* बुलढाणा की विशेष अदालत ने सुनाई सजा
* वर्ष 2023 में घटित हुआ था मामला
बुलढाणा/दि.4 – अपनी सगी बेटी के साथ बलात्कार करने वाले नराधमी पिता को बुलढाणा की विशेष अदालत ने ताउम्र कैद यानि आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही उस पर 3 हजार रुपए का आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया. इस मामले में अभियोजन पक्ष के प्रभावी युक्तिवाद व डीएनए टेस्ट रिपोर्ट के साथ ही संबंधित ग्रामपंचायत के ग्रामसेवक द्वारा लडकी का जन्म प्रमाणपत्र पेश किया गया, जिसके आधार पर अदालत ने नराधमी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
जानकारी के मुताबिक बुलढाणा वर्ष 2023 में बुलढाणा जिले के एक गांव में रहने वाली 16 वर्षीय लडकी के पेट में दर्द रहने के चलते उसकी मां उसे स्वास्थ्य जांच हेतु दवाखाने लेकर गई थी. जहां पर स्वास्थ्य जांच के जरिए पता चला कि, उक्त नाबालिग लडकी 4 माह की गर्भवती है. इस बारे में डॉक्टरों द्वारा पूछताछ करने पर भी उक्त नाबालिग लडकी व उसकी मां ने डॉक्टरों को कोई जानकारी नहीं दी. जिसके चलते डॉक्टरों ने चिखली पुलिस को इसकी सूचना दी. जिसके बाद सहायक पुलिस निरीक्षक प्रवीण तली ने अस्पताल को भेंट देते हुए संबंधित नाबालिग लडकी से पूछताछ की और फिर चिखली पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई गई. इस दौरान मामले की जांच करने वाली सहायक पुलिस निरीक्षक सविता मोरे पाटिल ने पीडिता व उसकी मां को विश्वास में लेते हुए उनके बयान दर्ज किये. जिससे पता चला कि, पीडिता के साथ उसके पिता ने ही जबरन शारीरिक संबंध स्थापित किये थे. यह जानकारी सामने आते ही पीडिता के पिता को गिरफ्तार किया गया. साथ ही आरोपी सहित पीडिता एवं गर्भस्थ शिशु के डीएनए सैम्पल लेकर जांच हेतु भिजवाये गये. उसके पश्चात एलजीपीओ सचिन कदम ने मामले की जांच अपने पास लेते हुए पीडिता सहित उसकी मां के बयान इन कैमरा लिये और इसके उपरान्त बुलढाणा की विशेष अदालत में दोषारोप पत्र दायर किया गया. जहां पर अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष सरकारी वकील एड. संतोष खत्री ने 14 गवाह पेश करते हुए प्रभावी युक्तिवाद किया. साथ ही इस मामले में डीएनए सैम्पलों की रिपोर्ट भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हुई.
* पीडिता के जन्म दाखिले हेतु ग्रामसेवक को आदेश
इस मामले में विशेष बात यह रही कि, बचाव पक्ष के वकीलों ने पीडिता का जन्म दाखिला अदालत के समक्ष प्रस्तुत नहीं रहने को लेकर युक्तिवाद किया था. जिसके चलते विशेष न्यायाधीश आर. एन. मेहरे ने साक्ष्य कानून अंतर्गत संबंधित ग्राम विकास अधिकारी को पीडिता का जन्म दाखिला प्रस्तुत करने का आदेश दिया था और कोर्ट के साक्षीदार के तौर पर ग्रामविकास अधिकारी का बयान भी दर्ज किया गया. इस तरह की घटना किसी मुकदमें की सुनवाई में पहली बार हुई है.