नागपुर/दि.9– भारतीय संविधान में नागरिकों को दिए गए मूलभूत अधिकारों के संदर्भ में मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने विगत मंगलवार को बेहद महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. जिसमें कहा गया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का व्यापक दृष्टिकोण से विचार किया जाना चाहिए और किसी भी नागरिक को विदेश जाने से रोकना इस तरह से उसके मूलभूत अधिकारों का हनन है.
न्यायमूर्तिद्वय अतुल चांदूरकर व अमित बोरकर द्वारा सुनाए गए इस फैसले में कहा गया है कि किसी भी तरह के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष बाधा अथवा दिक्कत के बिना विदेश जाना और वहां से वापस अपने देश में आना भारतीय नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक हिस्सा है और इस स्वतंत्रता को केवल गिरफ्तारी या स्थानबद्धता से संरक्षण देने तक सीमित नहीं रखा जा सकता. क्योंकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अर्थ काफी व्यापक है. जिसमें विदेश यात्रा करने के अधिकार का भी समावेश है. संविधान के आर्टिकल 21 के अनुसार यदि कोई कानूनी दिक्कत नहीं है तो किसी भी नागरिक को इस अधिकार से वंचित नहीं रखा जा सकता. बल्कि ऐसा करना मूलभूत अधिकारों का उल्लंघन माना जाना चाहिए.
जानकारी के मुताबिक नागपुर के कर्ज वसूली न्यायाधिकरण में गुप्ता एनर्जी कंपनी के संचालक अनुराग पद्मेश गुप्ता को विदेश जाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद अनुराग गुप्ता द्वारा हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई करने के पश्चात न्यायालय ने कहा कि कर्ज वसूली प्राधिकरण किसी को विदेश जाने देने की अनुमति से इनकार नहीं कर सकता और ऋण वसुली कानून के तहत इस न्यायाधिकरण को ऐसा कोई आदेश जारी करने का अधिकार भी नहीं है.
कुछ ऐसा है मामला
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में अनुराग गुप्ता सहित अन्य संचालकों से 110 करोड़ 15 लाख रुपए का कर्ज वसुल करने हेतु कर्ज वसूली न्यायाधिकरण के समक्ष आवेदन दायर किया है.
चूंकि अनुराग गुप्ता के इस कर्ज में व्यक्तिगत जमानतदार हैं.ऐसे में बैंक ने गुप्ता का पासपोर्ट जप्त करते हुए उन्हें विदेश नहीं जाने देने हेतु न्यायाधिकरण से निवेदन किया था.
पश्चात 18 जनवरी 2018 को न्यायधिकरण ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए गुप्ता की विदेश यात्रा पर रोक लगाई थी.
गुप्ता को अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने हेतु 9 से 17 जून तक तुर्की जाना है. ऐसे में उन्होंने विदेश यात्रा पर जाने की अनुमति मिलने हेतु न्यायाधिकरण के समक्ष आवेदन किया था, परन्तु न्यायाधिकरण द्वारा यह आवेदन 23 मई 2022 को खारिज कर दिया था.
पश्चात गुप्ता ने अपनी पत्नी को लेकर हाइकोर्ट की शरण ली और हाइकोर्ट ने न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द कर दिया. हाइकोर्ट का कहना है कि गुप्ता की संपत्ति और 67 करोड़ रुपए की सावधि जमा बैंक के पास गिरवी रखी गई है. इसके अलावा गुप्ता ने 17 जून को भारत वापस लौटने और प्राधिकरण के साथ सतत संपर्क में रहने की गारंटी भी दी है. ऐसे में उन्हें विदेश यात्रा पर जाने हेतु अनुमति नहीं देने का कोई औचित्य नहीं है.