महिला उद्योग की उंची उडान
10 हजार का बिजनेस 10 लाख तक पहुंचाया

* कोरोना महामारी में देखा अवसर
वर्धा/ दि. 8- छोटे से ग्राम में अपना मसाले का उद्योग खडा करनेवाली संगीता प्रवीण पुसदकर की सफलता सराहनीय कही जा सकती है. उन्होंने 10 हजार रूपए से प्रारंभ किया मसाले का व्यापार आज लाखों तक पहुंचा दिया है. बचत गट द्बारा मिली सहायता व सहयोग को अपने परिश्रम व लगन से आगे बढाकर पुसदकर ने कुछ महिलाओं को रोजगार भी दिया. महिला दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि अपनी मिट्टी का ऋण वे नहीं विस्मृत कर सकती. इसीलिए क्षेत्र के किसानों से ही वे मिरची, धनिया और वायगांव की हलदी अपने मसालों के लिए खरीदती है.
कोरोना में पति बेकार, सूझा नया काम
कोरोना महामारी दौरान संगीता के यजमान प्रवीण की नौकरी चली गई. वे छोटे ग्राम में रहते थे. उन्हें परिवार की भरण पोषण की चिंता हो गई. उन्होंने सेलू आकर किराए के कमरे में निवास और अपना मसाला का उद्योग प्रारंभ किया. उन्हें सिध्देश्वर बचत गट ने 10 हजार रूपए की सहायता की. जिसके आधार पर मसालों का बिजनैस शुरू किया. इसके लिए दिक्कत गई. किंतु उमेद के माध्यम से विक्री स्टॉल लगाने की अनुमति मिली. इस अवसर को उन्होंने केच किया. मसाले, मिर्च पावडर, हल्दी पावडर की विक्री शुरू की.
स्टेट बैंक से ऋण, मशीनें खरीदी
मसालों की विक्री बढने पर संगीता पुसदकर ने स्टेट बैंक से लोन लिया. जिससे उन्होंने ढाई लाख रूपए की पिसाई मशीन खरीदी. इससे कामकाज चल निकला. फिर तो पैकिंग, पाउच मशीन और ब्रैंडिंग सामग्री भी खरीदी गई. लाखों का टर्नओवर हो गया. संगीता पुसदकर का लखपति दीदी के रूप में सम्मान भी हुआ.् किराए का घर छोटा महसूस होने लगा. ऐसे में उद्यम लगाने के लिए जगह खरीदी और वहां घर तथा कारखाना लगाया. यजमान का सहकार्य भी महत्वपूर्ण रहा. वे विक्री और डिलेवरी का संभालने लगे. तीन वर्षो में टूटे फूटे किराए के घर से खुद के दो मंजिला मकान में पहुंच गया.
* श्वेत मसाले का हुआ नाम
संगीता पुसदकर की लगन और परिश्रम काम आया. उनका श्वेत मसाले उद्योग आज ब्रांड बनने की दिशा में है. वर्धा और आसपास के जिले में माल सप्लाई हो रही है. चंद्रपुर और नागपुर से भी श्वेत मसाले की एजेंसी हेतु मांग आयी है. संगीता बताती है कि सभी तहसीलों में विक्रेता, वितरक नियुक्त किए है. उन्होंने ऑनलाइन कंपनियों को टक्कर देते हुए क्वालिटी के साथ अपने मसालों की विक्री बढाई है.