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मराठी को अभिजात दर्जा मिलने का श्रेय किसी एक को नहीं

डॉ. तारा भवालकर का प्रतिपादन

सांगली/दि. 1 – मराठी भाषा को अभिजात दर्जा मिलने का श्रेय किसी एक व्यक्ति का कर्तृत्व या उपलब्धि नहीं है. बल्कि सत्ता हाथ में रहते समय किसी व्यक्ति के कार्यकाल दौरान यह दर्जा मिला है, इस आशय का प्रतिपादन दिल्ली में हुए 98 वें मराठी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षा डॉ. तारा भवालकर द्वारा किया गया. डॉ. तारा भवालकर को गत रोज सांगली में राजमती पाटिल ट्रस्ट द्वारा प्रा. अविनाश सप्रे के हाथों जनसेवा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर वे अपने विचार व्यक्त कर रही थी. इस समय डॉ. भवालकर ने कहा कि, उन्हें मराठी साहित्य सम्मेलन का अध्यक्षपद आयुष्य के उत्तरायण में किसी हादसे की तरह मिला. यदि इस पद के लिए चुनाव कराया गया होता, तो वे निश्चित तौर पर अध्यक्ष नहीं बन पाती. परंतु जिस तरह सभी साहित्य संस्थाओं ने बिना कोई आपत्ति उठाए उनके नाम पर सहमति दर्शायी, यह मराठी भाषा बोलनेवाले सभी लोगों का सम्मान है. साथ ही डॉ. भवालकर ने यह भी कहा कि, उन्होंने सांगली के नाट्यगृह में पहली बार नाट्य प्रस्तुति दी थी. तब तक सांगली की कोई महिला नाटकों में काम नहीं करती थी. ऐसे में उनकी नौकरी पर भी खतरा मंडराने लगा था. लेकिन संस्था के पुरुष संचालक उनके पक्ष में खडे हुए और चूंकि उनके पढाने को लेकर कोई शिकायत नहीं थी, ऐसे में उनकी नौकरी बची रही.

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