अंतत: मनोज जरांगे पाटिल का अनशन खत्म
सीएम शिंदे आज सुबह अचानक पहुंचे जालना
* आंतरवाली सराटी गांव जाकर जरांगे को पिलाया जूस
* सीएम शिंदे व जरांगे के बीच हुई विस्तृत बातचीत
* दोनों ने एक-दूसरे की बातों का रखा सम्मान
* जरांगे ने अनशन स्थल नहीं छोडने की जिद छोडी
* इलाज के लिए 4 दिन अस्पताल में भर्ती होंगे जरांगे
* जरांगे ने सरकार को दिया 10 दिन का अतिरिक्त समय
* सरकार को 40 दिन में हल करना होगा मराठा आरक्षण का मुद्दा
* दानवे, महाजन, सामंत व खोतकर की मध्यस्थता आयी काम
* 17 दिन से चल रहे आमरण अनशन का हुआ पटापेक्ष
जालना/दि.14 – मराठा आरक्षण की मांग को लेकर विगत 17 दिनों से अंतरवाली सराटी गांव में आमरण अनशन कर रहे मराठा आंदोलक मनोज जरांगे पाटिल ने आज अंतत: अपना अनशन समाप्त किया. मनोज जरांगे पाटिल से मिलने राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज सुबह अचानक ही मुंबई से निकलकर जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव पहुंचे. जहां पर उन्होंने मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात करते हुए उन्हें मराठा आरक्षण के संदर्भ में ठोस कदम उठाने का सकारात्मक आश्वासन व भरोसा दिलाया. साथ ही सीएम शिंदे ने अपने हाथो से जूस पिलाकर मनोज जरांगे पाटिल का अनशन तुडवाया. इस समय मनोज जरांगे पाटिल ने अनशन खत्म करने की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि, वे मराठा आरक्षण का मसला हल होने तक अनशन स्थल पर ही दटे रहेंगे, तो सीएम शिंदे ने उन्हें उनके लगातार गिरते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए 3-4 दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती होने का आग्रहपूर्ण निवेदन किया है. जिसे मनोज जरांगे पाटिल ने स्वीकार करते हुए 4 दिन के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर हामी भरी. साथ ही कहा कि, अस्पताल से डिचार्ज होने के बाद वे एक बार फिर इसी स्थान पर आकर मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बैठेंगे और मांग पूरी होने तक अपने स्थान से नहीं हटेंगे.
सीएम शिंदे के साथ मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बातचीत करते हुए मनोज जरांगे पाटिल ने एक बार फिर अपनी उन्हीं पांच मांगों को दोहराया, जो उन्होंने इससे पहले भी सरकार के सामने रखी थी. साथ ही मनोज जरांगे पाटिल ने राज्य सरकार को अपनी मांगों पर विचार करने तथा मराठा आरक्षण के मामले को लेकर निर्णय लेने हेतु 10 दिन का अतिरिक्त समय देने की घोषणा भी की और कहा कि, अब राज्य सरकार के पास फैसला लेने के लिए 30 दिन की बजाय 40 दिन का समय है. इस दौरान राज्य सरकार द्बारा ठोस निर्णय लिए जाने की अपेक्षा है और यदि सरकार ऐसा करने मेें असमर्थ साबित होती है, तो मराठा समाज द्बारा राज्य में और भी अधिक तीव्र आंदोलन खडा किया जाएगा.
बता दें कि, मनोज जरांगे पाटिल विगत 29 अगस्त से मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन कर रहे थे. इस दौरान राज्य के अन्य कई जिलों में भी मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन होने शुरु हो गए थे. वहीं विगत 1 सितंबर को जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मराठा आंदोलकों पर पुलिस द्बारा लाठीचार्ज किए जाने के चलते यह आंदोलन और भी अधिक तीव्र हो गया तथा मनोज जरांगे पाटिल मराठा समाज को आरक्षण मिलने तक अनशन करने की भूमिका पर अड गए. परंतु इस दौरान राज्य सरकार की ओर से सामंजस्यपूर्ण भूमिका अपनाते हुए मनोज जरांगे पाटिल के पास अपने विशेष गुट के तौर पर केंद्रीय राज्यमंत्री रावसाहब दानवे पाटिल, मंत्री गिरिष महाजन व पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर को भेजकर कई दौर की बातचीत की गई. जिसके चलते आखिरकार 17 दिन बाद मराठा आरक्षण आंदोलन का चेहरा बन चुके मनोज जरांगे पाटिल ने अपना अनशन वापस लेने का एलान किया. जिसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने खुद जालना पहुंचकर मनोज जरांगे से भेंट की और उन्हें अपने हाथों से जूस पिलाकर उनका अनशन खत्म कराया. दरअसल, गुरुवार सुबह करीब 11 बजे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत भाजपा के मंत्री गिरीश महाजन, केंद्रीय राज्य मंत्री राव साहेब दानवे, मंत्री उदय सामंत, संदीपान भुमरे, राधाकृष्ण विखे पाटील आंदोलन स्थल पर पहुंचे. यहां सभी ने मिलकर मनोज के साथ बातचीत की. इसके बाद मनोज ने वहां मौजूद अपने समर्थकों के बीच अनशन खत्म करने का एलान किया. फिर मुख्यमंत्री शिंदे ने खुद उन्हें अपने हाथों से जूस पिलाकर 17 दिन से चल रहे अनशन को खत्म करवाया.
