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महाराष्ट्र में दिसंबर तक चुनाव का ‘मुहूर्त’

‘लाडकी बहिण’ के लिए विधानसभा चुनाव लंबा टलने की चर्चा

नई दिल्ली /दि.19- महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव दीपावली के बाद लिये जाने के संकेत केंद्रीय निर्वाचन आयोग द्वारा दिये गये है. लेकिन हकीकत में विधानसभा के चुनाव विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद यानि दिसंबर के पहले अथवा दूसरे सप्ताह में होने की संभावना जतायी जा रही है. महायुति सरकार की ‘लाडकी बहिण’ योजना के चलते चुनाव के थोडा आगे टलने के आसार माने जा रहे है.
बता दें कि, मध्यप्रदेश की तरह महाराष्ट्र में भी ‘लाडली बहन’ योजनांतर्गत महिलाओं को प्रतिमाह डेढ हजार रुपए दिये जाने लगे है. इस योजना की दो किश्ते कुछ दिन पहले ही लाभार्थियों के खाते में जमा कराई गई है. वहीं विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं के अधिक से अधिक वोट हासिल करने हेतु इस योजना को अधिक से अधिक महिलाओं तक पहुंचाना जरुरी है. साथ ही योजना की और दो-तीन किश्ते महिलाओं के बैंक खातों में जमा होना आवश्यक है. यदि इससे पहले ही चुनाव आचार संहिता लागू होती है, तो काफी गडबडी हो सकती है. ऐसे में चुनाव की घोषणा थोडे विलंब से की जाएगी, ऐसा सूत्रों का कहना है.
उल्लेखनीय है कि, कई महिलाओं ने इस योजना में आवेदन किया है. इसमें से कई महिलाओं के आवेदन अपात्र रहने की संभावना है. ऐसे में सरकार ने अपात्र आवेदनों की भी जांच पडताल करनी शुरु की है. साथ ही इस योजना को और अधिक व्यापक करने हेतु नये आवेदन भी स्वीकार किये जा रहे है. ऐसे में इन दोनों कामों के लिए और कुछ महिने की अवधि लगने वाली है. जिसके चलते ‘लाडकी बहिण’ योजना के योग्य व लाभदायी क्रियान्वयन हेतु महायुति सरकार को पर्याप्त समय मिलने के उद्देश्य से विधानसभा का चुनाव दिसंबर माह में झारखंड राज्य की विधानसभा चुनाव के साथ कराये जाने की संभावना बनती दिखाई दे रही है.
ज्ञात रहें कि, केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को जम्मू कश्मीर व हरियाणा इन दो राज्यों में विधानसभा चुनाव कराये जाने की घोषणा की है. इससे पहले तीन बार हरियाणा व महाराष्ट्र में चुनावों की घोषणा एक साथ हुई थी. परंतु इस बार हरियाणा के साथ महाराष्ट्र राज्य के विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई. इसे लेकर पत्रकार परिषद मेें केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि, जम्मू कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के बाद ही महाराष्ट्र में चुनाव की तारीखों को लेकर घोषणा की जाएगी. राज्य में चुनाव हेतु मतदान के चरण अक्तूबर माह के दूसरे अथवा तीसरे सप्ताह में घोषित किये जाने की संभावना है. जिसके बाद प्रचार हेतु 45 दिनों का समय दिया जा सकता है. जिसके चलते केंद्रीय निर्वाचन आयोग के पास भी महाराष्ट्र में जारी वर्ष के अंत यानि दिसंबर में चुनाव कराये जाने के अलावा अन्य कोई पर्याय नहीं है. ऐसे में प्रत्यक्ष मतदान तक ‘लाडली बहन’ योजना के तहत सितंबर व अक्तूबर इन दो माह की किश्तें भी महायुति सरकार द्वारा महिलाओं को अदा की जा सकेगी. जिसके चलते राज्य में चुनाव होने तक पात्र महिलाओं के बैंक खातों में 6 हजार रुपए की ‘भाईदूज’ जमा हो जाएगी, ऐसा माना जा रहा है.

* नवंबर के अंत तक राष्ट्रपति शासन!
– विगत सप्ताह दिल्ली में हुई पत्रकार परिषद में केेंद्रीय मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने महाराष्ट्र में जरुरत पडने पर राष्ट्रपति शासन लागू करने का संकेत दिया था.
– राज्य में विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद 6 माह के भीतर चुनाव करवाने का अधिकार निर्वाचन आयोग के पास रहता है.
– ऐसे में 26 नवंबर को विधानसभा बर्खास्त होने के बाद संविधान के प्रावधानानुसार राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है.
– जिसके उपरान्त कुछ सप्ताह के भीतर मतदान कराते हुए चुनाव परिणाम घोषित किया जा सकता है.
– ऐसे में राष्ट्रपति शासन लागू करने में कुछ भी गलत नहीं रहने की बात राजीव कुमार द्वारा कही गई थी.


* सत्ताधारियों को सता रहा हार का डर
– सेना सांसद संजय राउत ने कसा तंज
आगामी विधानसभा चुनाव के आगे टलने की संभावना को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए शिवसेना उबाठा के सांसद संजय राउत ने कहा कि, राज्य की सत्ताधारी महायुति सरकार में शामिल घटक दलों को अपनी संभावित हार का डर सता रहा है. यहीं वजह है कि, सरकार निर्धारित समय के भीतर चुनाव करवाने से बच रही है. संजय राउत के मुताबिक निर्वाचन आयोग ने जिस समय जम्मू कश्मीर व हरियाणा राज्य के विधानसभा की घोषणा की. उसके साथ ही महाराष्ट्र व झारखंड इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव की घोषणा करने में कोई दिक्कत नहीं थी. लेकिन सत्ताधारियों ने झारखंड के चुनाव को आगे टाल दिया, क्योंकि भाजपा को हेमंत सोरेन की पार्टी में तोडफोड करनी है तथा यह भी कहा जा रहा है कि, चम्पई सोरेन जल्द ही भाजपा में जाने वाले है. इसी तरह से महाराष्ट्र में भी राजनीतिक कारणों के चलते ही विधानसभा चुनाव को आगे टालने का प्रयास किया जा रहा है. क्योंकि यदि अभी तुरंत चुनाव कराये जाये, तो महायुति को हार का सामना करना पड सकता है. ऐसे में लाडली बहन योजना का मतदाताओं पर प्रभाव डालने हेतु चुनाव आगे टाले जा रहे है.

Sharad-Pawar-Amravati-Mandal

* पीएम मोदी कुछ अलग कहते है, आयोग कोई अलग निर्णय लेता है
वहीं इस विषय को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि, एक ओर तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की कही जाती है. वहीं दूसरी ओर निर्वाचन आयोग द्वारा कुछ अलग ही फैसले लिये जाते है. इसका सीधा मतलब है कि, सरकार की कथनी व करनी में फर्क है और महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव को जानबुझकर आगे टाला जा रहा है.

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