अन्य शहरदेश दुनियामहाराष्ट्रमुख्य समाचार

स्त्रीधन यही पत्नी की संपत्ती, इस पर पती का अधिकार नहीं

सर्वोच्चः मिली भेंट वस्तू को बेचने रखने का स्त्री को पूरा अधिकार

नई दिल्ली./दि.26 – सर्वोच्च न्यायलय ने एक महत्वपूर्ण मामले के परिणाम में कहा कि स्त्रीधन पर पती का किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं. संकट के समय वह उस का इस्तेमाल कर सकती है. मगर उसके बाद वापस करना पडेगा. खंडपीठ ने कहा. स्त्री का उसके स्त्रीधन पर पूरी तरह अधिकार है. विवाह से पहले, विवाह के दौरान व बाद में मां-पिता, ससुराल, रिश्तेदार व मित्र की ओर से मिली भेट वस्तू यानी स्त्रीधन यह पूरी तरह स्त्री की संपत्ती है और उसे उसके इच्छानुसार बेचने, रखने का पूरा अधिकार है.
न्या.संजीव खन्ना व न्या.दीपंकर दत्ता की खंडपीठ के सामने बुधवार एक महिला की याचिका पर सुनवाई हुई. खंडपीठ ने कहा कि स्त्रीधन का अप्रमाणिक तौर पर गैर इस्तेमाल होने पर पती व उसके परिवार के सदस्यों पर आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है. ऐसे प्रकरण में फौजदारी मामले के प्रमाण ठोस सबुतों के आधार पर निर्णय न लें. अगर पत्नी का दावा अधिक दमदार होने के चलते शक्यता के आधार पर निर्णय लें. ऐसा भी न्यायालय ने कहा है. संविधान की कलम 142 के अनुसार अपने अधिकार का इस्तेमाल कर खंडपीठ ने पत्नी के सभी गहनों को छुपाने के चलते पती को 25 लाख रुपयों की भरपाई देने के आदेश दिए है.

ऐसा है प्रकरण
याचिकाकर्ता महिला का आरोप है कि 2003 में विवाह के पश्चात पहली रात को उसे मिली भेंट के रुप में सोने के गहने व पिता की ओर से मिले 2 लाख रुपयों का धनादेश पती ने खुद के पास रख लिया. उसके बाद अपनी मां के साथ मिल कर उसके कर्ज फेरने के लिए पैसे खर्च कर लिए. 2009 में परिवारिक न्यायालय ने उसकी ओर से परिणाम सुनाया. उसके पती को 8.9 लाख रुपये देने के आदेश दिए. इसी तरह केरल उच्च न्यायलय ने यह आदेश बाजू को रख कर कहा कि पती व्दारा स्त्रीधन लेने की बात सिध्द करने में पत्नी कामयाब नहीं हुई.

Related Articles

Back to top button