भारत के ’सुदर्शन चक्र’ ने पाकिस्तान को फेल कर दिया
एक बार में 72 मिसाइल छोड़ता है एस-400

* पाकिस्तानी मिसाईलों को हवा में ही किया नष्ट
नई दिल्ली/दि.8 – भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर हालात अब बेकाबू होते दिख रहे हैं. पहलगाम आतंकी हमले का हिसाब बराबर करने के लिए भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया और पाकिस्तान, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों पर मिसाइल स्ट्राइक की थी. भारत ने साफ किया था कि हमारा मकसद ना आम लोगों और ना ही पाकिस्तानी सेना को निशाना बनाने का था, बल्कि हम सिर्फ आतंकी ठिकानों पर निशाना कर रहे थे. लेकिन पाकिस्तान इसके बाद भी नहीं माना और उसने भारत पर हमला करना शुरू कर दिया. पाकिस्तान पहले ही ङेउ से सटे गांवों पर गोलीबारी कर रहा था, जहां कई आम नागरिकों की जान भी चली गई. इस बीच 7-8 मई की देर रात को पाकिस्तान की ओर से भारत के कई शहरों पर मिसाइल, ड्रोन अटैक करने की कोशिश की गई. भारत सरकार ने जानकारी दी है कि पाकिस्तान ने भारत के कुल 15 शहरों पर हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के हर हमले को नाकाम कर दिया.
* भारत के डिफेंस सिस्टम ने किया अपना काम
भारत ने ये कमाल अपने एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 से किया है, जिसका नाम ’सुदर्शन चक्र” रखा गया है. भारत पिछले कुछ समय से अपने डिफेंस सिस्टम को मज़बूत करने में लगा हुआ था और आज इसने सारा पैसा वसूल भी कर दिया. रूस निर्मित इस डिफेंस सिस्टम की ताकत क्या है, हम आपको यहां पर विस्तार से समझाते हैं. दरअसल, भारत ने साल 2018 में रूस के साथ एस-400 प्रणाली के 5 स्क्वॉड्रन के लिए लगभग 35,000 करोड़ के सौदे पर साइन किए थे. यह उन्नत वायु रक्षा प्रणाली भारत के रणनीतिक स्थानों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और ऐसा ही इसने पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन, मिसाइल अटैक को विफल करने में किया है. भारत ने देश के अलग-अलग हिस्सों में इस सिस्टम को तैनात किया है, जो चीन और पाकिस्तान की सीमा से सटे हुए हैं ताकि किसी भी बुरे वक्त में इनका इस्तेमाल किया जा सके.
एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि ये हथियार नहीं महाबली है. इसके सामने किसी की भी साजिश नहीं चलती है. यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख में बदल देता है. एस-400 मिसाइल सिस्टम को दुनिया की सबसे सक्षम मिसाइल प्रणाली माना जाता है. पाकिस्तान और चीन भारत के लिए हमेशा से चुनौती रहे हैं. भारत का इन देशों से युद्ध भी हो चुका है. शक्ति का संतुलन बनाए रखने के लिए ऐसी मिसाइल प्रणाली की देश को जरूरत थी.
एस-400 एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकता है. इसकी सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं मूव करना बहुत आसान है क्योंकि इसे 8द8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है. एस-400 को नाटो द्वारा एस–21 ॠीेुश्रशी लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है. माइनस 50 डिग्री से लेकर माइनस 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है. क्योंकि इसकी कोई फिक्स पोजीशन नहीं होती. इसलिए इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं कर सकते. एस-400 मिसाइल सिस्टम में एक दो नहीं बल्कि पूरी 4 तरह की मिसाइलें होती हैं जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती है. यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर नष्ट कर सकता है. एस-400 मिसाइल सिस्टम का रडार बहुत अत्याधुनिक और ताकतवर है.
* किस तरह ट्रैकिंग करता है एस-400
इसकी एक ताकत ये भी है कि इसका रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है. यह सिस्टम मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है. शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची हुई थी. जब रूस अमेरिका जैसी मिसाइल नहीं बना सका तो उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने पर पहले ही खत्म कर दे. 1967 में रूस ने एस-200 प्रणाली विकसित की. ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी. साल 1978 में एस-300 को विकसित किया गया. एस-400 साल 1990 में ही विकसित कर ली गई थी. साल 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई. इसके बाद 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को तैनात किया गया, जिसके बाद मार्च 2014 में रूस ने यह एडवांस सिस्टम चीन को दिया. 12 जुलाई 2019 को तुर्की को इस सिस्टम की पहली डिलीवरी कर दी