* पहले दिया था 30 दिन का अल्टीमेटम, अब 10 दिन बढाए
उल्लेखनीय है कि, मनोज जरांगे पाटिल ने मराठा आरक्षण पर फैसला लेने के लिए राज्य सरकार को 30 दिन का अल्टीमेटम दिया था. उन्होंने कहा था कि यदि सरकार ऐसा करने में विफल रहती है, तो वह फिर से अंतरावली सराटी में भूख हड़ताल शुरू करेंगे. इसके अलावा उन्होंने मराठा समुदाय से अगले 30 दिनों तक पूरे महाराष्ट्र में आंदोलन की सिरीज शुरू करने को कहा था. वहीं अब मनोज जरांगे पाटिल ने राज्य सरकार को 10 दिन की समयावृद्धि देते हुए कुल 40 दिनों का समय दिया है और इन 40 दिनों के दौरान मराठा समाज को बिना शर्त आरक्षण दिए जाने की मांग की है.
* क्या हैं मनोज जारांगे की मांगें
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 17 दिनों तक आमरण अनशन करने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने सरकार के सामने कई मांगे रखी है. जिसके तहत मनोज जरांगे ने कहा है कि मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र दिया जाए. इसके साथ ही जीआर में वंशावली का उल्लेख भी हटाया जाए. इसके अलावा जिन अधिकारियों ने प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्ज किया, उन्हें सेवा से निलंबित किया जाए. वहीं, जिन मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ अपराध दर्ज किए गए हैं उन्हें तुरंत वापस लिया जाए.
* भूख हड़ताल खत्म करने के पीछे की असल कहानी क्या?
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जिद पर अड़े मनोज जारांगे पाटिल ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के वादे पर ही अपनी भूख हड़ताल को खत्म कर दिया. 17 दिन तक चला यह आंदोलन बस एक वादे पर खत्म हुआ. इसके बाद सवाल उठने लगा कि आखिर मनोज जारांगे पाटिल ने क्यों कदम पीछे खींच लिया. इतनी हिंसा के बाद आंदोलन एक झटके में कैसे खत्म हुआ. इसे लेकर मिली जानकारी के मुताबिक हकीकत में मनोज जरांगे पाटिल द्बारा किए जा रहे अनशन के 15 वे दिन ही इसका समाधान निकलना था. परंतु जरांगे को अपना अनशन खत्म करने के लिए और दो दिनों का इंतजार करना पडा. हकीकत में राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपने दोनों उपमुख्यमंत्रियों व कुछ मंत्रियों के साथ कल शाम भी अंतरवाली सराटी गांव पहुंचने वाले थे. जिसे लेकर आवश्यक तैयारियां भी हो गई थी. परंतु ऐन समय पर सीएम शिंदे की पत्रवार्ता को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के चलते कल तमाम समीकरण कुछ हद तक गडबडा गए. जिसके बाद सीएम शिंदे ने कल शाम जालना के दौरे पर आना टाल दिया. वहीं आज सुबह बिना किसी पूर्व नियोजित दौरे के सीएम शिंदे अचानक ही मुंबई से निकलकर हवाई मार्ग के जरिए छत्रपति संभाजी नगर पहुंचे. जहां से उन्होंने अंतरवाली सराटी गांव पहुंचकर मनोज जरांगे पाटिल से भेंट की और उन्हें अपना अनशन तोडने पर राजी किया. इससे पहले कल रात 12 बजे के आसपास से ही मुंबई से लेकर जालना तक मनोज जरांगे पाटिल का अनशन खत्म करवाने हेतु हलचले तेज हो गई थी.
* बाबा, तुम्हारा बेटा बहुत भारी है
मनोज जरांगे पाटिल का अनशन खत्म करवाने हेतु अंतरवाली सराटी गांव पहुंचे. सीएम शिंदे ने जरांगे पाटिल के पिताजी से भी भेंट की और कहा कि, बाबा तुम्हारा बेटा बहुत भारी है. साथ ही वह बेहद निस्वार्थी व सच्चा कार्यकर्ता है. सीएम शिंदे ने कहा कि, वे विगत कई वर्षों से मनोज जरांगे को जानते है. मनोज ने कभी भी अपने व्यक्तिगत फायदे के लिए कोई मुद्दा नहीं उठाया, बल्कि हर मुलाकात के समय वह मराठा समाज को लेकर ही आग्रही भूमिका रखते है. इसके साथ ही सीएम शिंदे ने यह भी कहा कि, किसी मुद्दे को लेकर आंदोलन व आमरण अनशन करते हुए आगे बढना और उस आंदोलन को पूरे राज्य की जनता का प्रतिसाद भी मिलना ऐसा बहुत कम बार होता है. लेकिन मनोज जरांगे जैसे साधे व सामान्य कार्यकर्ता ने महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली तक सबको फिरा डाला है. इसके साथ ही सीएम शिंदे ने मनोज जरांगे पाटिल को यह आश्वासन भी दिया कि, वे बहुत जल्द मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर ठोस निर्णय लेंगे.
