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गली-कूचे के लोगों की बातों पर क्या जवाब दूं?

शरद पवार का विधायक बच्चू कडू को लेकर कथन

कोल्हापुर/दि.26 – मैं एक राष्ट्रीय पार्टी का अध्यक्ष हूं. चार बार महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहने के साथ ही किसी समय केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुका हूं. ऐसे में अगर गली-कूचे में रहने वाला कोई व्यक्ति मेरे बारे में कुछ कहता है, तो ऐसे व्यक्ति के बात पर मैंने क्यों प्रतिक्रिया देनी चाहिए. यह अपने आप में बडा सवाल है. इस आशय का प्रतिपादन राकांपा प्रमुख सांसद शरद पवार ने उस समय किया, जब उनसे विधायक बच्चू कडू द्बारा उन्हें लेकर कहे गए एक बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई. साथ ही जब एक पत्रकार ने शरद पवार का ध्यान इस ओर दिलाया कि, बच्चू कडू लगातार चार बार विधायक निर्वाचित हुए है, तो शरद पवार ने फिर दोहराया कि, वे भी चार बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके है.
उल्लेखनीय है कि, विधायक बच्चू कडू ने शरद पवार की राजनीति को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि, शरद पवार जो बोलते है, वैसे वे कभी नहीं करते है. साथ ही उनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क रहता है. यदि राकांपा की मौजूदा राजनीति को देखा जाए, तो निश्चित रुप से आने वाले समय में राकांपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं के आपस में सिर फूटने वाले है. ऐसे में जब कोल्हापुर मेें बुलाई गई पत्रवार्ता के दौरान राकांपा प्रमुख शरद पवार से विधायक बच्चू कडू के बयान को लेकर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि, क्या अब उनसे किसी गली-कूचे में घूमने वाले व्यक्ति द्बारा कही गई बात पर भी प्रतिक्रिया मांगी जाएगी. साथ ही शरद पवार ने प्रतिक्रिया मांगने वाले पत्रकार से यह भी पूछ लिया कि, बच्चू कडू कौन है?

* चंद्रयान की सफलता ठीक, पर किसान आत्महत्याओं का क्या
इसके साथ ही कोल्हापुर दौरे के दौरान राकांपा प्रमुख शरद पवार ने यह भी कहा कि, आज एक ओर हमारा देश चांद पर पहुंच गया है और हम चंद्रयान-3 की सफलता का उल्लास मना रहे है. जिसके लिए हमारे वैज्ञानिक वाकई बधाई व अभिनंदन का पात्र भी है. लेकिन हमें अपने आसपास की जमीनी हकीकत को भी देखना होगा. क्योंकि हमारे ही महाराष्ट्र विशेषकर विदर्भ क्षेत्र में बडे पैमाने पर किसान आत्महत्याएं हो रही है. ऐसे में सरकार को किसानों की समस्याएं हल करने की ओर ध्यान देना चाहिए. राकांपा प्रमुख शरद पवार ने बताया कि, अकेले यवतमाल जिले में ही विगत 18 दिनों के दौरान 24 किसानों ने आत्महत्या की है. अंतरिक्ष अभियान के नाम पर करोडों रुपए खर्च करने वाली सरकारों द्बारा किसानों की उपज को उचित मूल्य नहीं दिया जाता. जिसके चलते हमारे किसान लगातार कर्ज के मकडजाल में फंसते चले जाते है. वहीं दूसरी ओर अनियमित बारिश तथा सुखे व गिले अकाल की वजह से ही हमारे किसान आर्थिक दिक्कतों में फंसते चले जा रहे है और अंत में तंग आकर अपनी जान दे रहे है. ऐसे मेें बेहद जरुरी है कि, सरकारों द्बारा चांद और मंगल पर जीवन ढुंढने के साथ-साथ यहां जमीन पर लोगों के जीवन में सबकुछ मंगल है अथवा नहीं इसकी ओर भी ध्यान दिया जाए.

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