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मविआ में चल रहा पराजय का पंचनामा, फूट पडने के पूरे आसार

कांग्रेस नेता वडेट्टीवार ने नाना पटोले व संजय राउत पर फोडा हार का ठिकरा

* सीट बंटवारे में हुए विलंब व सीएम पद को लेकर हुई रस्साकशी को बताया हार की प्रमुख वजह
* पूर्व मंत्री नितिन राउत ने भी विधानसभा चुनाव में हार के लिए अपनी ही पार्टी को घेरा
* सेना नेता संजय राउत ने किया पलटवार, कांग्रेस को बताया हार के लिए जिम्मेदार
* हार के कारणों को लेकर कांग्रेस व शिवसेना उबाठा में मची तनातनी, राकांपा तटस्थ
मुंबई./दि.10 – लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद काफी उत्साहित रहने वाली महाविकास आघाडी का विधानसभा चुनाव में प्रदर्शन काफी लचर रहा और महाविकास आघाडी को करारी शिकस्त का सामना करना पडा. वहीं दूसरी ओर महायुति ने 237 सीटे जीतकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में अपनी सरकार भी बना ली तथा मंत्रिमंडल का गठन करते हुए विभागों का सफलतापूर्वक बंटवारा भी कर दिया. जिसके चलते अब धीरे-धीरे महाविकास आघाडी में शामिल घटक दलों के बीच असंतोष के स्वर टूटने लगे है तथा घटक दलों के नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर जिम्मेदारी धकेलकर उन पर हार का ठिकरा फोडा जा रहा है. यानि कुल मिलाकर महाविकास आघाडी में इस समय विधानसभा चुनाव की पराजय का पंचनामा चल रहा है. इसकी शुरुआत उस वक्त हुई, जब कांग्रेस नेता नाना पटोले ने मीडिया के साथ बातचीत में यह कह दिया कि, विधानसभा चुनाव से पहले महाविकास आघाडी में सीटों का बंटवारा करने को लेकर करीब 20 दिनों का समय लगाया गया. जबकि यदि सीट बंटवारे का मामला दो दिन में निपटा लिया जाता, तो बचे हुए 18 दिन चुनाव प्रचार के काम में आते. साथ ही वडेट्टीवार ने सीट बंटवारे के काम में हुए इस विलंब के लिए अपने ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले तथा मविआ में शामिल शिवसेना उबाठा के नेता व सांसद संजय राउत की अडियल भूमिका को कही न कही जिम्मेदार बताया. जिसके बाद सांसद संजय राउत ने वडेट्टीवार पर पलटवार करते हुए पूरी कांग्रेस पार्टी को ही निशाने पर ले लिया और यहां तक कह दिया कि, मविआ के तहत कांग्रेस द्वारा ही सबसे ज्यादा सीटे अपने पास रखने का प्रयास किया जा रहा था. जिसकी वजह से सीट बंटवारे में विलंब हुआ. साथ ही चुनाव के बाद खुद कांग्रेस के ही सबसे कम सीटे आयी है और अब कांग्रेस मविआ सहित इंडिया गठबंधन को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. इसके साथ ही कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री नितिन राउत ने भी एक न्यूज चैनल से बातचीत में यह स्वीकार किया कि, लोकसभा चुनाव में शानदार जीत मिलने के बाद महाविकास आघाडी के नेता अतिआत्मविश्वास का शिकार हो गये थे और हम बेवजह ही मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद करने के साथ ही सीट बंटवारे के मुद्दे को लेकर उलझे रहे, जिसका पूरा फायदा महायुति को मिला.
