जयंत पाटिल की लगनेवाली थी लॉटरी, भुजबल को मिला मौका

पाटिल की भाजपा के साथ बातचीत बीच में ही लटकी रह गई

मुंबई /दि.22- इस समय राज्य में सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव करवाने का रास्ता खुलते ही अनुमान लगाया जा रहा है कि, आगामी अक्तूबर से दिसंबर माह के दौरान सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव हेतु मतदान कराया जाएगा. जिसके मद्देनजर सभी पार्टीयां चुनावी तैयारी में जुट गई है और अब राजनीतिक गतिविधियां भी अपने पूरे उफान पर है. जिसके तहत हाल ही में अजीत पवार गुट वाली राकांपा के नेता छगन भुजबल की मंत्रिमंडल में वापसी हुई, परंतु भुजबल की वापसी से पहले पर्दे के पीछे काफी कुछ घटित हुआ था. जिसकी जानकारी अब धीरे-धीरे सामने आ रही है.
बता दें कि, विधानसभा चुनाव के बाद ठाकरे गुट वाली शिवसेना से बडी संख्या में नेताओं व पदाधिकारियों का पलायन शुरु हो चुका है. जो शिंदे गुट वाली शिवसेना में प्रवेश कर रहे है. साथ ही भाजपा में भी अन्य दलों के नेताओं व पदाधिकारियों की जमकर ‘इनकमिंग’ शुरु हो गई है. जिसके तहत चर्चा चल रही थी कि, शरद पवार गुट के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल भी भाजपा में शामिल होनेवाले है. इसी बीच राकांपा के दोनों गुटों के दोबारा एक साथ आने की चर्चा शुरु हुई थी. जिसे अब थोडा विराम मिला है. इन्हीं तमाम उठापटक के बीच अचानक ही अजीत पवार गुट वाली राकांपा के नेता छगन भुजबल की मंत्रिपद की शपथ विधि हो गई. जिसे लेकर इन लोगों को आश्चर्य हुआ है.
मिली जानकारी के मुताबिक विगत मंगलवार को राजभवन में केवल छगन भुजबल का ही शपथ ग्रहण हुआ. जबकि मंत्रिमंडल में अजीत पवार गुट के कोटे वाली एक और भाजपा के कोटे वाली दो सीटें रिक्त थी. चर्चा के मुताबित विगत कुछ दिनों से शरद पवार गुट वाली राकांपा के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटिल को महायुति में लाने का प्रयास चल रहा था और यदि वे भी भाजपा में शामिल हो जाते तो उन्हें भाजपा के कोटे से मंत्रिपद दिया जाता. परंतु जयंत पाटिल ने भाजपा में आने से इंकार कर दिया. जिसके चलते आखिरकार राकांपा के कोटे से रिक्त रहनेवाले मंत्रिपद पर छगन भुजबल को बिठाया गया, ऐसी जानकारी सामने आई है.

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