* वन विभाग की हाइकोर्ट में जानकारी
नागपुर/दि.18- प्रेम का प्रतीक माने जाने वाला दुर्मिल सारस पक्षी चंद्रपुर जिले से नामशेष होने के संकेत मिले हैं. इस जिले में चार वर्ष पूर्व मात्र एक सारस पक्षी दिखाई दिया था. लेकिन इसके बाद वहां एक भी सारस पक्षी के दर्शन नहीं हुए. परिणामस्वरुप इस वर्ष यहां पर सारस पक्षी का सर्वेक्षण ही नहीं किया गया.
वन विभाग ने गुरुवार को मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ में प्रतिज्ञा पत्र दाखिल कर यह जानकारी दी. प्रतिज्ञा पत्र की अन्य जानकारी के अनुसार, इस वर्ष सिर्फ गोंदिया व भंडारा जिले में ही सारस पक्षी का सर्वेक्षण किया गया. दरमियान गोंदिया जिले में 31 व भंडारा जिले में 4 सारस पक्षी दिखाई दिए हैं. जिसकी रिपोर्ट आगामी कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी को प्रस्तुत की गई है.
उच्च न्यायालय ने सारस पक्षी के संवर्धन के लिए जनहित याचिका दाखल की है. जिस पर न्यायमूर्तिद्वय अतुल चांदूरकर व वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई. पश्चात न्यायालय ने वन विभाग का प्रतिज्ञा पत्र रेकॉर्ड पर लिया व अन्य मुद्दे पर विचार करने के लिए याचिका पर 23 अगस्त को अगली सुनवाई निश्चित की है. एड. राधिका बजाज ने न्यायालय मित्र के रुप में व एड. कार्तिक शुकुल ने वन विभाग की ओर से कामकाज देखा.
* भरपाई के लिए तीन लाख का प्रावधान
सारस पक्षी के घोसले के कारण खेतों की फसलों का नुकसान होने पर किसान को आवश्यक भरपाई देने के लिए 27 जनवरी 2022 को राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है. वह प्रस्ताव विचाराधीन है. प्रस्ताव मंजूर होने तक भरपाई की सुविधा के रुप में नवेगांव-नागझिरा व्याघ्र संवर्धन प्रतिष्ठान के अर्थसंकल्प में तीन लाख रुपए का प्रावधान किया गया है. यह प्रावधान सिर्फ गोंदिया व भंडारा जिले के लिए है. सारस पक्षी नहीं होने के कारण चंद्रपुर जिले को इससे अलग किया गया है.