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पोर्शे हादसा मामले में पुलिस से कुछ गलतियां तो हुई

गृहमंत्री फडणवीस ने पावस सत्र में किया कबूल

मुंबई/दि.28 – विगत माह पुणे में घटित पोर्शे कार हादसा मामले की समूचे राज्य में काफी चर्चा रही. अब इस घटना को लेकर काफी आरोप-प्रत्यारोप व दावे-प्रतिदावे भी हुए. साथ ही साथ विपक्ष द्वारा यह आरोप भी लगाया गया कि, राज्य सरकार की ओर से आरोपी को अभय दिया जा रहा है. इससे संबंधित मुद्दा आज राज्य विधान मंडल के पावस सत्र दौरान ठाकरे गुट के सुरेश प्रभू द्वारा उपस्थित किये जाने पर राज्य के उपमुख्यमंत्री व गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने काफी हद तक यह स्वीकार किया कि, पुणे में घटीत पोर्शे कार हादसा मामले के बाद शुरुआती दौर में पुलिस की ओर से कुछ गलतियां तो हुई है. जिसके चलते कर्तव्य में कोताही करने वाले संंबंधित पुलिस अधिकारी को तत्काल निलंबित कर दिया गया. वही अपनी गलतियों को सुधारते हुए पुलिस ने आगे चलकर इस मामले में बेहद उचित ढंग से जांच की और आरोपियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की गई.
इस मुद्दे को लेकर उपस्थित किये गये सवाल के जवाब में गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, 19 मई 2024 की रात ढाई बजे के आसपास घटित इस हादसे के बाद नाबालिग आरोपी के साथ मौके पर मौजूद लोगों ने थोडी मारपीट की थी. जिसके बाद उसे पुलिस थाने लाया गया. जहां पर पुलिस ने पहले धारा 304 (अ) के तहत अपराध दर्ज किया था. परंतु बाद में वरिष्ठाधिकारियों ने पुलिस थाने पहुंचकर धारा 304 के तहत ही अपराध दर्ज करने का निर्देश दिया. इसी तरह पुलिस ने जुवेनाइ जस्टीस बोर्ड के समक्ष दाखिल आवेदन में भी साफ तौर पर कहा कि, नाबालिग आरोपी ने बडी निर्ममता के साथ यह कृत्य किया है. अत: 17 वर्ष 8 माह की आयु वाले आरोपी को प्रौढ मानते हुए इस मामले को अदालत में भेजा जाना चाहिए.
वहीं इस मामले में पुलिस की सजगता का उदाहरण देते हुए गृहमंत्री फडणवीस ने यह भी कहा कि, पुलिस की सतर्कता के चलते ही आरोपी के ब्लड सैम्पल को लेकर की गई अदला-बदली उजागर हो पायी और पुलिस ने मामला समझमें आते ही तत्काल कार्रवाई कर संबंधित डॉक्टरों को गिरफ्तार किया. इसके अलावा पुलिस ने नाबालिग बेटे को कार सौंपने वाले उसके पिता तथा यह पूरा मामला अपने सिर पर लेने हेतु ड्राइवर पर दबाव बनाने के साथ ही उसे दिनभर कैद में रखते हुए प्रताडित करने वाले उसके दादा को भी गिरफ्तार किया. जो अब भी हिरासत में है.
इस पूरे जवाब में फडणवीस का कहना रहा कि, पुलिस की सबसे पहली गलती यह थी कि, जब उक्त नाबालिग आरोपी को रात 3 बजे पुलिस थाने में लाया गया, तो उसे उसी वक्त मेडिकल जांच के लिए भेजा जाना चाहिए था. परंतु पुलिस ने सुबह 8.30 बजे आरोपी को मेडिकल जांच हेतु भिजवाया. इसके अलावा इस शुरुआती गलती के बाद पुलिस ने इस मामले में शानदार कार्रवाई की.

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