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शायद मेरे ’प्रहार’ का ख्याल दिल मे आया है, इसीलिए नड्डा ने मुझे दिल्ली में बुलाया है

एनडीए में शामिल होने विधायक बच्चू कडू को मिला बुलावा, कडू पहुंचे दिल्ली

परतवाडा/अचलपुर/दि.19 – चुनाव के समय रिेश्वत, तो जनता को भी दी जाती है, तो सिर्फ नेताओ को ही क्यो बदनाम किया जाता है. हम यहां किसी भी व्यक्ति विशेष के लाख कसीदे पढ़ ले, किंतु आज की राजनीति में कब किसका, किसके साथ गठबंधन हो जायेगा कहा नही जा सकता है. यदि मतदाता आज भी क्षणिक फायदे के लिए वोट डाल रहे तो इसे हानिकारक ही कहना होंगा. जो लोग पैसा लेकर वोट दे रहे, ऐसे लोगो को अपने सांसद, विधायक के खिलाफ कोई शिकायत करने का नैतिक अधिकार ही नही है. अखबारों से उम्मीद की जाती है कि कम से कम ताजा घटनाक्रम की शल्यचिकित्सा करते रहे, ताकि अवाम को खबर मिलती रहे. कल 18 जुलाई को सुबह 10 बजे से देर शाम 7.30 बजे तक जिले की सांसद नवनीत राणा गुणवत्ता प्राप्त दसवी-बारहवी के विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र और ट्राफी बांट रही थी. युवा स्वाभिमान पार्टी का यह कार्यक्रम कृषि मंडी अचलपुर के सभागृह में संपन्न हुआ. करीब ढाई से तीन हजार विद्यार्थियों को प्रमाणपत्र दिए गए, उनके अम्मी-अब्बा के साथ फोटोये खींची गई. चांदूर बाजार में भी लगभग ढाई हजार छात्रों का इसी प्रकार गौरव किया गया. अब युवा स्वाभिमान के पदाधिकारियो व कार्यकर्ताओं का दावा भी सुनने को मिला है. दावा यह है कि मैडम राणा को लोकसभा 2024-29 में जाने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक सकती है. बजरंगबली की जय हो.
उधर कल 18 जुलाई को ही अचलपुर विधानसभा क्षेत्र के खब्बू विधायक, पूर्व राज्य मंत्री और चुनाव आयोग के पास क्षेत्रीय दल के रूप में पंजीकृत प्रहार जनशक्ति पार्टी के संस्थापक बच्चू कडू दिल्ली में थे. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा ने उन्हें दिल्ली आने के लिए आमंत्रित किया था. बच्चू कडू सिर्फ हाथ धोकर ही नहीं, बल्कि नहा-धोकर वहां पहुंचे और अपनी बात भी रखी. फिलहाल वो लौटे नही, आने के बाद ही मालूम पड़ेंगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा.
2019 के लोकसभा इलेक्शन में निवर्तमान सांसद नवनीत राणा बतौर निर्दलीय चुनाव में खड़ी रही थी. तब उन्हें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस सहित यूपीए के कुल 26 दलों का समर्थन प्राप्त हुआ था. पितृशक्ति के रूप में प्रचार के दौरान शरद पवार इनका नाम भी खूब भुनाया गया. मतदाताओं ने और कांग्रेस का गढ़ माने जाते मेलघाट ने मुट्ठी भर-भर के वोट दिए. शिवसेना के आनंदराव अडसुल पराजित हुए, नवनीत राणा को विजयश्री मिली. फिर ना जाने क्या हुआ. सांसद महोदया का ह्रदय परिवर्तन हुआ, उन्हें वो सारी खूबियां सिर्फ और सिर्फ बीजेपी में दिखाई देने लगी जो कल तक शरद पवार जैसे वीर मराठा क्षत्रप में हुआ करती थी. सो, उन्होंने पूरे चार साल बीजेपी की जमकर स्तुति करने में बिता दिए. उद्धव के घर के सामने हनुमान चालीसा पढ़ी गई. एक कार्यकर्ता ने कल कृषि मंडी सभागृह में शेखी बघारते हुए कहा कि हनुमान चालीसा पठन की दखल सिर्फ इंडिया में ही नहीं, बल्कि विश्व के 30 देशों में ली गई थी. इतना सब कुछ होने के बाद भी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा साहेब ने उन्हें कल दिल्ली आने का न्योता नही दिया. अब कुटिचर लोग अच्छे खासे स्वाभिमानी पैंट की तुरपाई उधेड़ने में लगे है.
