‘दैनिक अमरावती मंडल’ की खबर का असर
छात्रावास भोजन ऑनलाइन टेंडर के बाद किया रद्द
* फिर से भरे जाएंगे नए टेंडर
* धारणी प्रकल्प अधिकारी कार्यालय में ‘गडबड झाला’
* भारी लेन-देन का मामला फिर एक बार उजागर
* 10 जून को प्रकाशित किया था ‘छात्रावास भोजन के टेंडर में भारी हेराफेरी’
धारणी/ दि.17– धारणी प्रकल्प कार्यालय अंतर्गत छात्रावास में रहने वाले बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने का ठेका दिया जाता है. परंतु इस बार कम दाम में भोजन उपलब्ध कराने की निविदा भरने वाले को ठेका न देते हुए आपसी मिलीभगत कर अधिक दाम में टेंडर भरने वाले को ठेका दिया गया था. ‘दैनिक अमरावती मंडल’ ने विगत 10 जून को खबर प्रकाशित की थी. जिसमें ‘ छात्रावास भोजन के टेंडर में भारी हेराफेरी’ यह खबर प्रकाशित होते ही जोरदार झटके से ऑनलाइन टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद वह टेंडर रद्द कर दिया. अब फिर से टेंडर प्रक्रिया चलाई जाएगी. जिससे एक बार फिर धारणी प्रकल्प कार्यालय में चल रहे कामकाज पर सवालिया निशान उठा है.
बता दे कि, धारणी प्रकल्प अधिकारी कार्यालय अंतर्गत हर वर्ष की तरह इस बार भी आश्रम शाला में भोजन, अड्डे, फल, सब्जी, मटन, चिकन आदि आपूर्ति करने के लिए नियमानुसार ऑनलाइन आवेदन बुलाए गए थे. इसके अनुसार ऑनलाइन प्रक्रिया भी पूरी की गई. मगर कहा खिचडी पकी, संबंधित अधिकारी किसके दबाव में आया, यह समझ में नहीं आ पाया. इस बारे में ‘दैनिक अमरावती मंडल’ में खबर प्रकाशित होते ही धारणी प्रकल्प अधिकारी कार्यालय में खलबली मच गई. खबर यह भी है कि, मैनेज टेंडर निकाला गया था. उस समय नये पदासिन्न हुए प्रकल्प अधिकारी को इस टेंडर से गुमराह रखा गया. उनके संबंधित दस्तावेजों पर हस्ताक्षर भी नहीं लिये गए. अब फिर से टेंडर निकाला जा रहा है, परंतु वहां इस क्षेत्र में काम करने वाले आदिवासी बांधव से टेंडर भरने के लिए 25 लाख रुपए की सालवंशी मांगी जा रही है. वे गरीब इतनी बडी सालवंशी कहा से लाएंगे, यह भी एक सवाल उठ रहा है. कुछ अधिकारी मिलीभगत कर कुपोषित नाम के कलंक से जुझ रहे मेलघाट के बालकों को उनके अधिकार के भोजन से वंचित रखा जा रहा है.
बता दें कि, पिछली बार 10 जून को प्रकाशित खबर के वक्त प्रोजेक्ट अधिकारी से चर्चा की गई थी. उन्हें टेेंडर में हुई हेराफेरी के बारे में अवगत कराया गया था. यह बात उनके समझ में आते ही उन्होंने पुराना टेंडर रद्द कर नए सिरे से टेंडर की प्रक्रिया चलाने का आश्वासन दिया था. खबर प्रकाशित होने के बाद पुराना ऑनलाइन टेंडर रद्द कर दिया गया है. अब फिर से नए टेंडर की प्रक्रिया शुरु की जाएगी. बता दे कि, पिछले टेंडर के वक्त प्रकल्प कार्यालय व्दारा निविदा प्रक्रिया आमंत्रित की गई थी. उस समय 11 लोगों ने टेंडर भरे थे. परंतु आश्चर्य की बात यह है कि, पिछले 15 वर्षों से जो व्यक्ति ठेका चला रहा है, उस व्यक्ति ने केवल 3 हजार 500 रुपए दर से टेंडर भरा था, ज्योंकि प्रकल्प कार्यालय के लिए फायदेमंद था. परंतु कार्यालय में संबंधितों की मिलीभगत से 5 हजार रुपए से अधिक दाम का टेंडर भरने वाले व्यक्ति को ठेका दे दिया. जबकि अनुदान में भरने वाले व्यक्ति का टेंडर रद्द कर दिया गया, ऐसा आरोप लगाया गया था, यह भी बताया गया है कि, इस वक्त नियमानुसार टेंडर के बारे में अखबारों में विज्ञापन भी प्रकाशित नहीं किया गया. भले ही खबर प्रकाशित होने के बाद पुराना आश्रम शाला का ऑनलाइन टेंडर रद्द कर नई प्रक्रिया शुरु की जा रही है. परंतु टेंडर रद्द करने और नई प्रक्रिया चलाने से यह स्पष्ट हुआ है कि, प्रकल्प कार्यालय में कितने बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. ऐसे न जानेे कितने दबे रुप में भ्रष्टाचार किये होंगे, इस ओर जांच कर संबंधितों के खिलाफ कडी कार्रवाई की जाना चाहिए, ऐसी मांग कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं व्दारा की जा रही है.