बता दें कि, महाविकास आघाडी में ताजा दरार का मामला उस समय शुरु हुआ, जब कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने आज दोपहर मीडिया कर्मियों के साथ बातचीत में कहा कि, विधानसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे का मामला निपटाने में मविआ के नेताओं को पूरे 20 दिनों का समय लग गया. जबकि वहां पर नाना पडोले व संजय राउत जैसे नेता थे. यदि उन्होंने दो दिन के भीतर इस मामले को निपटा लिया होता, तो हमें चुनाव प्रचार करने के लिए 18 दिनों का अतिरिक्त समय मिला होता. ऐसे में हम योग्य नियोजन ही नहीं कर पाये. वडेट्टीवार के मुताबिक कई बार सीटों का बंटवारा करने हेतु सुबह 11 बजे बैठक बुलाई जाती थी. लेकिन कई नेता दोपहर 2 बजे के बाद आया करते थे. साथ ही ज्यादातर बैठकों में बार-बार एक ही मुद्दों को लेकर चर्चा की जाती थी. जिसकी वजह से काफी समय नष्ट हुआ. वहीं दूसरी ओर महायुति के तहत दो माह पहले ही ज्यादातर सीटों के बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट हो गई थी. जिसका महायुति को फायदा हुआ. इसके साथ ही कांग्रेस नेता नितिन राउत ने भी एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि, विधानसभा चुनाव को लेकर महाविकास आघाडी के नेता काफी हद तक गाफील (लापरवाह) रहे. जिसका खामियाजा हमे विधानसभा चुनाव में हार के तौर पर देखना पडा. नितिन राउत के मुताबिक विधानसभा चुनाव से पहले महाविकास आघाडी के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री बनने की जबर्दस्त महत्वाकांक्षा व प्रतिस्पर्धा श्ाुरु हो गई थी. जिसकी वजह से मविआ के नेता आपस में ही एक-दूसरे के साथ उलझे रहे और हमें विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पडा.
कांग्रेस के दो नेताओं द्वारा अपनी ही पार्टी सहित शिवसेना उबाठा के प्रवक्ता व सांसद संजय राउत पर विधानसभा चुनाव की हार का ठिकरा फोडे जाते ही सांसद संजय राउत ने भी मीडिया से बातचीत करते हुए पलटवार किया और कहा कि, खुद कांगे्रस नेताओं के अडियल रवैये की वजह से कई सीटों के बंटवारे को लेकर मामला अधर में अटका रहा और कुछ स्थानों पर गलत तरीके से सीटों का बंटवारा हुआ. यह बात हम उस समय भी बता रहे थे. लेकिन अब उन बातों को लेकर चर्चा करने का कोई अर्थ भी नहीं है. साथ ही संजय राउत ने यह भी कहा कि, सीट बंटवारे के तहत खुद कांग्रेसी अपने हिस्से में ज्यादा से ज्यादा सीटे रखना चाहती थी. जबकि कांग्रेस की सबसे कम सीटें आयी है और कांग्रेस की तुलना में हम ज्यादा सीटों पर चुनाव जीते है. ऐसे में यदि वडेट्टीवार ने उस समय विदर्भ की ही कुछ सीटों पर कांग्रेस का दावा हटा दिया होता, तो शायद राकांपा व शिवसेना के लिए ज्यादा अच्छा रहा होता. इस समय सांसद संजय राउत ने चंद्रपुर सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि, चंद्रपुर के निर्दलीय विधायक किशोर जोरगेवार उस समय शरद पवार गुट वाली राकांपा की टिकट पर चुनाव लडने क लिए तैयार थे. ऐसे में शरद पवार ने चंद्रपुर की सीट राकांपा के लिए छोडे जाने की मांग रखी थी, लेकिन कांग्रेस तैयार नहीं हुई. जिसके बाद विधायक जोरगेवार भाजपा की टिकट पर लडे और चुनाव भी जीते. इस तरह क और भी कई उदाहरण है. इसके साथ ही सांसद संजय राउत ने यह भी कहा था कि, कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के बाद महाविकास आघाडी और इंडी गठबंधन को लेकर आवश्यक व अपेक्षित गंभीरता दिखानी भी बंद कर दी थी तथा महाराष्ट्र में सीट बंटवारे को लेकर मामला अटका हुआ था. तब भी कांग्रेस नेतृत्व ने अपेक्षित हस्तक्षेप नहीं किया था. साथ ही महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद अब तीनों दलों मेें बिल्कुल भी समन्वय नहीं बचा है. यदि ऐसा ही चलता रहा तो महाविकास आघाडी पूरी तरह से बिखर जाएगी और फिर मविआ व इंडी अलायंस जैसे गठबंधन दोबारा तैयार भी नहीं होंगे.

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