कल अचलपुर तहसील के छात्र-छात्राओं को उनके दिखाए हुनर के लिए गौरवान्वित किया गया. बच्चो के साथ माता-पिता की फ़ोटो और सेल्फ खींचने का राष्ट्रीय कार्यक्रम करीब दस घंटे तक जारी रहा. लोग भूख के मारे कही भाग न जाये, इसलिए सभी के लिए ‘उत्तम आहार’ की व्यवस्था भी की गई थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमितजी शाह और नड्डा जी के दिनरात गुणगान करती सांसद महोदय के साथ कल के प्रमाणपत्र बांटो कार्यक्रम में अचलपुर के वरिष्ठ कांग्रेसी हरिशंकर अग्रवाल (बाबूजी) ने मंच साझा किया. दूसरी ओर स्थानीय भारतीय जनता पार्टी का कोई भी लीडर, पदाधिकारी अथवा कार्यकर्ता नजर नही आया. कार्यक्रम के अंतिम क्षण तक हरिशंकरजी सांसद महोदया के साथ मंचासीन रहे. यूपीए अब ‘इंडिया’ हो गया और इस इंडिया की पहली कोशिश कल कृषि मंडी सभागृह में देखने को मिली. यदि बच्चो को प्रमाणपत्र बांटकर और इंडिया से हाथ मिलाकर लोकसभा जीती जा सकती है तो इसमे आखिर क्या हर्ज है.
इतिहास गवाह है कि बच्चू पहले शिवसेना में थे. बाद में प्रहार की नींव रखी. जनमत बनाया. पार्टी को आयोग के पास रजिस्टर्ड कर आये. अचलपुर विधानसभा क्षेत्र के 99 फीसदी मंदिरों की कायापलट का श्रेय भी बच्चू भाऊ को दिया जा सकता है. बच्चू ने जो नही करना था, शायद वो भी किया हो, लेकिन एक बात पर वो तटस्थ रहे. कभी अपनी विचारधारा नही बदली. एनडीए की मीटिंग में जाने से पहले उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि वो मुख्यमंत्री शिंदे को नाजायज तकलीफ में नही डालना चाहते है. दिव्यांग मंत्रालय में अध्यक्ष बनकर ही वो राजी है. यदि विधायक राजकुमार पटेल को राज्यमंत्री बना दे तो ज्यादा बेहतर होंगा. वो केंद्र में भी दिव्यांग मंत्रालय के गठन के तगड़े पैरोकार है.
इधर कल नवनीत राणा के कार्यक्रम में युवा स्वाभिमान के जिला अध्यक्ष ने अपनी तकरीर में जोर-जोर से चिल्लाते हुए बताया कि पीएम मित्रा मेगा टेक्सटाइल पार्क लाने में मैडम सांसद का कितना बहुमूल्य योगदान है. इस पार्क के आने से जिले के लाखो लोगो को रोजगार मिलेगा. इंजीनियर, सीए, वकील, डॉक्टर, एमबीए जैसे उम्मीदवारों को अब पूना-बेंगलोर जाने की जरूरत नही होंगी. जब युवा स्वाभिमान का स्वाभिमानी अध्यक्ष यह तकरीर पढ़ रहा था, तभी पीछे बैठे फिनले मिल के कुछ वर्कर्स अपनी डबडबाई आंखों को पोछते नजर आए. अमरावती को हवाई सेवा से जोड़ने की लच्छेदार बाते करते सांसद समर्थकों को आज तक अचलपूर की बंद पड़ी फिनले मिल और शकुंतला रेलवे की समस्या सपने में भी याद नही आई. यह समस्त अचलपुरवासियो की शोकांतिका है.
