नागपुर/दि.19- विदर्भ के ठप पडे सिंचन प्रकल्पों का मुद्दा फिर से एक बार चर्चा में आ गया है. मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने मंगलवार को ऐसे सभी प्रकल्पोें के वर्तमान स्थिति की सभी समावेशक जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश राज्य के मुख्य सचिव को दिए है. इसके लिए उन्हें आगामी 15 अगस्त तक समय दिया गया है.
इस संदर्भ में जननायक बापूजी अणे स्मारक समिति ने जनहीत याचिका दायर की है. इस पर न्या. रोहित देव और न्या. महेंद्र चांदवानी की बैंच के सामने सुनवाई हुई. 4 वर्ष पूर्व राज्य सरकार ने समिति की ही याचिका में विदर्भ के सिंचन प्रकल्प निर्धारित समय में पूर्ण करने का वादा न्यायालय में किया था. पश्चात जनमंच नामक सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं ने ठप पडे सिंचन प्रकल्पों को भेंट दी. इससे सिंचन प्रकल्पों की परिस्थिति में संतोषजनक बदलाव दिखाई नहीं दिया. 1953 में हुए नागपुर करार में विदर्भ को विकास का आश्वासन दिया गया था. लेकिन विदर्भ को न्याय कभी नहीं मिला. डॉ. वी. एम. दांडेकर समिति ने विदर्भ में 38 फीसद सिंचन अनुशेष रहने की रिपोर्ट दी थी. शासन ने वह रिपोर्ट स्वीकार नहीं की. पश्चात 1995 में सिंचन विकास महामंडल को समानतर निधि वितरण पर सूचना करने के लिए समिति स्थापित की गई थी. इस समिति ने विदर्भ में 55 फीसद सिंचन अनुशेष रहने की रिपोर्ट दी थी. ऐसा रहते हुए भी विदर्भ के सिंचन प्रकल्पों की तरफ अनदेखी की जा रही है, ऐसा याचिकाकर्ता का कहना है. याचिकाकर्ता की तरफ से एड. अविनाश काले तथा सिंचन महामंडल की तरफ से एड. जेमिनी कासट ने कामकाज देखा.
* याचिका दुरुस्ती की अर्जी मंजूर
विदर्भ के ठप पडे सिंचन प्रकल्पों का मूल्यांकन करने उच्चाधिकारी समिति स्थापित की जाए और समिति स्थापन होने के बाद उसे निर्धारित समय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश देने की मांग का याचिका में समावेश करने के लिए समिति ने दायर की याचिका भी अदालत ने मंगलवार को मंजूर की.