अध्यादेश में कोई भी धोखा हुआ तो याद रखना
सीएम शिंदे के सामने ही मनोज जरांगे ने दी राज्य सरकार को चेतावनी
मुंबई /दि.27- विगत कई वर्षों से प्रलंबित मराठा आरक्षण का मसला आखिरकार सुलझता नजर आ रहा है. क्योंकि बीती रात मराठा समाज की ओर से मनोज जरांगे पाटिल द्वारा उठाई गई मांगों को राज्य सरकार ने मान्य कर लिया है तथा सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने बीती रात 3 घंटे चर्चा करने के बाद मनोज जरांगे पाटिल द्वारा सुझाये गये सुधारों का समावेश करते हुए राजपत्र जारी किया और राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने यह संशोधित राजपत्र मनोज जरांगे पाटिल के सुपुर्द करते हुए उन्हें अबीर गुलाल का तिलक लगाया. साथ ही उन्हें अपने हाथों से नीबू पानी पिलाकर उनका अनशन खत्म कराया. इस समय जहां एक ओर सभी मराठा आंदोलकों ने जमकर जल्लोष किया. वहीं मनोज जरांगे पाटिल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समक्ष ही राज्य सरकार को चेतावनी दी कि, यदि घोषित किये गये अध्यादेश की आड लेकर किसी भी तरह की धोखेबाजी होती है, तो यह राज्य सरकार के लिए बिल्कूल भी ठीक नहीं होगा.
इस समय मनोज जरांगे पाटिल ने कहा कि, महाराष्ट्र के गांव, खेडों में मराठा व ओबीसी समाज के लोग आपस में मिलजुलकर रहते आये है. परंतु कुछ नेता आते है और समाज में तनाव निर्माण करने का प्रयास करते है. इसके साथ ही मनोज जरांगे ने सीएम शिंदे से कहा कि, अब इस अध्यादेश और मराठा आरक्षण को टिकाए रखने की जबाबदारी राज्य सरकार की है. अत: राज्य सरकार ने समाज के इस न्यायपूर्ण आनंद को टिकाए रखने हेतु सरकार ने तमाम आवश्यक प्रयास करने चाहिए.
* तब तक मराठाओं को ओबीसी के अधिकार मिलेगे – शिंदे
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि, राज्य सरकार ने मराठा समाज को आरक्षण देने की मांग को पूरी तरह से मान्य कर लिया है. साथ ही इस आंदोलन की ओर राज्यसहित पूरे देश का ध्यान लगा हुआ था और मराठा समाज बंधुओं ने बडे ही संयमी ढंग से अपनी मांग को लेकर आंदोलन किया. जिसके चलते यह आंदोलन पूरी तरह से सफल हुआ है. वहीं जिन मराठा समाज बंधुओं के अब तक कुणबी संबंधी दस्तावेज नहीं मिले है और जो सगे संंबंधियों के दायरे में नहीं आ रहे है, उन्हें आरक्षण का लाभ मिलने तक ओबीसी समाज वाले संवर्ग के तहत सभी सुविधाएं प्रदान की जाएगी. साथ ही सरकार द्वारा सभी मराठा समाज बंधुओं को कुणबी प्रमाणपत्र उपलब्ध कराने हेतु तमाम आवश्यक कदम उठाये जाएंगे.
* जरांगे पाटिल के परिवार का इंतजार होगा खत्म
– साढे 5 माह बाद घर लौटेंगे मनोज जरांगे
मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष करने वाले मराठा आंदोलक मनोज जरांगे के परिवार के लिहाज से भी आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है. क्योंकि इस लडाई में मनोज जरांगे के परिजनों ने उल्लेखनीय योगदान दिया. वहीं मनोज जरांगे विगत साढे 5 माह से अपने घर नहीं गये थे. क्योंकि उन्होंने मराठा समाज को आरक्षण दिलाने तक घर नहीं लौटने की सौंगंध खाई थी. ऐसे में मराठा आरक्षण की मांग को सरकार द्वारा मान्य किये जाते ही मनोज जरांगे पाटिल के आंतरवाली सराटी गांव में भी खुशी की लहर दौड गई है और उनके घर लौटने की प्रतिक्षा की जा रही है. जिसके लिए उनके परिवार की ओर से अच्छी खासी तैयारी भी की जा रही है.
* सरकार के निर्णय से ओबीसी समाज में नाराजगी
– चुनाव में महायुती को हो सकता है नुकसान
वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार द्वारा मनोज जरांगे की सभी मांगों को मान्य कर लिये जाने के चलते ओबीसी समाज में अच्छी खासी नाराजगी देखी जा रही है. साथ ही इसे मराठाओं का ओबीसीकरण करने का प्रयास माना जा रहा है. ओबीसी समाज की यह नाराजगी यदि आने वाले समय में वक्त के साथ असंतोष में रुपांतरीत होती है, तो इसकी वजह से महायुती को विदर्भ क्षेत्र में विशेष तौर पर काफी बडा झटका लग सकता है. बता दें कि, विदर्भ में ओबीसी संवर्ग की संख्या 55 से 60 फीसद के आसपास है और चुनाव में यह वर्ग जिस पार्टी के साथ रहेगा, उस पार्टी का पलडा भारी रहेगा. यह बात इसके पहले भी सामने आ चुकी है.