दिल्ली जाने से पूर्व बच्चू कडू ने एक टीवी चैनल से चर्चा करते हुए अपनी भावनाएं व्यक्त कर दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में वो विधानसभा के साथ ही लोकसभा के लिए भी सीट आवंटन की मांग नड्डा के सामने रखेंगे. अब प्रहार यदि लोकसभा की सीट मांगती है, तो उसमे अमरावती का शुमार होना लगभग तय है. बच्चू जैसा नेता कभी अपनी जड़ों से दूर नही हो सकता. इसलिए महाराष्ट्र की अन्य दो सीटों पर प्रहार समझौता कर लेगा. लेकिन अमरावती लोस सीट पर सबसे ज्यादा प्रहार की दावेदारी ही होंगी, ऐसा जानकारों का अनुमान है. मूसलाधार बारिश और भीषण ठंड के चलते एड़ियां तक फट जाती है.
मौसम की मार शरीर की कोमल त्वचा को छिन्नभिन्न कर छोड़ती है. राजनीति में तो मूसल तैयार ही रहते है कूटने के लिए. किस व्यक्ति का सौम्य चेहरा कब ‘सोमैय्या’ कर दिया जायेगा. कहा नही जा सकता है. 2024 की राजनीतिक नूरा कुश्ती का आगाज हो चुका है. छोटे-छोटे मंचो पर ‘रंगीत तालीम’ और रिहर्सल की जा रही है. कोई एक जनप्रतिनिधि हवाई अड्डा, मेगा टेक्सटाइल पार्क, लाखो नौकरियां देने के दिव्यास्वप्न दिखा रहा है. कोर्ट में जाति प्रमाणपत्र पर अभी अंतिम निर्णय होना बाकी है. शायद चुनाव से पूर्व यह फैसला भी सुनने को मिल जाये. दूसरी ओर चांदूर बाजार तहसील के बेलोरा गांव की मिट्टी से निकला कबड्डी खिलाड़ी है. यह खिलाड़ी अब विधायक बन चुका और नाम है बच्चू कडू. बड़ी-बड़ी डींगें हांकना इसकी फितरत में शामिल नही. ना कभी लोगो के जत्थे दिल्ली लेकर गए और ना ही कभी आग्रा. ना विधानसभा दिखाई और ना ही लोकसभा. फिर बीस सालों से क्या झक मारी? तब जवाब मिलता है कि जितने लोगो को निराधार, विधवा, विकलांग के तौर पर तहसील से मानधन मिल रहा है, वो जमीन से जुड़े अंतिम व्यक्ति का छोटा सा काम किया है मैंने. मेरे मतदाता ही मेरे भगवान है. मेरे भगवान को जो भगवान प्रिय है, उन सभी के प्राचीन देवालयों का जीर्णोद्धार करने का अवसर मुझे मिला और मै धन्य हो गया. परेड ग्राउंड पर जिले का सबसे बेहतरीन क्रीड़ा संकुल निर्माणधीन है. अचलपुर से धारणी तक आम आदमी को भरपूर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई. तब जाकर अब नजर लोकसभा पर आ ठहरी है.
