आरटीई प्रवेश का ‘वह’ आदेश रद्द
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को लगाई कडी फटकार
मुंबई/दि.19- शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत गरीब एवं वंचित तबके से वास्ता रखने वाले विद्यार्थियों हेतु शालाओं में 25 फीसद सीटों आरक्षित रखने की प्रक्रिया से निजी बिना अनुदानित शालाओं को अलग रखने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया था. जिसे संविधान विरोधी बताते हुए मुंबई उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है, इसे राज्य सरकार के लिए काफी बडा झटका माना जा रहा है.
बता दें कि, निजी बिना अनुदानित शालाओं को आरटीई प्रवेश प्रक्रिया से अलग रखने हेतु राज्य सरकार ने 9 फरवरी 2024 को एक अध्यादेश जारी किया था. जिसका अभिभावकों द्वारा यह कहते हुए विरोध किया गया कि, इसकी वजह से सर्वसमावेशक शिक्षा कार्यक्रम में निजी शालाओं का सहभाग कम होगा और आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के बच्चों हेतु शालाओं में उपलब्ध रहने वाली सीटे भी घटेंगी. इसी आधार पर राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ अभिभावकों ने मुंबई उच्च न्यायालय ने एक याचिका दायर की थी. जिस पर आज सुनवाई करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को कडी फटकार लगाते हुए सरकारी फैसले को संविधान बाह्य बताया और सरकार की ओर से जारी अध्यादेश को रद्द भी कर दिया.