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शिक्षा का अधिकार में बदल को स्टे

धरी रह गई सरकार की मंशा

* गरीब विद्यार्थियों का होगा फायदा
मुंंबई/ दि. 7- गरीब विद्यार्थियों के फायदे हेतु शुरू की गई शिक्षा का अधिकार योजना को पलीता लगानेवाली सरकार की मंशा उच्च न्यायालय के निर्णय से धरी रह गई. आरटीई में घर के नजदीक की शाला में प्रवेश के प्रावधान पर बंबई उच्च न्यायालय की न्या. आरिफ डॉक्टर और न्या. देवेंद्र उपाध्याय की खंडपीठ ने रोक लगा दी. इससे बगैर अनुदानित निजी शालाओं में विद्यार्थियों के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त होने का दावा जानकार कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि महायुति सरकार ने निजी शालाओं में 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के बच्चों के एडमिशन में शर्ते लगा दी थी. परिणामस्वरूप आरटीई में सीटें उपलब्ध रहने पर भी आवेदन अत्यल्प आए थे. इसका कारण बडी प्रसिध्द शालाओं में गरीब विद्यार्थियों के प्रवेश का रास्ता उनके घर की दूरी की शर्त लगाकर बंद किया गया था.
* कोर्ट की कडी टिप्पणी
कोर्ट ने सरकारी प्रावधान पर रोक लगाते हुए कडी बात कही थी. सरकार का निर्णय शिक्षा का अधिकार कानून के विरूध्द हैं. संविधान बच्चों को नि:शुल्क प्राथमिक शिक्षा देने की गारंटी में बाधा लानेवाला है. एक किलोमीटर की परिधि में पर्याप्त सरकारी या अनुदानित शाला रहने पर बिना अनुदानित शालाओं के आरक्षित सीटों को प्रवेश प्रक्रिया से अलग नहीं किया जा सकता.
उल्लेखनीय है कि अश्विनी कांबले और कुछ अन्य लोगों ने सरकार के जीआर को बंबई उच्च न्यायालय में ललकारा था. मुख्य न्यायमूर्ति देवेंद्र उपाध्याय की खंडपीठ ने सरकार के निर्णय पर रोक लगा दी. इससे प्रदेश में चल रही आरटीई प्रवेश प्रक्रिया को अब गति मिलेगी.

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