* 29 अगस्त से महाराष्ट्र की राजनीति में मची उथल-पुथल
मराठा आरक्षण आंदोलन को लेकर बीते 29 अगस्त से महाराष्ट्र की राजनीति में उथल-पुथल मची हुई थी. दुबली-पतली काया और कद-काठी वाले मनोज जारांगे अचानक ही तब लाइमलाइट में आ गए, जब उन्होंने मराठा आरक्षण को लेकर आवाज बुलंद की. इसके बाद 1 सितंबर को हुए हिंसात्मक विरोध के बाद पुलिस लाठीचार्ज ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया. इतने दिनों तक भूख हड़ताल पर रहे जारांगे ने मंगलवार को अपनी भूख हड़ताल खत्म करने का फैसला किया है, लेकिन सरकार को ये भी चुनौती दी है कि उनका आंदोलन जारी रहेगा और इस पर राज्य सरकार जल्द फैसला ले. अब शिंदे के आश्वासन के बाद उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया.
* हमने और कितने दिन मोर्चे निकालना
– जरांगे पाटिल की बहन ने बुलढाणा में उठाया सवाल
वहीं बुलढाणा में आयोजित मराठा क्रांति मोर्चा में शामिल होने पहुंची मनोज जरांगे पाटिल की बहन भारती कटारे ने कहा कि, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हमारी तीन पीढियां खप गई. लेकिन अब तक सरकार का अभ्यास ही खत्म नहीं हुआ. सरकार ऐसा कौनसा अध्ययन कर रही है, जो खत्म ही नहीं होता और आखिर हमने मराठा आरक्षण की मांग के लिए कब तक मोर्चे निकालना और कब तक आंदोलन करना यह भी बडा सवाल है. इसके साथ ही भारती कटारे ने यह भी कहा कि, उनका भाई अपने पूरे समाज के लिए अपनी जिंदगी को दाव पर लगाकर अनशन कर रहा है. अत: समाज के युवाओं ने कोई आत्मघाती कदम नहीं उठाना चाहिए, क्योंकि जब आरक्षण का लाभ मिलेगा, तो हम अपने समाज के युवाओं को आरक्षण का लाभ लेते देखना चाहते है.
* हम मराठों को कोई हल्के में न लें
– जरांगे की बेटी पल्लवी जरांगे ने दी चुनौति
वहीं बुलढाणा में आयोजित मराठा क्रांति मोर्चा में हिस्सा लेते हुए मनोज जरांगे पाटिल की बेटी पल्लवी जरांगे ने बडे आक्रामक ढंग से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर उनके पिता विगत 16 दिनों से आमरण अनशन करते हुए भूखे-प्यासे बैठे है. यदि उनके पिता को कुछ भी होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर होगी. आरक्षण को अपना अधिकार बताते हुए पल्लवी जरांगे ने कहा कि, मराठा समाज विगत कई वर्षों से शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकार की मांग कर रहा है. यदि उन पर दबावतंत्र का प्रयोग किया जाता है, तो हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. अत: हर कोई इस बात को याद रखे कि, मराठा समाज को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.
* ‘उस’ वायरल वीडियो पर सीएम शिंदे ने किया खुलासा
वहीं दूसरी ओर जालना पहुंचे राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने परसो की पत्रकार परिषद को लेकर गत रोज सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो के संदर्भ में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि, इस वीडियो के आगे व पीछे का हिस्सा काटकर बीच के एक छोटे से हिस्से को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है. जबकि हकीकत यह है कि, जब वे पत्रकार परिषद के लिए आ रहे थे, तब डेप्यूटी सीएम फडणवीस ने कहा कि, आज की पत्रवार्ता में कोई सवाल-जवाब नहीं होने देंगे. बल्कि बैठक में जो तय हुआ है, उतना कहेंगे. जिस पर उन्होंने (शिंदे) कहा कि, प्रश्नोत्तर भी नहीं और कोई राजनीतिक बयान भी नहीं. बैठक में जो तय हुआ केवल उतना कहना है और निकलना है. जिस पर डेप्यूटी सीएम अजित पवार ने हामी भरी. इस बातचीत का आंशिक हिस्सा सोशल मीडिया पर जानबुझकर शरारतपूर्ण ढंग से वायरल किया गया. इस स्पष्टीकरण के साथ ही सीएम शिंदे ने खुद को पहले दिन से मराठा आरक्षण की मांग के साथ बताते हुए कहा कि, उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं होता. अत: मराठा समाज ने उन पर भरोसा रखना चाहिए.