‘वैजिनल स्वैब’ का सैम्पल लेनेवाले पर कोई दया नहीं
हाईकोर्ट ने 10 वर्ष के कारावास की सजा को रखा कायम
* कोविडकाल में युवती का ‘थ्रोट स्वैब’ लेने की बजाए लिया था ‘वैजिनल स्वैब’
* बडनेरा के मोदी अस्पताल की घटना, पीडित युवती ने दर्ज कराई थी शिकायत
नागपुर/दि. 28 – अपनी कोविड जांच करवाने हेतु दवाखाने पहुंची एक युवती के थ्रोट स्वैब का सैम्पल लेने की बजाए उसके वैजिनल स्वैब यानी योनिस्त्राव का सैम्पल लेनेवाले आरोपी पर किसी भी तरह की दया दिखाने से मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने स्पष्ट इंकार कर दिया तथा जिला व सत्र न्यायालय द्वारा आरोपी को सुनाई गई 10 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सहित अन्य सजा को कायम रखा. यह निर्णय न्या. उर्मिला जोशी-फालके द्वारा दिया गया.
बता दे कि, अल्केश अशोक देशमुख (34) नामक आरोपी अमरावती के बडनेरा स्थित मोदी अस्पताल में एनालिस्ट पद पर काम किया करता था. 24 जुलाई 2020 को अमरावती के एक मॉल में कोविड मरीज पाया गया था. जिसके चलते मनपा प्रशासन ने उक्त मॉल के सभी कर्मचारियों को रैपिड एंटीजन टेस्ट करवाने का निर्देश दिया था. जिसके चलते उक्त मॉल में काम करनेवाली युवती सहित कुल 20 कर्मचारी 28 जुलाई 2020 को अपनी कोविड जांच करवाने हेतु मोदी अस्पताल पहुंचे थे. जहां पर आरोपी ने सभी कर्मचारियों का थ्रोट स्वैब सैम्पल लिया, वहीं पीडित युवती का नोजल स्वैब सैम्पल लेने के बाद उसे सैम्पल की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव रहने की बात बताई तथा दोबारा जांच करने हेतु उसे अकेले में बुलाकर उसका वैजिनल स्वैब लिया. चूंकि इस समय आरोपी ने केवल पीडित युवती का ही वैजिनल स्वैब सैम्पल लिया था. जिसके चलते उक्त युवती को आरोपी की करतूत पर थोडा संदेह हुआ. उसी दौरान आरोपी ने उक्त युवती को ‘तुम बहुत सुंदर हो, मुझसे दोस्ती करोगी क्या’ का मेसेज भी भेजा. जिससे आरोपी के गलत मनसूबे उजागर हो गए और फिर पीडित युवती ने तुरंत ही बडनेरा पुलिस थाने पहुंचकर अपनी रिपोर्ट दर्ज कराई.
* सत्र न्यायालय ने सुनाई 10 साल की सजा
इस मामले की सुनवाई पूर्ण करते हुए अमरावती की जिला व सत्र न्यायालय फरवरी 2022 में आरोपी अल्केश अशोक देशमुख को बलात्कार के अपराध हेतु 10 वर्ष के सक्षम कारावास व 10 हजार रुपए के आर्थिक जुर्माने तथा विनयभंग के अपराध हेतु 5 वर्ष के सश्रम कारवास व 5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई थी. इस फैसले के खिलाफ आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी. जिसे गुणवत्ताहीन बताते हुए हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.
* क्या कहा हाईकोर्ट ने
अपनी सजा के खिलाफ आरोपी अल्केश देशमुख द्वारा दायर की गई अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, बलात्कार यह समाज एवं मानवीय सम्मान के खिलाफ अपराध है और इस अपराध की ओर बेहद गंभीरता से देखा जाना जरुरी है. इस अपराध के लिए न्यूनतम 10 वर्ष के सश्रम कारावास से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. साथ ही एक बार बलात्कार का अपराध साबित हो जाने के बाद सजा को कम नहीं किया जा सकता. ऐसे में आरोपी के साथ सहानुभूती दिखाने पर न्याय का पतन होगा और समाज पर अन्याय होगा. अत: आरोपी को अपराध की गंभीरता के अनुसार ही सजा सुनाना आवश्यक है तथा जाति, धर्म व पंथ अथवा आर्थिक व सामाजिक स्तर को देखकर सजा को घटाया या बढाया नहीं जा सकता.