कैबिनेट की बैठक में सीएम शिंदे व डेप्यूटी सीएम पवार के बीच तनाव
दो सचिवों के विवाद में कृषि विभाग के सचिव का तबादला
मुंबई /दि.15- जारी सप्ताह में विगत मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक के दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बीच तनातनी होने की खबर सामने आयी है. विगत मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यूं तो कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये, लेकिन उन निर्णयों की बजाय बैठक में हुए विवाद को लेकर चर्चा कुछ ज्यादा रही.
पता चला है कि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री अजीत पवार के पास एक फाइल दस्तखत हेतु भेजी. जिस पर अजीत पवार ने फाइल को पढने हेतु कुछ समय देने की बात कही. जिस पर जवाब देते हुए सीएम शिंदे ने कहा कि, मैंने यहीं बैठे-बैठे तुम्हारी कई फाइलों पर हस्ताक्षर किये है, तब मैंने कोई फाइल नहीं पढी. यह सुनते हुए अजीत पवार का पारा थोडा चढ गया. साथ ही शिवसेना के मंत्री तानाजी सावंत भी कुछ प्रमाण में आक्रामक हो गये. इसके साथ ही सीएम शिंदे ने कृषि विभाग की सचिव वी. राधा का भी अकस्मात तबादला किये जाने को लेकर अपनी नाराजगी जतायी. साथ ही नैनो यूरिया का प्रस्ताव दो बार नकार दिये जाने के चलते कृषि मंत्री धनंजय मुंडे भी कैबिनेट की बैठक में कुछ हद तक संतप्त होते दिखाई दिये. इस दौरान महिला व बालकल्याण विभाग के प्रधान सचिव अनूप यादव तथा सूचना तंत्रज्ञान विभाग के प्रधान सचिव पराग जैन के बीच भी अच्छी खासी बहस हुई. लाडकी बहन योजना हेतु 27 लाख पात्र महिलाओं के बैंक खाते आधार से नहीं जुडे जाने की जानकारी मंत्रिमंडल को दी गई. इस त्रुटी को कैसे दूर किया जा सकता है. इसकी जानकारी यादव द्वारा मंत्रिमंडल को दी जा रही थी, तभी जैन ने अपनी ओर से कुछ सुझाव देने का प्रयास किया. जिस पर नाराज हुए यादव ने जैन को उनके काम में हस्तक्षेप नहीं करने की बात कही. मुख्यमंत्री के सामने हुए इस विवाद को देखते हुए सीएम शिंदे ने कहा कि, कैबिनेट की बैठक में सभी को बोलने का अधिकार है.
विशेष उल्लेखनीय है कि, आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए महायुति सरकार ने कई घोषणाएं की है. परंतु राज्य की तिजोरी में निधी की कमी रहने के चलते प्रत्येक मंत्री अपनी-अपनी योजनाओं को पूरा करने के लिए ऐडीचोटी का जोर लगा रहा है. साथ ही महायुति में शामिल तीनों घटक दलों के बीच अब एक तरह से प्रतिस्पर्धा भी शुरु हो गई है. जिसके चलते महाविकास आघाडी की सरकार की तरह ही अब महायुति की सरकार में भी योजनाओं व निधि पर ब्रेक लगाने अथवा निधि को अन्यत्र मोड देने जैसे आरोप लगाये जा रहे है.