निर्यात शुल्क का असर राज्य में अधिक
आधे से अधिक प्याज की निर्यात महाराष्ट्र से
पुणे /दि.22- केंद्र सरकार द्बारा प्याज पर भारी भरकम निर्यात शुल्क लादे जाने के चलते प्याज उत्पादक किसानों की ओर से संतप्त भावनाएं व्यक्त हो रही है. वहीं अब इस निर्यात शुल्क का सर्वाधिक असर महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों पर पडने की बात सामने आयी है. हाथ आए आंकडों के मुताबिक जारी आर्थिक वर्ष में प्याज निर्यात को लेकर महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 50 फीसद से भी अधिक है. जिसके चलते निर्यात शुल्क में वृद्धि का सर्वाधिक फटका महाराष्ट्र के प्याज उत्पादकों पर ही पडने की बात स्पष्ट हुई है.
एक ओर तो इस वर्ष प्याज के निर्यात में वृद्धि हुई है. वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार ने निर्यात शुल्क को बढाकर 40 फीसद कर दिया है. जिसके चलते राज्य से संतप्त प्रक्रियाएं उमड रही है. ‘अपेडा’ द्बारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस बार अप्रैल से जून माह के अंत तक समूचे देश भर से 957 करोड रुपए के 6 लाख 29 हजार 451 टन प्याज का निर्यात हुआ. गत वर्ष इसी काल के दौरान महाराष्ट्र से 606.45 करोड रुपए मूल्य वाले 3 लाख 87 हजार 175 टन प्याज का निर्यात हुआ था. यानि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष दोगुना प्याज का निर्यात हुआ है. परंतु इसी दौरान केंद्र सरकार द्बारा निर्यात शुल्क को बढाकर 40 फीसद कर दिए जाने के चलते महाराष्ट्र से होने वाले निर्यात की रफ्तार घट जाएगी. जिसकी वजह से राज्य के किसानों को बडे पैमाने पर आर्थिक नुकसान सहन करना पडेगा.
विगत वर्ष साल भर के दौरान 868 करोड रुपए के 4 लाख 96 हजार 101 टन प्याज का निर्यात हुआ था. वहीं उससे पहले वर्ष 2022-23 के आर्थिक वर्ष में 4,522 करोड रुपए मूल्य के 25 लाख 25 हजार 258.35 टन तथा वर्ष 2021-22 में 3,470 करोड रुपए के 15 लाख 26 हजार 904 टन प्याज का निर्यात हुआ था. राज्य में निर्यात का विचार करने पर पता चलता है कि, वर्ष 2022-23 में 2344.53 करोड रुपए के 14 लाख 43 हजार 410.69 टन तथा वर्ष 2021-22 में 1300.74 करोड रुपए के 5 लाख 78 हजार 472.96 टन का निर्यात हुआ था. यानि महाराष्ट्र से दिनोंदिन निर्यात के व्यवसाय में वृद्धि हो रही है. परंतु इसी दौरान केंद्र सरकार द्बारा निर्यात शुल्क में बढोत्तरी कर दिए जाने के चलते निर्यात व्यवसाय की रफ्तार सुस्त होने की संभावना दिखाई दे रही है. ऐसे में इसका सीधा असर प्याज की निर्यात के घटने के तौर पर सामने आ सकती है और निर्यात घटने की वजह से प्याज के दाम में भी गिरावट देखी जा सकती है. जिसका सीधा खामियाजा प्याज उत्पादक किसानों को भुगतना पड सकता है. जिसके चलते प्याज उत्पादकों किसानों में सरकार के इस फैसले को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है.