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राज्य में मराठी भाषा में पढाई को लेकर उदासिनता

राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति के बाद भी मातृभाषा में पढाई नहीं

पुणे/दि.17 – राष्ट्रीय शिक्षानीति (एनईपी) के तहत शालेय से लेकर उच्च शिक्षातक पढाई करने वाले विद्यार्थियों को मातृभाषा के जरिए शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया था. परंतु हकीकत में महाराष्ट्र के विद्यार्थियों को मराठी भाषा के जरिए उच्च शिक्षा नहीं मिल रही. यह स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है. शालाओं द्वारा भी इन दिनों अंग्रेजी की राह पकड ली गई है. जिसके चलते भविष्य में विद्यार्थियों को मराठी से शिक्षा सुविधा मिलने कठीन होने वाला है. वहीं कई उच्च शिक्षा संस्थाओं ने भी मराठी में पढाने से इंकार कर दिया है. जिसके चलते इस नीति को अमल में लाये जाने के 3 वर्ष बाद भी उंगलियों पर गिनने लायक शिक्षा संस्थाओं में मराठी भाषा के जरिए उच्च शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो पा रही है.
बता दें कि, ‘एनईपी’ में मातृभाषा के जरिए पढाने पर जोर दिया गया है. फिलहाल उपलब्ध रहने वाले सभी प्रकार के पाठक्रम विद्यार्थियों को उनकी स्थानीय मातृभाषा के जरिए ही पढाया जाए, ऐसा आग्रह भी किया गया है. इसके अनुसार ऑटर्स, कॉमर्स व सायंस के साथ ही इंजिनियरिंग व वैद्यकीय पाठ्यक्रम की पढाई भी मराठी में उपलब्ध करवाने के प्रयास हो रहे है. परंतु इसे कोई विशेष प्रतिसाद नहीं मिल रहा है.
जहां तक महाराष्ट्र का सवाल है, तो राज्य में मेडिकल पाठ्यक्रम की पढाई मराठी भाषा के जरिए प्राप्त करने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. वहीं इंजिनियरिंग की पढाई मराठी भाषा से करने की सुविधा केवल एक महाविद्यालय की एक शाखा में तथा डॉ. बाबासाहब आंबेडकर टेक्नॉलॉजिकल युनिवर्सिटी में उपलब्ध है. जिसे देखते हुए कहा जा सकता है कि, मातृभाषा के जरिए पढाने हेतु खुद शिक्षा संस्थाएं व विद्यापीठ भी अनुकुल नहीं है. साथ ही आगामी शैक्षणिक सत्र से मराठी भाषा के जरिए पढाने हेतु कुछ शिक्षा संस्थाएं आगे आएंगी, ऐसा भी चित्र फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है.

* हिंदी, बंगाली व तमिल भाषाा के जरिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा यदि दी जा सकती है और इन भाषाओं पढने वाले विद्यार्थियों की संख्या यदि बढ सकती है, तो यदि स्थिति मराठी भाषा के साथ क्यों नहीं बन पा रही. इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने विद्यार्थियों को अंग्रेजी के साथ ही मराठी भाषा के जरिए गुणवत्तापूर्ण शैक्षणिक साहित्य उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि कुछ हद तक सकारात्मक बदलाव दिखाई दे सके.
– डॉ. वसंत कालपांडे,
पूर्व शिक्षा संचालक.

* शालेय शिक्षा में आएगी मराठी
उच्च शिक्षा में विविध पाठ्यक्रमों की पढाई मराठी भाषा के जरिए करवाने हेतु बेहद जरुरी है कि, शालेय शिक्षा में मराठी भाषा को आवश्यक महत्व मिले, इसके लिए ‘एनईपी’ में कुछ मार्गदर्शन निर्देश भी दिये गये है. परंतु राज्य सरकार का शालेय शिक्षा विभाग इस समय ‘एनईपी’ की समितियों के पेंच में फंसा हुआ है और जमीनीस्तर पर कोई नीति व नियम तय नहीं किये गये है. इसमें भी मराठी माध्यम की अनुदानित शालाएं बंद हो रही है. वहीं स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की और सरकारी शालाओं का रुपांतर सेमी अंग्रेजी व अंग्रेजी माध्यम वाली शालाओं में हो रहा है. जिसके चलते राज्य में बच्चों को मराठी भाषा में पढने की सुविधा कैसे मिलेगी. यह अपने आप में एक बडा सवाल है.

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