नागपुर /दि.9- पत्नी व 2 बेटियों को खावटी व घर किराए के लिए प्रतिमाह 8 हजार रुपए देने के आदेश के खिलाफ पति द्बारा दायर की गई याचिका को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि, पति का वेतन 40 हजार रुपए प्रतिमाह है. जिसमें से वह अपनी पत्नी व दोनों बेटियों को 8 हजार रुपए बडे आराम से दे सकता है.
जानकारी के मुताबिक 3 फरवरी 2022 को प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी की अदालत ने पारिवारिक हिंसाचार कानून अंतर्गत पत्नी को 3 हजार व दोनों बेटियों को प्रति 1500 रुपए अंतरिक मासिक खावटी तथा 2 हजार रुपए प्रतिमाह घर भाडा ऐसे कुल 8 हजार रुपए देने का आदेश पति के नाम जारी किया था. जिसके खिलाफ पति ने सबसे पहले सत्र न्यायालय में अपील दायर की थी. जिसे 16 फरवरी 2023 को नामंजूर किया गया. परिणाम स्वरुप उसने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई. जहां पर पति ने अपनी याचिका में कहा कि, उसे एड्स हुआ है तथा उसके इलाज पर काफी पैसा खर्च होता है. इसके अलावा उसके माता-पिता की जिम्मेदारी भी खुद उस पर है. ऐसे में उसे अपने माता-पिता की देखभाल भी करनी पडती है. अत: वह अपनी पत्नी व बेटियों को निर्वाह व गुजारा भत्ता नहीं दे सकता. परंतु पति की ओर से इस संदर्भ में आवश्यक सबूत पेश नहीं किए जा सके. जिसके चलते अदालत ने उसे दिलासा देने से इंकार कर दिया. वहीं पत्नी ने अपने पति का आय का रिटर्न पेश करते हुए साबित किया कि, उसके पति का मासिक वेतन 40 हजार रुपए है. जिसे अदालत ने ग्राह्य माना. साथ ही न्यायमूर्ति अनिल पानसरे ने पति की याचिका खारिज करते हुए उसे खडे बोल सुनाए कि, यदि वह 40 हजार रुपए प्रतिमाह कमाता है, तो उस रकम में से उसने राजी खुशी ढंग से अपनी पत्नी व दोनों बेटियों को मासिक गुजारा भत्ता देना चाहिए.
* पति ने पत्नी पर लगाए अनैतिकता के आरोप
याचिकाकर्ता पति ने अदालत में दायर अपनी याचिका में यह आरोपी भी लगाया कि, उसकी पत्नी के किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाहबाह्य संबंध थे और पत्नी द्बारा पैदा की गई दोनों बेटियां उसी व्यक्ति की है. ऐसे में उन दोनों लडकियों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी याचिकाकर्ता पति की नहीं है. परंतु अदालत ने सबूतों के अभाव में इस आरोप को भी गुणवत्ताहिन ठहराया.