कल कृषि मंडी के सभागृह में एसएससी-एचएससी के प्रविण्यता प्राप्त छात्रों का सत्कार किया गया. जिन कार्यकर्ताओ को यह जिम्मेदारी सौपी गई थी, उन्होंने आपस मे रेवड़ियां बांटने का काम किया. कुछ ने तो पांचवी से कक्षा नौ तक के लड़कों-लड़कियों को प्रमाणपत्र और ट्राफी दिलवाने की सुपारी तक ले रखी थी. युवा स्वाभिमान के अचलपुर-मेलघाट स्तर पर बड़ी मुश्किल से तीन से चार पदाधिकारी ही ऐसे है, जो निस्वार्थ भाव से अपनी पार्टी और अपने नेता के लिए कार्य करते रहते है. इसमे रविन्द्र गवई, बंटी और मनीष का नाम लिया जा सकता है. चाय से ज्यादा केटली गर्म की तर्ज पर बाकी महानुभाव है. एक जाकिटधारी बंदा तो आदिवासी अंचल से लेकर परतवाडा तक खासा बदनाम हो चुका. धौतरखेड़ा के पुल निर्माण में भ्रष्टाचार को लेकर आप सांसद मैडम को भी कार्यस्थली पर ले आये. बाद में संबंधित ठेकेदार से हाथापाई की गई. पुलिस में शिकायत दर्ज होने के बाद आप बेल पर रिहा और केस न्यायप्रविष्ट है. अपने पेट्रोलपंप के लिए अपना स्वाभिमान खोकर मुरुम मांगना, ठेकेदार को ब्लैकमेल करना शानदार संपर्क प्रमुख को शोभा नही देता. हद तो तब हो गई, जब यही बंदा अपने भाई के साथ टाइगर रिजर्व में हुई एक हत्या के जुर्म में सह अपराधी भी बनाया गया. कल के प्रमाणपत्र वितरण कार्यक्रम में यही साफ छवि के कार्यकर्ता अपनी भक्ति और शक्ति का उमदा प्रदर्शन कर रहे थे. विद्यार्थियों के गौरव हेतु आयोजित उक्त समारोह से कई बछड़ों की कल दीपावली हो गई. लूट के माल में हमारा भी हिस्सा कहते हुए सभी निष्ठावान रात 8 बजे अज्ञातवास हेतु रवाना हो गए.
परतवाडा-अचलपुर के जागरुक मतदाताओं में कल थोड़ी खुशी-थोड़ा गम देखने को मिला. खुश वो थे जो बरसो से कांग्रेस को वोट देते आ रहे. उन्हें सांसद महोदय का इंडिया की मुख्य प्रवर्तक कांग्रेस के साथ मंच साझा करना बहुत ज्यादा भा गया. दुखी वो हुये जो सांसद को हनुमान भक्त समझकर उनके नजदीक हुए जा रहे थे. अब उन्हें क्या मालूम कि राजनीति में असल भगवान सिर्फ कुर्सी ही होती है. वो एकबार मिल जाये तो फिर 2029 तक जमकर जनसेवा की जाएंगी. कल युवा स्वाभिमान का चोट खाया हुआ एक कार्यकर्ता परतावाडा के जयस्तंभ चौक पर मिला. हमने पूछा, क्यो यार चेहरा उतरा हुआ क्यो है. वो बोले घर जा रहा हूँ, वहां कृषि मंडी में अपने बच्चों को रेवड़ियां बांटी जा रही. मेरा मन नही लगा, सो निकल आया. हमने पुनः पूछा, मन क्यो नही लग रहा? वो बोला, क्या बताए भाई, नड्डाजी ने दिल्ली में बुलाना था किसे, बुला लिया किसको, इसलिए अब खिसको. घर जा रहा हूँ.
खैर सबका मंगल हो. दोनों भी कर्मठ नेता है. बच्चू तो बच्चू है, लेकिन सांसद महोदया भी कम नही. उनके काम करने का अपना तरीका है. निर्दलीय प्रत्याशी को लोकसभा में बोलने का मौका संविधान के नियम अंतर्गत दिया जाता है. लोगो को उनका सदन में बोलना अच्छा लगता है. कौन-किस पार्टी और सरकार में चला जायेगा, कोई भी भविष्यकार बता नही सकता. मतदाता को चाहिए कि वो वोट सोच-समझकर दे.
राजनिती का लक्ष्य, सिर्फ पैसे कमाना,
झुठ को सच, सच को झुठ दिखाना,
समाजसेवा के लिए सियासत मे आना,
आकर नेता भरता खुद का ही खजाना.

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