चौधरी परिवार की याचिका पर राज्य उपभोक्ता फोरम की सुनवाई
रेल्वे विभाग को अदा करना पडा अपेक्षित ब्याज के साथ बकाया राशि का भुगतान
परतवाड़ा/दि.2 – चौधरी परिवार की याचिका पर राज्य उपभोक्ता फोरम ने सुनवाई की है. जिसके तहत अब रेल्वे विभाग को चौधरी पवार को अपेक्षित ब्याज के साथ बकाया राशि का भुगतान करना पडा. स्व.रतनकुमार चौधरी (श्री चौधरी) ने अपनी बेटी कीर्ति अग्रवाल के विवाह समारोह के लिए 8 दिसंबर 1987 से 12 दिसंबर 1987 तक नागपुर से लखनऊ और वापसी के लिए 3-स्तरीय कोच बुक किया था.लखनऊ से नागपुर लौटते समय उत्तर रेलवे के अधिकारी, स्व.रतनकुमार चौधरी द्वारा बुक की गयी बोगी को जोड़ने में असमर्थता बताई.
बार-बार अनुरोध करने के बाद, उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने वैकल्पिक बोगी को जोड़ दिया, परंतु अपेक्षा के अनुसार यह बोगी में सुविधा नहीं थी जो इतनी गंदी और अशुद्ध थी और यहां पानी और बिजली की आपूर्ति का भी कोई अता पता नहीं था. उत्तर रेलवे के अधिकारियों के कार्यों से दुखी होकर, स्व. रतनकुमार चौधरी ने अमरावती में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता विवाद मंच के समक्ष शिकायत दर्ज की, जिसने स्व. चौधरी के पक्ष में आदेश पारित किया. उक्त आदेश से व्यथित होकर, रेलवे ने मुंबई में उपभोक्ता फोरम के समक्ष उक्त आदेश को चुनौती दी, जिससे राज्य उपभोक्ता आयोग ने आदेश को रद्द कर दिया.
उक्त आदेश को स्व. रतनकुमार चौधरी द्वारा नई दिल्ली में एनसीडीआरसी (राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) के समक्ष चुनौती दी गई, जिसने मामले को नागपुर में माननीय राज्य उपभोक्ता फोरम को भेज दिया. नागपुर में राज्य उपभोक्ता फोरम ने चौधरी की शिकायत सुनी और माना कि शिकायत में कार्रवाई का एक वैध कारण था और रेलवे को मुआवजा देने के लिए 16 अक्टूबर 2002 के आदेश के तहत निर्देश दिया. उक्त आदेश को राज्य फोरम, मुंबई द्वारा 17 नवंबर 2003 के आदेश द्वारा बरकरार रखा गया और पुष्टि की गई.
राज्य उपभोक्ता फोरम के उक्त आदेश से व्यथित होकर, रेलवे ने बॉम्बे उच्च न्यायालय की बॉम्बे बेंच के समक्ष एक रिट याचिका दायर की, जिसके तहत माननीय न्यायालय ने आदेश के तहत अंतरिम स्थगन दिया. 17 नवंबर 2003 और राज्य उपभोक्ता फोरम के आदेशों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी.
इन कार्यवाहियों के दौरान, 26 अक्टूबर 2008 को रतनकुमार चौधरी के दुखद निधन के कारण, उनके कानूनी उत्तराधिकारियों ने उनके स्थान पर इन कार्यवाहियों को आगे बढ़ाया और रेलवे से उन्हें रिकॉर्ड पर लाने के लिए उचित कदम उठाने का अनुरोध किया.हालाँकि, रेलवे अनुत्तरदायी था और उसने रिट याचिका में रुचि खो दी थी. अंततः, स्व.रतनकुमार चौधरी के उत्तराधिकारियों ने, उनके पुत्र संजय रतनकुमारजी चौधरी के माध्यम से, उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर कर स्व.चौधरी के कानूनी उत्तराधिकारियों को रिकॉर्ड पर लाने में विफलता के आधार पर याचिका को खारिज करने की मांग की. कोर्ट ने 28 जून 2023 के एक आदेश के माध्यम से उक्त आवेदन को स्वीकार करने में प्रसन्नता व्यक्त की और रिट याचिका को खारिज कर दिया.
उक्त आदेश के बाद, स्व. रतनकुमार चौधरी के उत्तराधिकारियों ने रेल मंत्री, अश्विनी वैष्णव और रेलवे बोर्ड और मध्य रेलवे के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को एक नोटिस जारी किया. यह काफी हर्ष की बात है कि रेलवे ने तुरंत प्रतिक्रिया दी और चौधरी के परिवार के सदस्यों को अपेक्षित ब्याज के साथ बकाया राशि मंजूर कर दी. एम.के. कुलकर्णी ने जिला एवं राज्य मंच के समक्ष श्री चौधरी परिवार का प्रतिनिधित्व किया. अधिवक्ता देवाशीष गोडबोले ने चौधरी परिवार का प्रतिनिधित्व किया. उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता एस.एन. कुमार और जतिन कुमार ने मामले के निष्कर्ष के लिए अपनी बहुमूल्य सलाह दी.स्व.रतनकुमार चौधरी के पोते, अधिवक्ता आश्रय चौधरी ने भी इन कार्यवाही में योगदान दिया.