजय नाकोड का ट्रान्सफर किया गया.
नाकोड का भी लातूर पद का 3 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण नहीं हुआ था. जिससे उनकी भी बदली नहीं की जा सकती थी. बडनेरा के विधायक रवि राणा के पत्र के कारण डाफे एवं नाकोड की बदली की गई. इस बदली आदेश को डाफे ने मैट में चुनौती दी. मैट ने उनकी अर्जी ठुकरा दी. हाईकोर्ट ने इससे पहले एक प्रकरण में राजनेताओं के पत्र पर तबादला नहीं किया जा सकता, ऐसा आदेश दिया था. राज्य शासन ने भी उच्च न्यायालय में शपथपत्र दिया था कि, राजकीय नेताओं के पत्र पर तबादला नहीं किया जा सकता.
उच्च न्यायालय में यह आदेश का आधार डाफे की ओर से प्रस्तुत किया गया. न्या. नितिन सांबरे और न्या. अभय मंत्री ने शहरी विकास विभाग को 14 जून तक उत्तर प्रस्तुत करने कहा था. पूरा रिकॉर्ड रखने का आदेश दिया था. विभाग ने उत्तर प्रस्तुत नहीं किया. उच्च न्यायालय ने दो सप्ताह का समय देते हुए विभाग को 10 हजार रुपए जुर्माना किया है. इस मामले में एड. मिलिंद राठी और एड. अविनाश कापगते ने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी की. सरकारी पक्ष एड. नितिन राव ने रखा.

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