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हजारों पूर्व पार्षदों का अस्तित्व खतरे में

राज्य की 27 महापालिकाओं में प्रशासक राज

नागपुर/दि.31-राजनीतिक महत्वकांक्षा रखने वाले राज्य के हजारों पार्षदों का अस्तित्व खतरे में आ गया है, क्योंकि राज्य की महापालिकाओं का कामकाज प्रशासक ही संभाल रहे है. 27 महापालिका में कहीं तीन तो कहीं चार साल से प्रशासक राज है. समृद्ध लोकतंत्र की गतिविधि में स्थानीय स्वराज संस्था को विशेष स्वायत्ता व स्वतंत्रता दी गई है. आम जनता, प्रशासन और सरकार के बीच महत्वपूर्ण कडी स्थानीय स्वराज संस्था है. राजनीति की बुनियाद भी स्थानीय निकायों को कहा जाता है. आजादी के पहले से यह व्यवस्था देश ने स्वीकारी और देश स्तर पर प्रतिनिधित्व करनेवाले कई नेताओं ने स्थानीय निकायोें से अपनी राजनीतिक गतिविधि शुरु की, किंतु महाराष्ट्र में बीते तीन-चार साल से स्थानीय स्वराज संस्था के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न निर्माण हो गया है. विगत तीन-चार साल से नागपुर समेत राज्य के 27 महापालिका में प्रशासक कामकाज संभाल रहे है. राज्य की महापालिकाओं में 2756 नगरसेवक निर्वाचित हो रहे थे. वे सभी अब पूर्व पार्षद हो गए है. यह सभी पूर्व पार्षद चुनाव नहीं होने से हताश हो गए है. पिछले तीन से चार साल से उनका पद गया है. जिससे नागरिकों से उनका संपर्क भी कम हो गया है. कुछ पार्षद अपने मूल व्यवसाय पर ध्यान दे रहे है. जिसकी वजह से शहर की समस्या, शिकायतों को लेकर नागरिकों को सीधे प्रशासन के पास जाना पड रहा है. जनता और प्रशासन के बीच की कडी रहने वाले पार्षद ही अब अस्तित्वहीन हो गए है.
* महापालिका में कितनी सीटें?
मुंबई-226, नागपुर-151, ठाणे-131, नवी मुंबई-111, कल्याण, डोंबिवली-122, पुणे-162, पिंपरी चिंचवड-128, नाशिक-122, छत्रपति संभाजीनगर-115, पनवेल-78, वसई-विरार-126, कोल्हापुर-81, भिवंडी-90, उल्हासनगर-78, मीरा भाईंदर-95, नांदेड-91, सोलापुर-102, परभणी-65, अमरावती-87, चंद्रपुर-66, अकोला-80, मालेगांव-84, अहमदनगर-68, धुलिया-74, जलगांव-75, सांगली मिरज-78, लातुर-70

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