पिता का फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर जमीन हडपी
पुलिस अधीक्षक के पास रिपोर्ट पेश
* अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
वर्धा/दि.17 – एक बेटे द्वारा अपने पिता की मृत्यु का फर्जी प्रमाणपत्र तैयार करते हुए पिता के नाम पर रहने वाली जमीन को हडप लिये जाने का मामला सामने आया है. इस मामले में देवली पुलिस ने जांच करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक के समस्य अपनी रिपोर्ट भी पेश की है. लेकिन इस बात को तीन माह का समय बीत जाने के बावजूद भी संबंधित युवक के खिलाफ पुलिस द्वारा कोई अपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है.
जानकारी के मुताबिक देवली तहसील अंतर्गत शिरसगांव धनाडे में रहने वाले माणिक बलवंत निस्ताने वर्ष 1995 में अपना घर छोडकर चले गये थे, जो अब तक वापिस नहीं लौटे और वे जीवित भी है अथवा नहीं इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. लेकिन इसके बावजूद भी माणिक निस्ताने के बेटे अशोक निस्ताने के पास वरुड ग्रामपंचायत के ग्रामविकास अधिकारी के हस्ताक्षर से माणिक निस्ताने की सेवाग्राम अस्पताल में मृत्यु हो जाने का प्रमाणपत्र है. जिसके द्वारा इस फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र का प्रयोग विभिन्न सरकारी कामों में किया जाता है. ऐसा आरोप लगाते हुए 4 जनवरी को आपले सरकार पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई थी. जिसके आधार पर येवली पुलिस ने संबंधितों के बयान दर्ज करते हुए मामले की जांच की थी. जिसमें पता चला कि, माणिक निस्ताने के मृत्यु प्रमाणपत्र पंजीयन क्रमांक-502 व दाखिल क्रमांक-488 पर सेवाग्राम अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार हिंगणघाट में रहने वाले 8 दिन के बच्चे का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया गया था. जिसके चलते यह स्पष्ट हो गया कि, मूल दस्तावेज में छोडछाड करते हुए माणिक निस्ताने के नाम पर फर्जी तरीके से नकली मृत्यु प्रमाणपत्र तैयार किया गया.
विशेष उल्लेखनीय यह है कि, अशोक निस्ताने द्वारा शिरजगांव तलाठी कार्यालय में इस फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र का प्रयोग खेती के फेरफार हेतु किया गया और तलाठी ने फेरफार की नोंद वहीं की साक्षांकित प्रतिलिपी व मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर खेती का फोरफार किये जाने की बात कही. अशोक निस्ताने ने इस फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र के जरिए शिरजगांव धनाडे में माणिक निस्ताने के नाम पर रहने वाली सर्वे नंबर 247 व आराजी 1.38 हे. आर. वर्ग-1 की कृषि भूमि को अपने नाम पर फेरफार करा लिया. इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए देवली पुलिस ने अशोक निस्ताने के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 468 व 472 के तहत अपराधिक दर्ज करने की अनुमति मिलने हेतु जिला पुलिस अधीक्षक को रिपोर्ट पेश की थी. जिस पर आगे क्या कार्रवाई हुई, यह फिलहाल किसी को भी पता नहीं है.