* मराठा समाज की जीत नहीं हुई, बल्कि अच्छा मौका गंवा दिया
– ओबीसी नेता व मंत्री छगन भुजबल ने दी प्रक्रिया
उधर मराठा समाज को कुणबी जाती प्रमाणपत्र के साथ ओबीसी संवर्ग के तहत आरक्षण दिये जाने पर अपना संताप व्यक्त करते हुए ओबीसी समाज के नेता तथा राज्य के अन्न व नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि, मराठा आरक्षण के संदर्भ में सरकार ने अभी केवल मसौदा ही तैयार किया है. यह कोई अध्यादेश नहीं है, ऐसे में मराठा समाज के साथ साफ तौर पर जालसाजी हुई है और मराठा समाज के हाथ से आरक्षण प्राप्त करने का एक शानदार मौका चला गया है. साथ ही मंत्री छगन भुजबल ने शपथपत्र के आधार पर जाती प्रमाणपत्र दिये जाने के संदर्भ में सरकार द्वारा की गई घोषणा का विरोध करते हुए कहा कि, इससे फर्जीवाडे को प्रोत्साहन मिलेगा.
* भुजबल के बंगले पर ओबीसी सहित
– अन्य समाज के नेताओं की बैठक
इसी बीच ओबीसी नेता छगन भुजबल ने अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है और सभी ओबीसी नेताओं की कल अपने निवासस्थान पर बैठक बुलाई है. इस बैठक में उन्होंने अन्य समाज के नेताओं को भी आमंत्रित किया है. ऐसे में अब सबका ध्यान इस बात की ओर लग गया है कि, आखिर अब छगन भुजबल द्वारा अपनी ही सरकार के फैसले पर कौनसी भूमिका रखी जाती है.
* सोमवार तक इंतजार करों
वहीं मराठा समाज को ओबीसी संवर्ग के तहत आरक्षण दिये जाने का शुरु से विरोध कर रहे एड. गुणरत्न सदावर्ते ने कहा कि, लोगों को एक बार अपने-अपने घर जाने दो और सोमवार के आने का इंतजार करों, पूरा मामला साफ हो जाएगा. एड. गुणरत्न सदावर्ते की इस प्रतिक्रिया को किसी पहेली की तरह माना जा रहा है.
* 31 जनवरी तक चलता रहेगा पिछडावर्गीय आयोग का सर्वेक्षण
यद्यपि राज्य सरकार द्वारा मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलनकारियों द्वारा की गई मांगों को स्वीकार करने का निर्णय घोषित किया गया है. परंतु राज्य पिछडावर्गीय आयोग द्वारा मराठा समाज एवं खुले प्रवर्ग के संदर्भ में शुरु किया गया सर्वेक्षण इससे पूरी तरह अलग है. ऐसी भूमिका स्पष्ट करते हुए राज्य पिछडावर्गीय आयोग ने आगामी 31 जनवरी तक अपने सर्वे को जारी रखने की बात स्पष्ट की है.
* मराठा आरक्षण को लेकर असली लडाई होगी अदालत में
– संविधान विशेषज्ञों ने किया दावा
यद्यपि मराठा समाज की एकजूटता के आगे राज्य सरकार ने झुकती बाजू ली है और मनोज जरांगे की सभी बातों का मान्य किया है. लेकिन यही पर मराठा आरक्षण की लडाई खत्म नहीं होती. बल्कि अब असली लडाई, तो अदालत में शुरु होगी. ऐसा दावा संविधान विशेषज्ञ उल्हास बापट ने आज मराठा आरक्षण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए किया. बापट के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा मराठा समाज की सभी मांगों को मान्य कर लिया गया है. जिसके खिलाफ ओबीसी समूदाय कोर्ट में जाएगा. यह निश्चित है. ऐसे में इस मामले को लेकर अदालत में असली लडाई शुरु होगी. साथ ही इस समय सुप्रीम कोर्ट में मराठा आरक्षण के संबंधित क्यूरेटीव पीटीशन भी प्रलंबित है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.
* सीएम शिंदे का वजन बढा, डेप्यूटी सीएम अजित पवार कही नहीं दिखे
सरकार ने मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे की सभी मांगों को मान्य कर लिया है. जिससे जरांगे के आंदोलन का सफलतापूर्वक समापन हो गया है और खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नवी मुंबई के वाशी जाकर मनोज जरांगे से मुलाकात की. इस समय भाजपा व शिंदे गुट वाली शिवसेना के कई महत्वपूर्ण नेता उपस्थित थे. परंतु उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके नेतृत्ववाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का कोई भी नेता इस समय उपस्थित नहीं था. ऐसे में अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर अजित पवार इन दिनों कहा है और इतने महत्वपूर्ण और बडे प्रसंग पर वे हाजिर क्यों नहीं है. जिसे लेकर माना जा रहा है कि, इससे पहले डेप्यूटी सीएम अजित पवार को मराठा आंदोलकों द्वारा काले झंडे दिखाये गये थे. संभवत: इसी वजह से वे और उनके गुट के मंत्रियों ने आंदोलन स्थल पर उपस्थित रहना टाल दिया.