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हिंदी है देश की संपर्क भाषा, सभी ने सीखना चाहिए

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने नई शिक्षा नीति का किया समर्थन

मुंबई/दि.17- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नई शिक्षा नीति और उसके तहत की गई हिंदी की अनिवार्यता का जोरदार समर्थन करते हुए कहा कि, महाराष्ट्र में रहनेवाले प्रत्येक व्यक्ति को मराठी भाषा आनी ही चाहिए. परंतु देश में एक संपर्कसूत्र तैयार करने के लिए हिंदी भाषा का पर्याय रखा गया है. अत: संपर्कसूत्र की भाषा के तौर पर सभी ने हिंदी भाषा को भी सीखना चाहिए.
महाराष्ट्र में कक्षा पहली से ही हिंदी भाषा को अनिवार्य तौर पर सीखाए जाने के संबंधी निर्णय पर मुहर लगाई गई. जिसके चलते अब राज्य शालेय पाठ्यक्रम प्रारुप 2024 के अनुसार अब मराठी व अंग्रेजी माध्यम वाली शालाओं में पहली से पाचवीं कक्षा के विद्यार्थियों को मराठी व अंग्रेजी सहित तृतीय भाषा के तौर पर हिंदी को पढना व सीखना होगा. वहीं अन्य माध्यम वाली शालाओं में कक्षा पहली से पांचवीं हेतु माध्यम भाषा, मराठी व अंग्रेजी ऐसी तीन भाषाएं रहेंगी. आगामी जून माह से शुरु होने जा रहे नए शैक्षणिक सत्र से इस निर्णय पर अमल किया जाएगा. लेकिन मनसे सहित मराठी भाषा हेतु संघर्ष करनेवाले संगठनों ने इसे लेकर अपनी तीव्र आपत्ति जताने शुरु की है. वहीं इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नई शिक्षा नीति का समर्थन किया है.
सीएम फडणवीस का कहना रहा कि, महाराष्ट्र सरकार ने इससे पहले ही नई शिक्षा नीति को लागू किया है. ऐसे में अब इसे लेकर कोई नया निर्णय नहीं लिया गया है. महाराष्ट्र में प्रत्येक व्यक्ति को मराठी भाषा आनी ही चाहिए, ऐसा हमारा आग्रह है. साथ ही इस देश में एक संपर्कसूत्र तैयार करने हेतु हिंदी भाषा सबसे शानदार पर्याय है. अत: सभी ने हिंदी भाषा भी सीखनी चाहिए. इसके अलावा यदि किसी को अंग्रेजी भाषा सहित अन्य कोई भाषा सीखनी है तो इस पर भी कोई मनाई नहीं है. परंतु महाराष्ट्र में मराठी भाषा सभी को आनी ही चाहिए. साथ ही अपने देश की अन्य भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए. इस पर केंद्र सरकार द्वारा विचार किया गया है.
खास बात यह है कि, राज्य शैक्षणिक संशोधन व प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा मूलभूत स्तर व शालेय स्तर पर दो राज्य पाठ्यक्रम प्रारुप तैयार किए गए है और इन दोनों प्रारुपों को शालेय शिक्षा मंत्री के नेतृत्ववाली सुकाणू समिति द्वारा मान्यता प्रदान की गई है.
* मनसे अपने विरोध पर कायम
उधर राज ठाकरे के नेतृत्ववाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने शालाओं में हिंदी को अनिवार्य किए जाने का प्रखर विरोध करते हुए कहा है कि, हिंदी यह भारत की राजभाषा नहीं है और ऐसा कोई उल्लेख भी संविधान में नहीं है. सन 1947 में भारत स्वतंत्र होने के उपरांत भाषावाद प्रांत रचना हुई. जिसके अनुसार प्रत्येक राज्य की भाषा अलग है और हिंदी दो-तीन राज्यों की भाषा हो सकती है. अत: अब किसी अन्य राज्य की भाषा को महाराष्ट्र पर नहीं थोपा जा सकता. महाराष्ट्र में केवल मराठी भाषा ही अनिवार्य होनी चाहिए और द्वितीय भाषा ऐच्छिक रखी जानी चाहिए. जिसे लेकर कोई आपत्ति नहीं है. परंतु यदि तृतीय भाषा के तौर पर हिंदी को अनिवार्य किया जाता है तो उसका विरोध करते हुए उसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा.

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