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‘लाडले भाई’ बन रहे सरकार के लिए सिरदर्द

शिंदे सरकार की योजना से पैदा हुई दिक्कत

मुंबई/दि. 1 – युवाओं को सरकारी कार्यालयों व निजी कंपनियों में काम करने का अनुभव मिले और वे रोजगारक्षम हो इस हेतु तत्कालीन एकनाथ शिंदे सरकार ने मुख्यमंत्री युवा प्रशिक्षण योजना शुरु की थी और विधानसभा चुनाव से पहले भी बजट में इस योजना को लेकर घोषणा करते हुए कहा था कि, यह योजना लाडले भाईयों के लिए है. परंतु शिंदे सरकार द्वारा शुरु की गई यह योजना अब राज्य की महायुति सरकार पर भारी पडती दिखाई दे रही है और अनुभव दिलाने हेतु सरकारी कार्यालयों में केवल 6 माह हेतु रखे गए युवा अब खुद को सरकारी सेवा में स्थायी किए जाने की मांग करते हुए संगठन बनाकर सरकार पर दबाव डाल रहे है.
बता दें कि, एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहते समय लागू की गई मुख्यमंत्री युवा प्रशिक्षण योजना के तहत युवाओं हेतु अप्रेंटिसशिप तथा मासिक 10 हजार रुपए के विद्यावेतन का स्वरुप तय किया गया था. जिसका मुख्य उद्देश्य सरकारी व निजी क्षेत्र में युवाओं को काम करने का अनुभव दिलाना था. परंतु कई युवा सरकारी कार्यालय में ही अप्रेंटिसशिप मिलने के इच्छुक थे. कौशल्य विकास विभाग द्वारा चलाई गई इस योजना के तहत सरकारी कार्यालयों में 6 माह का प्रशिक्षण प्राप्त हजारों युवा अब संगठन बनाकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि, उन्हें सरकारी नौकरी में स्थायी किया जाए. जबकि इस योजना के तहत कायमस्वरुपी नौकरी दी जाएगी, ऐसा कोई वादा सरकार द्वारा नहीं किया गया था. परंतु कुछ विधायक ही 6 माह अनुभव हेतु काम करनेवाले युवाओं को नौकरी में स्थायी किए जाने की मांग करने लगे है तथा ऐसा नहीं करने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी जा रही है. जिसके चलते हाल ही में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना की त्रुटियों पर चर्चा हुई. जिसमें इस योजना को शुरु रखना है अथवा नहीं इस पर गंभीरतापूर्वक विचार किए जाने की जरुरत कई मंत्रियों द्वारा जताई गई.

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